Bhojpuri: माही श्रीवास्तव बीते कुछ समय से लगातार सुर्खियों में हैं. अपने म्यूजिक वीडियो के साथ – साथ माही अपनी पिछली रिलीज फिल्म जया के लिए भी वाह वाही बटोर चुकी हैं.माही कहती हैं कि जया एक वूमेन सेंट्रिक फिल्म थी और उसे फिल्म को इतना अच्छा रिस्पांस मिल रहा है. यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है. मुझे लगता है कि मेरे साथ-साथ इंडस्ट्री के लिए भी बहुत बड़ी बात है कि वुमन सेंट्रिक भोजपुरी फिल्म को देखने के लिए लोग थिएटर जा रहे हैं. इसके लिए मैं सभी की ग्रेटफुल हूं.उर्मिला कोरी से हुई बातचीत
जया फिल्म की सबसे खास बात आपको क्या लगी थी ?
भोजपुरी फिल्मों को लेकर लोगों का एक नजरिया रहता है कि इसमें गाने होंगे. इसमें ऐसे सीन होंगे.इसमें यह बात होगी. इन सभी धाराणाओं को हमारी फिल्म जया ने तोड़ा है.एक मिथ है कि औरतें श्मशान घाट में नहीं जाएंगी. हमारे समाज में कई बार हमें औरत होने की कीमत चुकानी पड़ती है. हम यह नहीं कर सकते हैं.हम वह नहीं कर सकते हैं. ये फिल्म इस विषय से डील करती है कि जिनके बेटे नहीं ,बेटियां हैं. उनको उनकी बिटिया नहीं बल्कि उनके भाई के बेटे या दूसरे रिश्ते में आने वाले बेटे ही मुखाग्नि देंगे. लोग बोलते हैं वरना मोक्ष नहीं मिलता है. यह कितनी बकवास बात है. एक सोच है कि लड़कियां शमशान घाट नहीं जाएंगी. दूसरी की लड़कियां मुखाग्नि नहीं देंगी। मैं इस बात को मानती हूं कि कुछ लोग नाजुक दिल के होते हैं. फिर चाहे वह लड़की हो चाहे लड़के। वह दोनों नहीं जाने चाहिए क्योंकि शमशान घाट में बहुत ही हृदय विदारक दृश्य होते हैं. मुझे लगता है कि यह सिंपल सी बात थी लेकिन लोगों ने पूरा इसको नियम ही बना दिया है खासकर महिलाओं के खिलाफ। जया फिल्म इस नियम को तोड़ने की बात करती है.
रियल लाइफ में किन चीजों के लिए माही को रोका गया है?
मैं बताना चाहूंगी कि जब इस फिल्म की स्क्रिप्ट मेरे पास आई ,तो मैं इस फिल्म की कहानी से बहुत ज्यादा कनेक्ट कर पा रही थी. क्योंकि मेरे साथ रियल लाइफ में भी ऐसा हुआ था. मैं अपने नाना जी के बहुत करीब थी. मैं उनके आखिरी यात्रा में उनके साथ शमशान घाट तक जाना चाहती थी ताकि मैं उनको अंतिम बार देख लूं. उस वक्त लोगों ने मुझे ऐसे ही बातें करके मना कर दिया था कि लड़कियां श्मशान नहीं जाती है. मैं भगवान के शुक्रगुजार हूं कि मेरी जिंदगी का सबसे दुख वाला जो मुद्दा था. मुझे उसपर ही अपनी बात रखने का मौका मिला. सिनेमा के जरिए ही सही मैं लोगों तक अपनी बात पहुंचा सकी.
जया फिल्म में आपके लिए सबसे चैलेंजिंग क्या रहा था?
जया में चैलेंजिंग मेरे लिए यह था कि जब चिताएं जलती थी. उस वक्त शूटिंग करने में बहुत दिक्कत होती थी.जून की गर्मी में फिल्म की शूटिंग हुई थी. फिल्म की कहानी ऐसी थी,तो हमें सेटअप में 15 से 20 चिताएं मेरे आस-पास जलानी ही पड़ती थी. आप यकीन नहीं करेंगे.उसमें शूटिंग करना मेरे लिए एकदम झुलसा देने वाला अनुभव था.कई बार तो चिताओं की आग मेरे शरीर को भी छू जाती थी क्योंकि पास में ही गंगाजी थी.वहां से तेज हवाएं बहती थी. मैं एकदम सन्न में रह जाती थी. फिल्म की शूटिंग खत्म हो जाने की 1 महीने बाद मेरी स्किन नॉर्मल हुई थी.
अभिनय में किस तरह से आना हुआ?
मेरी फैमिली में से किसी का भी एक्टिंग से कोई लेना देना नहीं हैं. मुझे लगता है कि किसी ने सोचा भी नहीं होगा. मैंने खुद भी कभी नहीं सोचा था लेकिन वह जो 20 सेकंड है. 20 सेकंड से मेरा मतलब है टिक टॉक. मैं टिक टॉक पर वीडियो बनाती थी. कोरोना में टिक टॉक बंद हो गया,लेकिन फिर इंस्टाग्राम में रील्स चालू हो गया. मेरे रील्स लोगों को बहुत कनेक्ट करते थे. इंस्टाग्राम पर ही मुझे भोजपुरी फिल्मों का ऑफर आया था.संघर्ष 2 का ऑफर भी मुझे इंस्टाग्राम पर ही मिला था. इस फिल्म में मैं खेसारी लाल जी के अपोजिट थी.
पहली बार खेसारी लाल यादव के साथ कैमरा फेस करते हुए क्या नर्वस भी हुई थी?
मैं अपनी बड़ाई नहीं करूंगी, लेकिन मेरी आदत है कि मैं चीजों को बहुत ऑब्जर्व करती हूं. इस फिल्म में मेरे को स्टार खेसारी लाल थे. बहुत ही मेहनती कलाकार है. वह बहुत सपोर्टिव भी हैं. मैंने इस बात पर भी पूरा ध्यान दिया कि वह एक्टिंग करते हुए कैमरे के सामने किस तरह से होते हैं. इन सभी बातों की वजह से पहली बार कैमरा फेस करते हुए मैं नर्वस नहीं थी.
एक्टिंग में जुड़ने को लेकर आपके फैमिली का क्या रिएक्शन था?
मेरी पूरी फैमिली भागलपुर और बलिया से आती है. हम लोग श्रीवास्तव हैं तो आप समझ सकती हैं कि हमारा पूरा बैकग्राउंड पढ़ाई लिखाई वाला है शुरू में मेरे माता-पिता इंडस्ट्री में मेरे जुड़ने को लेकर सहज नहीं थे, लेकिन मैं उनका भरोसा दिलाती रही कि सब बुरे नहीं होते हैं. हर इंडस्ट्री में अच्छे बुरे लोग होते हैं. एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के साथ दिक्कत यह है कि यहां पर होता एक दो केस ऐ, है लेकिन उसको लोग 100 गुना बड़ा चढ़ा कर दिखाते हैं. मेरी मां मेरे साथ शूटिंग पर आती है. वह मेरे साथ मुंबई में भी रहती हैं, तो उन्होंने खुद भी करीब से सब कुछ देख लिया और फिर सब कुछ नॉर्मल हो गया.
मौजूदा दौर में भोजपुरी फिल्में टेलीविजन पर प्रीमियर हो रही है, इस दौर पर आपकी क्या राय है?
मैं सच कहूं तो मुझे यह दौर पसंद नहीं हैं. मुझे लगता है कि सिनेमा का असली मजा थिएटर में है. सभी इतनी मेहनत करते हैं ताकि हम बड़े पर्दे पर नजर आए. इस बात तो कहने के साथ मैं कहूंगी कि जो सास बहू कॉन्सेप्ट वाली फिल्में है.वह टीवी पर आए ,लेकिन जिस तरह की फिल्मों का मैं हिस्सा बन रही हूं खासकर वूमेन सेंट्रिक। मुझे लगता है कि वह फिल्में थिएटर में रिलीज होनी चाहिए.
क्या हिंदी टीवी शो या वेब सीरीज में भी किस्मत आजमाना चाहेंगी ?
इन सभी में जाने के लिए ऑडिशन की लंबी लाइन में लगना पड़ता है और मुझे लाइन में लगना पसंद नहीं है. मुझे लगता है कि आप ऐसा काम करें कि लोग खुद सामने से आपका चुनाव करें. मैं चाहती हूं कि लोग जब भी माही का नाम ले तो साथ में यह भी बोले कि वह बेहतरीन आर्टिस् है. इंसान कैसी हूं. वह मैं संभाल लूंगी लेकिन आर्टिस्ट मुझे बेहतर ही सुनना है.मैं भोजपुरी में ही फ़िलहाल बहुत अच्छा काम करना चाहती हूं.
अब तक की जर्नी में सबसे मुश्किल वक्त कौन सा था?
कोरोना मेरे लिए बहुत ही मुश्किल वक्त था. उस वक्त मेरी पढ़ाई पूरी हो गई थी और मैंने काम के लिए स्ट्रगल शुरू ही किया था. मैं कपड़ों को लेकर बिजनेस शुरू करना चाहती थी. टिक टॉक के जरिये जो भी मैंने पैसे बनाए थे. वह सब मैंने लगा दिया था और लॉकडाउन लग गया और सब कुछ वेस्ट हो गया. वह समय मेरे लिए बहुत मुश्किल था. एक बार को लग रहा था कि मैं कैसे सरवाइव कर पाऊंगी लेकिन फिर मैंने हिम्मत बटोरी और मैंने खुद को उस बुरे दौर से निकाला।
अपकमिंग प्रोजेक्ट्स और कौन से है?
लॉटरी और काली मेहंदी. दोनों फिल्में भी वूमेंस सेंट्रिक होंगी. मैं खुद को लकी मानती हूं कि मुझे एक के बाद एक महिला प्रधान फिल्मों का चेहरा बनने का मौका मिल रहा है.