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Bollywood Stories: कभी सिर्फ 40 रुपये थी जिनकी कमाई, आज OTT स्टार बन है कई सक्सेसफुल प्रोजेक्ट्स का हैं हिस्सा

जितेंद्र कुमार ने 40 रुपये प्रति दिन की कमाई पर काम शुरू किया और आज एक सफल ओटीटी स्टार बन गए हैं. TVF पिचर्स और कोटा फैक्ट्री जैसी हिट वेब सीरीज से पहचान बनाने वाले जितेंद्र कुमार ने आईआईटी खड़गपुर से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है.

By Sahil Sharma | October 12, 2024 8:38 PM
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जितेंद्र कुमार: जंगल में झोपड़ी से लेकर OTT स्टार तक का सफर

Bollywood Stories: अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान और रजनीकांत जैसे बड़े सुपरस्टार्स जिन्होंने कभी भारी संघर्ष का सामना किया, लेकिन हार नहीं मानी. ठीक इसी तरह, एक और एक्टर जिसने कभी 40 रुपये प्रति दिन की कमाई पर गुजारा किया, आज लाखों रुपये प्रति शो कमा रहे हैं. यह एक्टर और कोई नहीं, बल्कि आईआईटी से ग्रेजुएट और ओटीटी स्टार जितेंद्र कुमार हैं. 

जंगल में झोपड़ी और संघर्ष भरा बचपन

जितेंद्र कुमार का जन्म राजस्थान के खैरथल, अलवर में हुआ था. हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने संघर्ष भरे दिनों को याद करते हुए बताया कि उनका परिवार एक समय जंगल में एक झोपड़ी में रहता था. उन्होंने कहा, “हमारी एक झोपड़ी जंगल में थी. हमारा पूरा परिवार वहां रहता था. यह स्थिति लगभग छह से सात महीने तक रही, जब उनके पिता और चाचा, जो दोनों सिविल इंजीनियर थे, ने नए कमरे बनाए. जितेंद्र ने इस अनुभव को ‘अजीब और असहज’ बताया.

Jitendra kumar

आईआईटी से लेकर एक्टिंग तक का सफर

जितेंद्र कुमार ने आईआईटी खड़गपुर से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की, लेकिन उनके दिल में हमेशा से एक्टिंग का जुनून था. 2013 में उन्होंने मुन्ना जज्बाती: द Q-टिया इंटर्न में काम किया, जो वायरल हुआ और 3 मिलियन व्यूज़ क्रॉस कर गया। इसके बाद उन्होंने कई पॉपुलर वेब सीरीज और शोज में काम किया, जिनमें टीवीएफ बैचलर्स कोटा फैक्ट्री , और पंचायत शामिल हैं.

प्रसिद्ध किरदार और सफलता की कहानी

जितेंद्र कुमार को उनके किरदारों के लिए खास पहचान मिली, जैसे कि TVF पिचर्स के जितेंद्र महेश्वरी, परमानेंट रूममेट्स के गिट्टू, और कोटा फैक्ट्री के जीतु भैया. आज वह हर शो के लिए 5-6 लाख रुपये कमा रहे हैं और ओटीटी की दुनिया के चमकते सितारे बन गए हैं. 

काम की शुरुआत और शुरुआती संघर्ष

जितेंद्र ने 11 साल की उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया था. वह पेंटर्स और कारपेंटर्स के साथ काम करते हुए घर बनाने की प्रक्रिया में हिस्सा लेते थे और इसके लिए उन्हें 40 रुपये प्रति दिन मिलते थे. हालांकि, उनके पिता को यह पसंद नहीं था कि जितेंद्र इतनी छोटी उम्र में काम कर रहे हैं, लेकिन जितेंद्र को इस काम से खास खुशी मिलती थी. 

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