भगवान भोले शंकर की नगरी वाराणसी के सारनाथ स्थित चौबेपुर गांव में एक पेड़ के नीचे काफी भीड़ लगी थी. नजदीक जाकर देखा तो एक बाबा काले वेशभूषा में दो औरतों को बांधे था. कुछ मर्द भी वहां सिर हिला-हिला कर कुछ अटपटी हरकत कर रहे थे और बाबा एक डंडे से सबको मार रहा था. तभी तीन लोग वहां आकर रुकते हैं और बाबा जो पहले सबको मार रहे थे, अचानक खुद को ही पीटने लगते हैं. और वहां से भाग खड़े होते हैं. पूछने पर पता चला कि उस गांव में पेड़ के नीचे का यह दृश्य भोजपुरी फिल्म ‘डमरू’ के लिए फिल्माया जा रहा है.
शूटिंग में भोजपुरी फिल्मों के सुपर स्टार खेसारीलाल यादव, अवधेश मिश्रा, रोहित सिंह मटरू और आंनद मोहन पांडेय भाग ले रहे थे. इसी बीच मेरी मुलाकात फिल्म के निर्देशक, संगीतकार रजनीश मिश्रा से हुई. रजनीश ने बताया कि यह दृश्य फिल्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा के साथ-साथ आम लोगों के लिए एक संदेश भी है कि वे अंधविश्वास, भूत-प्रेत, जादू-टोना जैसी चीजों में न पड़ें. तभी वहां फिल्म के निर्माता प्रदीप शर्मा आ जाते हैं. वे बताते हैं कि यह फिल्म मिथिला के अनन्य शिव भक्त विद्वान विद्यापति और उनके द्वारा शिव को धरती पर ले आने की कहानी से प्रेरित है. जिसे इस फिल्म में आधुनिक तरीके से फिल्माया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह भोजपुरी सिनेमा में पहली बार होगा, जब इस कंसेप्ट पर कोई फिल्म बन रही है. हमारा कंसेप्ट बिल्कुल वैसा है, जैसे प्रकाश झा की फिल्म ‘राजनीति’ की थी. वह कहीं न कहीं महाभारत से प्रेरित फिल्म थी, जिसे वर्तमान हालात से जोड़कर फिल्माया गया था. ठीक उसी प्रकार हमारी फिल्म की भी कहानी है, जिसमें कई संदेश भी हैं.
प्रदीप शर्मा ने बताया कि इस फिल्म के जरिये बिहार की दो भाषाओं के लोगों का जुड़ाव होगा. हमारा उद्देश्य भोजपुरी सिनेमा के उन सभी लोगों, खास कर महिलाओं के बीच ले जाने का है, जो भोजपुरी फिल्मों से रूठे हैं. हमारा मकसद इस फिल्म से सिर्फ पैसा कमाना नहीं है, बल्कि आम भोजपुरिया दर्शकों को सिनेमाघरों के अंदर लाना है. जो अभी तक घर पर बैठ बिना देखे ही भोजपुरी फिल्मों की आलोचना करते रहते हैं.
बाबा मोशन पिक्चर्स प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले बनी रही इस फिल्म के अन्य कलाकार हैं याशिका कपूर, किरण यादव, तेज यादव, देव सिंह, सुबोध सेठ और पदम सिंह.
(रिपोर्ट : रंजन सिन्हा)