17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

17 वर्षीया भोजपुरी लोकगायिका तीस्‍ता शांडिल्‍य का निधन, कहा था- दर्द नइखे होखत बर्दाश्त…

बिहार की उभरती हुईं भोजपुरी लोकगायिका 17 वर्षीया तीस्ता शांडिल्य का मंगलवार को निधन हो गया. वे एक्यूट सेप्टेसेमिया नामक रोग से लड़ते-लड़ते आखिरकार हार गईं. तीस्‍ता ने मंगलवार की शाम को पटना के एम्‍स में करीब साढ़े सात बजे दम तोड़ा. उन्‍होंने बहुत कम उम्र में अपनी सुरीली आवाज से बाबू वीर कुंवर सिंह […]

बिहार की उभरती हुईं भोजपुरी लोकगायिका 17 वर्षीया तीस्ता शांडिल्य का मंगलवार को निधन हो गया. वे एक्यूट सेप्टेसेमिया नामक रोग से लड़ते-लड़ते आखिरकार हार गईं. तीस्‍ता ने मंगलवार की शाम को पटना के एम्‍स में करीब साढ़े सात बजे दम तोड़ा. उन्‍होंने बहुत कम उम्र में अपनी सुरीली आवाज से बाबू वीर कुंवर सिंह की गाथा गाकर सुर्खियां बटोरी थी. उन्‍हें भोजपुरी लोकगाथा और लोकनाट्य का सबसे चमकदार उभरता हुआ सितारा माना जा रहा था.

मिली जानकारी के मुताबिक, तीस्‍ता पिछले तीन दिनों से वेंटिलेटर पर थीं. एम्‍स के चिकित्‍सकों ने उन्‍हें बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन हो न सका. उनके निधन के खबर से लोग शोकाकुल हो गये.

प्रभात खबर ने तीस्‍ता शांडिल्‍य को अपराजिता सम्‍मान से सम्‍मानित किया था. तीस्ता के निधन पर भोजपुरी और कला-रंगमंच से जुड़े लोगों ने भी शोक प्रकट किया है. उन्‍होंने तीस्‍ता के निधन को कला और रंगमंच के लिये बड़ी क्षति बताया है. लोक गायिका शारदा सिन्हा ने भी तीस्ता के जल्द ठीक होने की कामना की थी.

वरिष्‍ठ साहित्‍यकार ध्रुव गुप्‍त ने तीस्‍ता शांडिल्‍य के निधन पर गहरा शोक प्रकट किया है. उन्‍होंने लिखा,’ एक संभावना का अंत! बिहार में भोजपुरी लोकगाथा और लोकनाट्य का सबसे चमकदार और संभावनाशील चेहरा हमारे बीच से असमय ही उठ गया. एक सप्ताह तक पटना एम्स के आई.सी.यू में एक-एक सांस के लिए लड़ने के बाद मात्र सत्रह साल की अनुभूति शांडिल्य उर्फ तीस्ता आज शाम मौत से हार गई.

पत्रकार निराला बिदेशिया ने लिखा,’ दर्द से ध्यान भटकाने के लिए बिल्कुल उसके सिरहाने बैठ माथे पर हाथ फेरते हुए मेरा सवाल- हमरा के पहचानेलू तिस्ता? दर्द से छटपटाती तिस्ता का पूरी ऊर्जा लगा खुद को समेटते हुए,एक हल्की हंसी के साथ जवाब-के ना जाने बिदेसिया के? दर्द से उसका मन भटकाने के लिए तुरन्त मेरा अगला सवाल-हंसत अच्छा लागेलू. दर्द से मन हटाव.ठीक हो जइबू, तनिका बर्दाश्त कर. तिस्ता का जवाब- हम कहाँ आईल बानी. दर्द नइखे होखत बर्दाश्त. केने गइनी पापाजी.कहीं ना कुछुओ दे देस हमरा के.’

लोक गायिका चंदन तिवारी ने लिखा,’ प्रिय तिस्ता. अलविदा. तुम थी,तुम हो,तुम रहोगी. कला जिन कलाकारों के लिए महज पेशा,कारोबार या व्यापार न होकर,सरोकार का जरिया और मूल कर्म होता है, वैसे कलाकार कभी मरते नही, लोकमानस उन्हें जिंदा रखता है. हमारा तो कभी एक दूसरे से कलाकार की तरह रिश्ता रहा भी नही. न मैं तेरे लिए कलाकार थी, न तुम मेरे लिए. मैंने तो शुरू से देखा है तुझे. पांच दिन पहले जब तुझसे मिलने पटना अस्पताल गयी थी, तेरे पास देर तक बैठी रही थी मैं.’

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें