लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद भोजपुरी गीतों की होगी भरमार: हर हाल में विकास करेंगे, ठीक है!

लोकसभा चुनाव की घोषणा होते ही अब प्रत्याशियों द्वारा जीत की रणनीति बनायी जाने लगी है. इस कड़ी में चुनाव के लिए प्रचार-प्रसार के लोकप्रिय तरीके अभी भी सदाबहार हैं. गाने और तराने, नारे और संदेश, जिंगल और मिंगल ये सभी बनाने के लिए पटना में प्रोफेशनल की टीम तैयार हो गयी है. कई स्टूडियो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 13, 2019 11:05 AM

लोकसभा चुनाव की घोषणा होते ही अब प्रत्याशियों द्वारा जीत की रणनीति बनायी जाने लगी है. इस कड़ी में चुनाव के लिए प्रचार-प्रसार के लोकप्रिय तरीके अभी भी सदाबहार हैं. गाने और तराने, नारे और संदेश, जिंगल और मिंगल ये सभी बनाने के लिए पटना में प्रोफेशनल की टीम तैयार हो गयी है. कई स्टूडियो को तो ऑर्डर दो महीने पहले मिल गये हैं तो कई को आर्डर मिलने में टिकट के फाइनल होने का इंतजार है. इस इंतजार में बिजनेस के परवान चढ़ने के सपने हैं और उन्हें अंजाम देने की बेहतरीन ललक.

पटना : चुनाव प्रचार के गानों की जानकारी लेने जब हम बाकरगंज के एक स्टूडियो में पहुंचे तो वहां भोजपुरी गाने की ही डबिंग की जा रही थी. इसके साथ ही एक्जीबिशन रोड के स्टूडियो में भी उन भोजपुरी गानों पर ही प्रयोग देखने को मिला जो टॉप पर बजते हैं. इसके बाद दूसरे नंबर पर हिंदी के गाने हैं. इसका कारण बताते हुए एक मीडिया कंपनी संचालित करने वाले बिनित कुमार बताते हैं कि भोजपुरी एवरग्रीन इस वजह से है क्योंकि इसे ज्यादातर लोग समझते हैं. यही कारण है कि इसकी लोकप्रियता सर्वाधिक है.

इसके लिए 50 हजार रुपये से दो लाख रुपये तक का पैकेज स्टूडियो वालों ने रखा हुआ है. इसमें गाने से लेकर नारे और जिंगल भी शामिल हैं. यही नहीं आवाज के मुताबिक भी रेट फिक्स किया गया है. यदि आपको पांच ही गाना चाहिए तो इसके लिए 50 हजार रुपये लगेंगे. यदि मेल और फिमेल मिक्स गाने होंगे तो एक लाख रुपये तक की दर है और आप पूरा पैकेज लेते हैं तो उसमें दो लाख रुपये लगेंगे. इस पैकेज में आपको सभी काम एक बंडल के रूप में मिलेंगे. यह पेन ड्राइव में तैयार कर आपको मिल जायेगा. यदि आप चाहेंगे तो मेल और व्हाट्सएप पर भी यह मिल जायेगा.

एक स्टूडियो का संचालन कर रहे गौरी शंकर गुप्ता ने हमें बताया कि इस काम में अभी पटना में छिटपुट लोगों को ही काम मिल रहा है. इसमें अभी भी दिल्ली और मुंबई भारी हैं. इसका वाजिब कारण भी है. स्थापित राजनैतिक पार्टियों के द्वारा मुख्यालय स्तर से पैकेज लेने को कह दिया जाता है. टेक्नोलॉजी में आगे रहने के कारण सस्ते में काम भी करते हैं. राजधानी के कामकाजी लोगों को छोटी पार्टियों का ही सहारा होता है. इन्हीं की बात को आगे बढ़ाते हुए अभिषेक कहते हैं कि अभी आने वाले दिनों में ऑर्डर में बढ़ोतरी होगी. बहरहाल यह बिजनेस आने वाले एक महीने में अपने उफान पर होगा और इसमें अस्थायी तौर पर काम करने वाले कारोबारियों को भी काफी लाभ मिलेगा यह भी तय है.

सीन 1
राज्य की सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक मंडी बाकरगंज में रोज की तरह गहमागहमी है. संकरे रास्तों के बीच राज्य भर के व्यापारी यहां पहुंच हुए हैं. दुकानों में जहां इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों की खरीद चल रही है वहीं इसी बाजार में काली स्थान के पास एक चार तल्ले के मकान के तीसरे माले पर बने स्टूडियो में चुनाव को लेकर रणनीतिकारों की एक टीम जिंगल, नारे, गाने बनाने की तैयारी में जुटी हुई है. वे उन प्रत्याशियों को लेकर लोकप्रिय भोजपुरी गाने की धुन पर पैरोडी गढ़ रहे हैं जिन्होंने इसके लिए आॅर्डर दिया है.

सीन 2
इधर एक्जीबिशन रोड के जाम से जूझते हुए जब हम लव कुश टावर के पास एक स्टूडियो में पहुंचते हैं तो यहां भी कमोबेश एक ही नजारा दिखायी देता है. एक तरफ गायक जमे हैं तो दूसरी तरफ धुनों को मिक्स करने में विशेषज्ञ लगे हुए हैं. यहां की टीम भी ऑर्डर के बाद सीमांचल के एक लोकसभा क्षेत्र के प्रत्याशी के लिए गीत और नारे बना रहे हैं. इसमें हिंदी, भोजपुरी से लेकर मैथिली के लोकप्रिय तराने शामिल हैं.

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