बिहार की शान Pankaj Tripathi का असली नाम जानते हैं आप, गांव की लड़कियों को यूं करते थे इम्प्रेस

Pankaj Tripathi: पंकज त्रिपाठी की सोशल मीडिया पर तगड़ी फैन-फॉलोइंग है. फैंस उनकी एक झलक पाने के लिए बेताब रहते हैं. क्या आप जानते हैं कि बिहार के रहने वाले इस एक्टर ने अपना सरनेम क्यों अचानक बदल दिया था.

By Ashish Lata | September 5, 2024 6:04 PM
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Pankaj Tripathi: बॉलीवुड एक्टर पंकज त्रिपाठी अपनी दमदार एक्टिंग के लिए जाने जाते हैं. एक्टर ने एक से बढ़कर एक सुपरहिट फिल्में दी है, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा है. हाल ही में आई मिर्जापुर 3 में कालीन भैया के रूप में एक्टर ने वाहवाही बटोरी. बॉलीवुड इंडस्ट्री में अपनी अदाकारी से जलवा बिखरने वाले पंकज त्रिपाठी वास्तव में बिहार के गोपालगंज जिले के बेलसंड गांव में पले-बढ़े हैं. उनके पिता एक किसान और पुजारी थे और उनका पालन-पोषण बेहद सादगी में हुआ था.

क्या आप जानते हैं पंकज त्रिपाठी ने भी बदला है अपना सरनेम

पंकज त्रिपाठी जब अपने करियर में आगे बढ़ने की सोच रहे थे, तो एक्टर ने अपना टाइटल बदला था. जी हां एक इंटरव्यू में एक्टर ने फैंस के साथ इस मजेदार किस्से को शेयर किया. पंकज त्रिपाठी ने इंडिया टीवी संग बात करते हुए कहां, ”इतिहास में यह पहली बार हुआ होगा, जब एक बेटे ने अपने साथ अपने पिता का भी सरनेम चेंज किया हो.”

पंकज त्रिपाठी ने क्यों चेंज किया अपना सरनेम

एक्टर ने कहा, ”मैं 10वीं का एडमिट कार्ड भर रहा था. मेरे चाचाजी अपना सरनेम त्रिपाठी रखते थे और वे भारत सरकार में एक अधिकारी बन गए थे. एक बाबा भी थे, जिनका सरनेम त्रिपाठी था, वे हिन्दी के प्रोफेसर बन गए. मुझे लगा कि जिन लोगों ने अपना सरनेम बदला, वह सफलता पा रहे हैं और जिनका नाम तिवारी था, वे सभी या तो पुजारी थे या खेती करते थे. मैं किसान या पुजारी नहीं बनना चाहता था. इसलिए मैंने फॉर्म में अपना नाम त्रिपाठी लिखा, लेकिन फिर मैंने सोचा कि मैं फॉर्म में अपने पिता का नाम तिवारी नहीं लिख सकता, क्योंकि यह खारिज हो सकता हैय इसलिए मैंने उसका नाम भी बदल दिया.”

गांव की लड़कियों को इम्प्रेस करने के लिए क्या करते थे पंकज त्रिपाठी

पंकज त्रिपाठी ने आगे कहा, गांव में अपने पुराने दिनों को याद करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे वह लड़कियों को इम्प्रेस करने के लिए साइकिल पर स्टंट करते थे. अभिनेता ने कहा, ”मैं साइकिल पर स्टंट करता था, क्योंकि एक लड़का था जो ऐसे स्टंट करता था और वह लड़कियों के बीच बहुत लोकप्रिय था. मैं उस समय की बात कर रहा हूं, जब मैं स्कूल में 7वीं या 8वीं कक्षा में था. उस समय स्कूल में एक धीमी साइकिल रेस का आयोजन किया जाता था, वह लड़का रेस का विजेता था, लड़कियों के बीच लोकप्रिय हो गया. इसलिए, मैंने यही बात सीखी कि मैं अगले साल विजेता बनूंगा, लेकिन मैं हार गया, मैं विजेता नहीं था.

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