भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की सबसे गन्दी है लॉबी, अभिनेत्री संजना पांडेय ने किया खुलासा 

Sanjana pandey भोजपुरी इंडस्ट्री में अपनी ख़ास पहचान बनाने में जुटी हैं . वह बताती हैं कि सेटेलाइट चैनलों पर फिल्मों की रिलीज़ से अभिनेत्रियों को बहुत फायदा हो रहा है । बातचीत के प्रमुख अंश

By Urmila Kori | May 26, 2024 10:29 AM

bhojpuri film industry में अभिनेत्री sanjana pandey सिंगर के तौर पर अपनी शुरुआत की थी , लेकिन जल्द ही उन्होंने अभिनय में अपनी ख़ास पहचान बना ली. उन्हें इंडस्ट्री में टीआरपी क्वीन के नाम से भी जाना जाता है. सैटेलाइट चैनल पर रिलीज हुई उनकी फिल्मों ने दर्शकों से जबरदस्त वाह वाही बटोरी है.  उनकी अब तक की जर्नी , संघर्ष और इंडस्ट्री पर उर्मिला कोरी की हुई बातचीत 

भोजपुरी इंडस्ट्री में जर्नी उतार चढ़ाव वाली रही है 

गोपालगंज से मुंबई की इस जर्नी में बहुत उतार चढ़ाव से भरी रही हैं. मानसिक लेकर आर्थिक तौर पर कई परेशानियों से गुजरना पड़ा लेकिन मैं हमेशा खुद को मजबूत रखा. इसमें स्टेज शोज ने बहुत मेरा साथ दिया. उसके पैसे से मैं अपना रेंट भर्ती थी. उसी में मैंने अपने घर वालों का भी देखभाल करना था क्योंकि मैं घर सबसे बड़ी थी. मेरे बाद मेरे छोटे भाई थे तो  कुछ पैसे घर पर भी हमेशा भेजती रही थी.बड़े होने के नाते जो एक फर्ज़ होता है. वह मैंने हमेशा निभाया है.अगर उनका बड़ा बेटा होता तो वही भी यही करता था.जब स्टेज शो से साढ़े तीन हजार कमाती थी ,तो भी परिवार का ख्याल रखती थी. अब महीने में दो फिल्म कर रही हूँ तो भी. अपनी मम्मी पापा के लिए मैंने छपरा में घर बनवाया है . हमारा गोपालगंज में घर है,लेकिन उसमें पूरा जॉइंट परिवार एक साथ रहता है, तो अपने मम्मी पापा को कुछ अलग देना चाहती थी,तो छपरा में घर बनवा दिया.भगवान ने चाहा तो मुंबई में भी अपना घर कुछ सालों में हो जाएगा। 

 परिवार अब मेरे काम की तारीफ करता है 

 2011 में इंडस्ट्री में जब आई थी तो मेरा परिवार इसके खिलाफ था. उस  वक्त और अभी में बहुत कुछ बदलाव आया है और फैमिली का माइंडसेट भी काफी बदला है. हर फैमिली चाहती है कि हमारा बेटा या बेटी सही दिशा में चले. उसे वक्त मेरी फैमिली में कहीं दूर-दूर तक कोई इस इंडस्ट्री में नहीं था, तो डर था कि  ग्लैमर की इस दुनिया में कहीं हमारी बेटी बिगड़ ना जाए, जब उनको लगा कि नहीं मेरी बेटी बहुत अच्छा कर रही है.उसके बाद सब  राजी हो गए. अभी का वक्त ऐसा है कि मेरी मम्मी मेरे पापा और मेरे जितने भी रिश्तेदार हैं.  वह सब साथ में बैठकर मेरी फ़िल्में देखते हैं और तारीफ करते हैं कि कितना बढ़िया काम कर रही है तो कहीं ना कहीं मैं खुद को प्रूफ किया  सही दिशा में चलकर. मैं चाहती तो मुंबई की  में खुद को अलग ही ढाल सकती है  लेकिन मुझे अपने गांव के लोगों को दिखाना था कि मैं जिस मकसद से आई हूं. मैं वह मकसद पूरा करना चाहती हूं.

परिवार साफ कहता है कि आकांक्षा दुबे नहीं बनना है 

भोजपुरी इंडस्ट्री में अभिनेत्रियों की आत्महत्या की खबरें आम हैं। कई बार मैं भी बहुत परेशान होती हूं ,लेकिन मेरे भाई और मेरी मां इन दोनों ने बहुत मेरा बहुत साथ दिया. उन्होंने मुझे कहा कि अगर तुमको कुछ समझ में नहीं आ रहा है तो घर चली आओ. घर में रहो और दो रोटी खाओ। कोई प्रॉब्लम नहीं होगी. जब फिर तुमको सब सही लगने लगेगा तो फिर जाकर काम करना.दबाव में काम मत करना. दबाव में तुम काम करती रहो और फिर एक दिन यह आकांक्षा दुबे जैसा तुम्हारा हाल हो जाए तो हमको लग्जरी लाइफ नहीं चाहिए. हमलोग  सिंपल लाइफ में खुश हैं. सिंपल लाइफ अच्छी है क्योंकि इसमें हमारी बेटी हमारे साथ रहेगी. क्या होता है कि  फैमिली का भी प्रेशर बहुत ज्यादा हो जाता है कि हमको लग्जरी लाइफ चाहिए. हमको यह चाहिए। हमको वह चाहिए इस चक्कर में लड़कियां बहुत ज्यादा छलांग मारने लगती है. लड़कियों को भी यही लगता है कि 1 साल में मेरे पास बीएमडब्ल्यू हो जाए.घर हो जाए.

भोजपुरी इंडस्ट्री में खतरनाक वाली  लॉबी है 

 हर इंडस्ट्री में लॉबी है लेकिन  हमारी भोजपुरी इंडस्ट्री में खतरनाक वाली लॉबी है.यह राजपूत की लॉबी है। यह यादव की लॉबी है. यह ब्राह्मण की लॉबी है.यह कुछ एक्टर्स की  लॉबी है. फिल्मों के  चैनल में सीधे रिलीज होने  से पूरा माहौल बदल गया है लेकिन कुछ साल पहले तक खासकर कोविड से पहले तक इंडस्ट्री पूरी तरह से कुछ लोगों के गिरफ्त में थी. इतनी गंदी लॉबी थी.यहां पर की वही फिक्स एक्ट्रेस थी. प्रोड्यूसर के लिए भी कुछ फिक्स एक्ट्रेस रहती थी.फिल्म यही चाहिए तो यही चाहिए.  बहुत ही गंदी वाली लॉबी थी, लेकिन मैं धन्यवाद दूंगी चैनल को. हमारे टीवी चैनल आए तो उन्होंने पूरा ही सिनेरियो चेंज कर दिया. अब कोई हीरो नहीं चलेगा कोई हीरोइन नहीं चलेगी अब बस सब्जेक्ट चलेगा. यह बहुत ही अच्छा वक्त हीरोइनों के लिए है. एक वक्त था भोजपुरी हीरोइनों  के हिस्से में बस कुछ चीज चंद सीन और डांस करने के अलावा कुछ नहीं होता था.आज का टाइम देखिए इतना बदलाव हो गया है कि हीरो आते हैं छोटे-छोटे सीन करने के लिए. हीरोइन के ऊपर पूरी कहानी होती है.मैं तो भगवान का धन्यवाद देना चाहूंगी, जितना प्रहार और शोषण इस इंडस्ट्री में हीरोइन पर हुआ है. अब उसका उल्टा हो रहा है. वह लोग सब घर बैठे हैं और हीरोइन सारी कम कर रही है

अपने फिगर को लेकर काफी कुछ सुनती रहती हूं 

भोजपुरी इंडस्ट्री में अपने फिगर को लेकर बहुत कुछ सुना है. किसी ने कहा कि लगता है कि डंडे को साड़ी पहना दी गयी है.कई बार रोयी भी हूं, लेकिन फिर मैंने खुद को मजबूत बनाया कि मैं इन सबसे आहात नहीं होउंगी.मैं मजबूत हुई हूं लेकिन ये चीज़ें अभी भी खत्म नहीं हुई है.मैं आपको 10 दिन पहले की बात बता रही हूं. कुछ लोग मुझे  मिले थे, उन्होंने कहा कि यहां पर शार्प जॉ  लाइन वाली अभिनेत्री नहीं चलती है. यहां पर करीना कपूर की फिगर वाली लड़कियां नहीं चलती है.यहां पर चबी गर्ल चाहिए. मैं चुप नहीं रही .मैंने बोला चलाता कौन है.दर्शकों को वही आंटी लुक वाली अभिनेत्रियां देंगे, तो वही देखेंगे. दर्शकों को हम दिखाएंगे,तब ना चीज अच्छी लगेगी. लोगों ने मुझे कहा कि संजना आप अपना वेट बढ़ा लीजिए. मैंने साफ तौर पर मना कर दिया कि मैं नहीं अपना वेट बढ़ाऊंगी. एक बार  भोजपुरी के बहुत बड़े डायरेक्टर है .उनके साथ शूट कर रही थी. मैं उनका नाम नहीं लूंगी. उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा कि थोड़ा इनका क्लोजअप लगाओ .यह तो दिखती ही नहीं है.एक असिस्टेंट डायरेक्टर था उसने कहा कि हम मोटी -मोटी हीरोइन के साथ काम करते आए हैं इसलिए पतली हीरोइन हमको दिख नहीं रही है.मैंने कहा कि आपने मेरे मुंह की बात छीन ली तो यह हवा बना दी गई है भोजपुरी इंडस्ट्री में चबी लड़कियां ही चलेगी. पहले साउथ इंडस्ट्री को लेकर भी यह धारणा थी.अब वहां भी हालात बदल गए हैं. कीर्ति सुरेश, शामंता और सई पल्लवी जैसी अभिनेत्रियां इस बात का उदाहरण है. वह सब की सब कितनी फिट है.भोजपुरी इंडस्ट्री को भी अपनी सोच बदलनी होगी.

 मेरा टर्निंग पॉइंट

 मैं काफी समय से सिंगिंग कर ही रही थी लेकिन 2018 के बाद जब मैं फिल्मों में आई तो चीजें बदलने लगी. फिल्मों में आने से पहले मैंने तीन साल तक थिएटर किया।लाल चुनरिया वाली से भोजपुरी फिल्मों में मेरी शुरुआत हुई लेकिन मेरे लिए टर्निंग पॉइंट  प्रीत का दामन फिल्म थी .लाल चुनरिया वाली के बाद मैंने दो फिल्में की लेकिन गन्दी लॉबी की वजह से मुझे ९ महीने घर में ही बैठना पड़ा.उसके बाद कोविड आ गया और फिल्में टीवी पर रिलीज होने लगी.साल 2019 मेरे लिए बहुत अच्छा रहा था.क्योंकि उसी  साल दर्शकों ने मुझे बहू और बेटी के तौर पर स्क्रीन पर स्वीकार  कर लिया था. मेरी फिल्म कॉर्पोरेट बहू,सेनूर, रानी बेटी राज करेगी, बहु रानी सास महारानी, दुआह बियाह सब पिक्चर को उन्होंने भर भर के टीआरपी दिया.

अभिनेत्रियों को एक्टिंग के नाम पर अंग प्रदर्शन नहीं करना पड़ रहा 

 थिएटर की कमी कोई पूरी नहीं कर सकता लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि थिएटर में ज्यादातर पुरुष लोग ही सिनेमा देखने जाते थे. फीमेल बहुत कम जाती थी लेकिन जब से टीवी पर भोजपुरी फ़िल्में रिलीज होने  है. फीमेल दर्शकों की तादाद सबसे ज्यादा बढ़ गई है, जो हमारे लिए सबसे अच्छी बात है. घर में बैठकर हमारी औरतें भोजपुरी फिल्म देख रही है क्या यह कम बात है. अब बहुत ही क्लीन फिल्में बन रही है.एक भी छोटा सा ऐसा सीन नहीं होता है ,जो आप अपने परिवार के साथ देखते हुए असहज महसूस करें.अभिनेत्रियों के लिए भी अच्छा समय है कि उन्हें एक्टिंग के नाम पर अंग प्रदर्शन नहीं करना पड़ रहा है.

 खेसारी लाल के साथ इस वजह से फिल्म नहीं की थी 

अपने अभिनय कैरियर की बात करूं तो मैं  इस मामले में मैं लकी हूं कि मुझे कभी भी ऐसा कोई सीन नहीं करना पड़ा, जिसमें मुझे नाभि , पेट या क्लीवेज दिखाना .वैसे जब मैंने फिल्में करनी शुरू की तो उस वक्त के बाद से  बहुत साफ सुथरी बनने लगी है. वैसे मैंने कई  ऐसी फिल्मों को मना भी किया है .एक बार मुझे खेसारी लाल के साथ एक फिल्म ऑफर हुई थी. जिसमें मेरा किरदार नेगेटिव प्लस बोल्ड का था. मैंने बोल दिया कि नहीं मेरे दर्शक फैमिली ऑडियंस हैं  तो मैं यह सब नहीं करूंगी. फिल्मों में डबल मीनिंग के डायलॉग भी मैंने बोलने से मना किया है. 

म्यूजिक इंडस्ट्री और फ़िल्म इंडस्ट्री का विभाजन जरुरी है 

 म्यूजिक इंडस्ट्री अलग काम रही है और फिल्म इंडस्ट्री अलग .अभी यही बदलाव आया है. जो लोग सिंगर है .उनके गाने लोग सुन रहे हैं लेकिन उनकी फिल्मों को लोग एक्सेप्ट नहीं कर रहे हैं. जो एक्टर है .उनकी लोग फिल्में देख रहे हैं. अभी दर्शकों ने एकदम डिवाइड कर दिया है. अभी एक-दो साल और जाने दीजिए. फिर देखिए और क्या सिनेरियो होता है. म्यूजिक इंडस्ट्री और फिल्म इंडस्ट्री एकदम से अलग हो जाएगी. मुझे लगता है कि यह विभाजन जरूरी भी है .क्योंकि क्या होता है ना एल्बम में हम किसी भी तरह के गाने बनाकर मनोरंजन के लिए रिलीज कर देते हैं.वीडियो भी हम कैसे भी बना कर रिलीज कर देते हैं,लेकिन फिल्मों में एकदम ऑपोजिट होता है. फिल्मों में सीन के हिसाब से गाने बनते हैं. एल्बम वाले लोग फिर क्या करते हैं .उसमें भी अश्लीलता को कहीं ना कहीं जोड़ने लगते हैं, जो की बहुत ही गलत है. यह विभाजन होने से चीज एकदम क्लियर हो जाएगी कि जिनको क्षणिक आनंद लेना है.वह एल्बम देख एल्बम देखें और सुने जिनको अच्छी चीजें  देखना और सुनना है.वह फिल्में देखें.

इस वजह से संजना राज से बनी  संजना पांडेय 

 २०११ में जब मैंने शुरुआत की तो मेरा नाम संजना राज था जबकि असल में मेरा ओरिजिनल नाम संजना पांडे ही है. इंडस्ट्री में जब शुरुआत की थी , तो  कुछ लोगों ने मुझे राय दी की आप अपना सरनेम हटा दो. किसी को पता भी नहीं चलेगा कि आप ब्राह्मण फैमिली से हो और आप हर कैंप में काम भी कर पाओगे. समय के साथ मैंने महसूस किया कि मैंने ऐसा क्यों किया. मैं एक कलाकार हूं. कास्ट को क्यों छुपाना. मेरा आर्ट देखेंगे लोग ना की मेरा कास्ट देखेंगे. इसके बाद मैं बड़े गर्व से अपना सरनेम वापस से अपने नाम के साथ जोड़ लिया.

एक्टिंग और सिंगिंग में बैलेंस करना चाहूंगी 

अपने करियर की प्लानिंग पर बात करूं तो मैं हर तरह के रोल करना चाहूंगी. मैं खुद को अलग-अलग जॉनर में देखना चाहती हूं. मुझेथोड़ा  एक्शन से थोड़ा डर लगता है ,लेकिन अगर मौका मिलेगा तो मैं वह भी  करूंगी.जहां तक मेरे सिंगिंग की बात है तो मैं काफी समय से वह छोड़ दिया था लेकिन मैं फिर से उसे पर फोकस करना चाहूंगी. कोशिश रहेगी कि महीने दो महीने में दर्शकों के सामने देवी गीत या  भजन टाइप कुछ  ला पाऊं.भोजपुरी मिटटी की खुशबू और संस्कृति को अलग अंदाज में पेश करना चाहूंगी

अपकमिंग फिल्म

बीफॉर यू  चैनल पर गवनवा के साड़ी, आंगन के लक्ष्मी इंटरटेन चैनल पर आएगी उसके बाद सास बहू और साजिश मेरी फिल्म  रिलीज होगी

Next Article

Exit mobile version