Bittu Film Review : दोस्ती की यह कहानी… मिड डे मील योजना पर गंभीर सवाल भी उठाती है

Bittu Movie Review Film Is Devastating Tale Of Friendship and Negligence bud : 2013 में बिहार के प्राथमिक विद्यालय में पेस्टिसाइड मिला मिड डे मील खाने से 23 बच्चों की ज़िंदगी छीन गयी थी. इसी घटना पर लघु फ़िल्म बिट्टू का बैकड्रॉप है लेकिन मूल रूप से यह फ़िल्म दोस्ती की कहानी है बिट्टू और चंदा की.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 7, 2021 6:31 PM

Film Review Bittu

फ़िल्म : बिट्टू

निर्देशिका : करिश्मा देव दुबे

कलाकार : रानी कुमारी,रेणु कुमारी,सौरभ शाश्वत और अन्य

रेटिंग : तीन

2013 में बिहार के प्राथमिक विद्यालय में पेस्टिसाइड मिला मिड डे मील खाने से 23 बच्चों की ज़िंदगी छीन गयी थी. इसी घटना पर लघु फ़िल्म बिट्टू का बैकड्रॉप है लेकिन मूल रूप से यह फ़िल्म दोस्ती की कहानी है बिट्टू और चंदा की. बिट्टू फ़िल्म 47 स्टूडेंट अकादमी अवार्ड की विनर रह चुकी है. इन दिनों यह फ़िल्म ऑस्कर की बेस्ट शार्ट फ़िल्म इन लाइव एक्शन की दौड़ में शामिल है.

16 मिनट की इस फ़िल्म की शुरुआत चंदा और बिट्टू से होती है जो स्कूल के कपड़े पहने हुए रास्ते में खड़े लोगों का भोजपुरी गानों को गाकर मनोरजंन कर रही है ताकि उनसे उन्हें कुछ पैसे मिल जाए. सभी उनके डांस और गाने का मज़ा ले रहे हैं और पैसे दे रहे हैं. अगले दृश्य स्कूल में हैं डांस और गाने में अव्वल बिट्टू पढ़ाई में अच्छी नहीं है.

स्कूल के टीचर जब बिट्टू को इसके लिए डांटते हैं तो स्कूल के बाकी बच्चों के साथ साथ चंदा भी बिट्टू पर हंसती है. इससे बिट्टू नाराज होकर चंदा से मारपीट करती है. प्रिंसिपल बिट्टू को सॉरी कहने के लिए कहती है लेकिन जिद्दी बिट्टू नहीं मानती है .सजा तय होती है कि उसे आज मिड डे मील नहीं मिलेगा. उसके बाद कहानी में जो घटनाक्रम जुड़ता है वो फ़िल्म को मार्मिक बना देता है.

फ़िल्म को डॉक्यूमेंट्री के अंदाज़ में शूट किया गया है. फ़िल्म में दोस्ती की कहानी दिखाने के साथ साथ बहुत खूबसूरती के साथ कई मुद्दों को भी छुआ है. किसी उपदेश वाले डायलॉग बिना यह फ़िल्म सशक्त तरीके से सरकारी स्कूल और उसमें पढ़ रहे बच्चों के प्रति अनदेखी की बात रखती है. खाना बनाने वाली महिला,स्कूल प्रिंसिपल को कहती है कि तेल से अजीब तरह की बदबू आ रही है लेकिन उसे कोई फर्क नहीं पड़ता है.मिड मिल के निरीक्षण करने की व्यवस्था की अहमियत पर भी यह फ़िल्म ज़ोर देती है .

स्कूल यूनिफार्म में सड़क पर नाच रही बच्चियों को कोई नहीं कहता कि उन्हें ये सब नहीं करना चाहिए बल्कि अपने स्कूल में होना चाहिए। समाज की इस रवैये पर भी सवाल उठाती है.वैसे फ़िल्म में समाज के सिर्फ बुरे पहलू को ही नहीं दिखाया गया है बल्कि टीचर के माध्यम से एक ऐसे पहलू को भी दिखाया है.जो अपना समय और मेहनत दें. अच्छी शिक्षा के माध्यम से इन बच्चों समाज की मुख्यधारा में लाना चाहता है.

Also Read: Yeh Rishta Kya Kehlata Hai एक्‍ट्रेस लता सबरवाल छोड़ी टीवी इंडस्‍ट्री, कही ये बात

इस फ़िल्म डायलॉग नाममात्र है।पूरी फिल्म को एक्सप्रेशन औऱ इमोशन के ज़रिए कहा गया है। फ़िल्म का कैमरावर्क अच्छा है जो हर एक किरदार के एक्सप्रेशन से लेकर फ़िल्म के पहाड़ी इलाके वाले बैकड्रॉप को भी कैमरे में बखूबी कैद किया है जो इस मार्मिक कहानी को एक अलग ही टच देता है.

अभिनय की बात करें तो बिट्टू के किरदार में रानी कुमारी ने बेहतरीन परफॉरमेंस दिया है.अपने किरदार के चंचल,जिद्दी, विद्रोही हर रंग को बखूबी उकेरा है.इसके साथ ही रेणु कुमारी ,सौरभ शाश्वत सहित सभी ने इस लघु फ़िल्म में अपने अपने हिस्से के दृश्यों को अपने अभिनय से रियल बनाया है.

Next Article

Exit mobile version