बॉलीवुड इंडस्ट्री में इन-दिनों फिल्मों पर भारी संकट गहराया हुआ है. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां जो भी फिल्में रिलीज हो रही है, वह बुरी तरह फ्लॉप कर रही है. बड़ी बजट वाली फिल्में भी कमाल नहीं कर पा रही है. वहीं ये फिल्म चीन में ताबड़तोड़ कमाई कर रही है. अब सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) के सचिव अपूर्व चंद्रा ने इंडस्ट्री मंडल फिक्की की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ”हमें इस प्रवृत्ति को उलटने और यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि स्थानीय फिल्में देश के भीतर अधिक कारोबार करें.”
उन्होंने कहा कि भारत में सिनेमाघरों की संख्या पांच-छह साल पहले लगभग 12,000 से घटकर 8,000 रह गई है, जबकि इसी अवधि में चीन में फिल्म हॉल की संख्या 10,000 से बढ़कर लगभग 70,000 हो गई है. अपूर्व चंद्रा ने कहा, इसलिए कुछ भारतीय फिल्में भारत की तुलना में चीन में बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं, जो एक ऐसा चलन है, जिसे हमें उलटने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हल स्थानीय तौर पर अधिक थिएटर खोलना है. चंद्रा ने कहा कि सरकार नव-निर्मित फिल्म सुविधा कार्यालय (एफएफओ) को यह कार्य सौंप रही है, जो अनुमति को आसान बनाने के लिए ‘इन्वेस्ट इंडिया’ और राष्ट्रीय एकल मंजूरी पोर्टल के साथ काम करेगा.
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अपूर्व चंद्रा ने कहा कि थिएटर खोलना किसी इंडस्ट्री की स्थापना से कम नहीं है. उन्होंने अफसोस जताया कि पश्चिम बंगाल के मालदा के 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहर में एक भी थिएटर नहीं है. कर्नाटक में एक अनुभव का हवाला देते हुए, जहां मंत्रालय के हस्तक्षेप से पिछले 3-4 महीनों में शहरों में छह थिएटर खोलने में मदद मिली है. अपूर्व चंद्रा ने और अधिक मिनी थिएटर बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि लोग चाहते हैं कि फिल्में सही कीमत पर आएं और संबंधित इंडस्ट्री को इसका ध्यान रखने की जरूरत है. इस बीच, अपूर्व चंद्रा ने कहा कि सरकार संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में सिनेमेटोग्राफ अधिनियम में संशोधन पेश करेगी. उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने सोमवार को मुंबई में फिल्म निर्माताओं के साथ चर्चा की, जिन्होंने पायरेसी पर अंकुश लगाने और ‘यू/ए’ प्रमाणीकरण केवास्ते आयु वर्गीकरण के लिए परिवर्तनों का स्वागत किया. (भाषा इनपुट के साथ)