बॉलीवुड के मशहूर सिंगर सोनू निगम 30 जुलाई को अपना 50वां जन्मदिन मना रहे हैं. तीन दशकों से अपनी सुरीली आवाज से फिल्म इंडस्ट्री को मंत्रमुग्ध करने वाले सोनू की खूबसूरत आवाज बॉलीवुड तक ही सीमित नहीं है. उन्होंने हिंदी के अलावा बंगाली, तेलुगु, गुजराती, कन्नड़, मराठी, ओडिया, मलयालम और भोजपुरी जैसी कई भाषाओं के गानों को अपनी आवाज दी है. हालांकि, सोनू को यह सफलता कड़ी मेहनत और संघर्ष के बाद मिली है. एक समय ऐसा भी था जब वे भूखे-प्यासे म्यूजिक कंपोजर्स के दरवाजे पर जाते थे.
पापा से मिली थी गाने की कला
सोनू निगम को संगीत अपने पिता से विरासत में मिला है, और वे मानते हैं कि उनके सामने उनका संघर्ष कुछ भी नहीं है. सोनू के पिता, अगम निगम, ने 15 साल की उम्र में घर छोड़ दिया था और कई रातें रेलवे स्टेशन पर बिताईं. बाद में, उन्होंने शोभा से प्रेम विवाह किया और दोनों मिलकर स्टेज शो किया करते थे.
सोनू निगम ने किया था ज़िद्द
सोनू निगम ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि एक दिन उनके पिता स्टेज पर ‘क्या हुआ तेरा वादा’ गा रहे थे. उस समय सोनू ने भी जिद करके स्टेज पर चढ़कर गाना शुरू कर दिया. लोगों को उनका गाया गाना पसंद आया, और इसके बाद वे अपने पिता के साथ स्टेज शो करने लगे. इसके बाद से उन्हें एक पेशेवर सिंगर के रूप में बुक किया जाने लगा.
यहां से मिली थी असली पहचान
सोनू निगम को पांच साल बाद ‘सा रे गा मा पा’ में बड़ा मौका मिला, जहां उन्होंने शो को होस्ट किया. उनकी आवाज का तो हर कोई दीवाना था, लेकिन उनके विनम्र स्वभाव ने भी लोगों को प्रभावित किया. इस शो के बाद, ‘टी सीरीज’ के मालिक गुलशन कुमार ने सोनू को एलबम ‘रफी की यादें’ में गाने का अवसर दिया. सोनू ने इस एलबम में बतौर प्लेबैक सिंगर गाया और एक ही रात में सुपरहिट हो गए. स्टेज शोज में भी सोनू अक्सर रफी साहब के गाने गाते रहे.
इंडस्ट्री को दिए ये लाजवाब गाने
इसके बाद, सोनू की जिंदगी मानो पूरी तरह बदल गई. उन्होंने कई हिट गाने गाए, जिनमें ‘संदेशे आते हैं’, ‘कभी खुशी कभी गम’, ‘दो पल रुका’, ‘अपने तो अपने होते हैं’, ‘कल हो ना हो’, ‘सूरज हुआ मद्धम’ और ‘कभी अलविदा ना कहना’ जैसे शानदार गाने शामिल हैं, जो बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री को दिए.
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