50 years of deewar : मेकअपमैन का खुलासा उस सीन में अमित जी को गिरकर चोट लग सकती थी
बिग बी के मेकअप मैन दीपक सावंत ने फिल्म दीवार से जुड़े अमिताभ बच्चन के लुक और फिल्म की शूटिंग के बारे में इस इंटरव्यू में बातचीत की है
50 years of deewar :अमिताभ बच्चन स्टारर फिल्म दीवार आज पचास साल पूरे कर लिए हैं.कहते हैं कि जंजीर ने अमिताभ बच्चन को एंग्री यंग मैन की इमेज दी थी,जबकि फिल्म दीवार ने अमिताभ बच्चन की एंग्री यंग मैन की छवि को इंडस्ट्री में स्थापित किया था.अमिताभ बच्चन की एक्टिंग के साथ -साथ फिल्म में उनके लुक की भी बेहद तारीफ हुई थी. अमिताभ के मेकअप मैन दीपक सावंत ने अमिताभ के लुक और फिल्म की शूटिंग से जुड़े दिलचस्प किस्से साझा किए. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत
शर्ट को बांधने का आईडिया अमित जी का था
फिल्म में बांधे हुए ब्लू शर्ट में अमित जी का लुक दीवार फ़िल्म की यूएसपी थी. फिल्म के सभी पोस्टर में वह लुक था. शर्ट को नीचे से बांधने का आईडिया बच्चन जी का ही था.वह शर्ट लंबी थी. उसको फिर से ठीक करने में समय जाता था इसलिए अमित जी ने ख़ुद से उसको नीचे से बाँध लिया और वह स्टाइल स्टेटमेंट बन गया .वैसे अमित जी कुछ भी करते हैं, वह अपने आप स्टाइल स्टेटमेंट बन जाता है.फिल्म में उनका दो लुक था. एक जब वह डॉक् में काम करते हैं तो वह अलग होता है और जब वह जुर्म की दुनिया के डॉन बन जाते हैं, तो वह अलग होता है. इस पर भी हमारी बात हुई थी. कैसे अलग और खास रखना है. उस दौर में अभिनेता एक वक़्त में एक फिल्म नहीं करते थे बल्कि तीन अलग -अलग शिफ्ट्स में तीन अलग -अलग फिल्मों की शूटिंग करते थे. ऐसे में लुक में यह बारीकी उस वक्त क्रिएट करना आसान नहीं होती थी.
मजदूर वाले लुक देने में समय जाता था
जैसा कि मैंने पहले बताया कि फ़िल्म दीवार में अमित जी का दो लुक है एक मज़दूर वाला और एक डॉन वाला. दोनों में से मजदूर वाले लुक को देने में मेहनत करनी पड़ती थी. उस लुक के लिए हल्की दाढ़ी भी दिखानी थी. उस वक़्त हमलोग तीन शिफ्ट में काम करते थे.अमित जी दीवार के साथ – साथ अदालत फिल्म की भी शूटिंग कर रहे थे तो वह असली दाढ़ी मज़दूर वाले लुक में नहीं रख सकते थे. हमें दाढ़ी बनानी पड़ी. नकली बालों को छोटा- छोटा काट कर अमित जी के गालों पर वेसलीन लगाकर बालों को सीधा चिपका कर दाढ़ी का लुक देता था. इसमें हर दिन एक घंटे जाते थे.मजदूर वाले लुक में और किसी तरह के मेकअप की जरूरत नहीं होती थी क्योंकि उस लुक की डिमांड ही वही होती थी. बाल भी थोड़े बहुत अव्यवस्थित होते थे .फिल्म में जो उनका डॉन वाला लुक था उसमें ज़्यादा कुछ नहीं करना पड़ता था . उस लुक में 20 से 25 मिनट जाते थे और शॉट के लिए वह तैयार हो जाते थे. हां उस लुक में हमने बालों का स्टाइल मजदूर से अलग रखा था ताकि लोगों को फर्क समझ में आए.
तो अमित जी को चोट लग सकती थी
दीवार का नाम लेते ही कई आइकॉनिक सींस और डायलॉग की बात शुरू हो जाती है. चूँकि अमित जी का मैं मेकअप मैन था इसलिए सारे सीक्वेंस का मैं गवाह रहा हूं. सबसे टफ सीन की बात करूं तो वह क्लाइमेक्स वाला सीन था.क्लाइमेक्स सीन की शूटिंग चांदीवली स्टूडियो में हुई थी. यह सीन पहले सुबह शूट होने वाला था,लेकिन इसकी शूटिंग देर रात में हुई थी .मंदिर वाले पूरे सीन को मैं अमित जी की कलाकारी कहूंगा.कैसे उठना है. कैसे गिरना है .घंटी को कैसे पकड़ना है .मां के गोद में कैसे गिरना है .उस सीक्वेंस की शूटिंग में अमित जी को गिरकर चोट भी लग सकती थी,क्योंकि गोली लग चुकी थी इसलिए उन्हें लड़खड़ाते पैरों के साथ सीन शूट करना था,लेकिन उन्होंने सबकुछ अच्छे से कर लिया.वह सीन उनके अभिनय की महानता को दिखाता है.किसी भी युवा कलाकार के लिए वह सीन किसी अभिनय की किताब से कम नहीं है.