II उर्मिला कोरी II
फिल्म: राब्ता
निर्माता: दिनेश विजान, होमी अदजानिया, भूषण कुमार
निर्देशक: दिनेश विजन
संगीत: प्रीतम चक्रवर्ती
कलाकार: सुशांत सिंह राजपूत ,कृति सनोन ,जिम सरभ ,वरुण शर्मा और अन्य
रेटिंग: ढाई
‘राब्ता’ के पहले प्रोमो के साथ ही इस फिल्म के साउथ की सुपरहिट फिल्म ‘मगधीरा’ से प्रेरित होने की बात सामने आयी थी. मामला कोर्ट तक जा पहुंचा, लेकिन कोर्ट केस में यह मामला ख़ारिज हो गया. ‘राब्ता’ भले ही ‘मगधीरा’ न हो लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि फिल्म की कहानी में नयापन नहीं है, वहीं पुनर्जन्म के सालों पुराने फार्मूले और कभी न मिटने वाले प्यार की कहानी है. जो अब तक हम कई फिल्मों में देखते आये हैं.
इस पुरानी कहानी पर आए तो फिल्म की कहानी शिव (सुशांत सिंह राजपूत) की है, जो पंजाब से बुडापेस्ट नौकरी के लिए आया है. वह कूल और लेडी किलर टाइप का बंदा है, किसी और के साथ डेट पर जाता है लेकिन उसे वहां सायरा (कृति सैनन) दिख जाती है. यूँ तो असल ज़िन्दगी में ऐसे लड़कों को कुछ और कहा जाएगा लेकिन फिल्म में तो सब जायज़ है इसलिए थोड़ी बहुत इंकार के बाद सायरा शिव के प्यार को हाँ कह देती है. उसके बाद कहानी में तीसरे किरदार की एंट्री होती है जिम सारभ जो बहुत रईसजादा है.
जिम जितना रईस है उतना बुरा भी वह भी अपनी हीरोइन सायरा को चाहने लगता है चूँकि सायरा शिव को प्यार करती है तो जिम को कैसे हाँ बोल सकती है. जिम को यह बात बुरी लगती है. वह सायरा को किडनैप कर लेता है. इंटरवल तक यही चलता है फिर कहानी पुनर्जन्म से पहले में चली जाती है. शिव और सायरा इससे पहले भी मिले हैं. उनका प्यार कई जन्मों पुराना है. पिछले जन्म में वह एक नहीं हो पाए थे क्या इस जन्म में उनका प्यार पूरा हो पायेगा. यही आगे की कहानी है. फिल्म की कहानी में नयापन नहीं है. फिल्म के पहले हिस्से में किरदारों और उनकी लवस्टोरी से जुड़ाव भी महसूस करते हैं लेकिन जब कहानी हॉलीवुड फिल्म ३०० से प्रेरित समय में पहुंच जाती तो यह जुड़ाव कम हो जाता है. जो किसी भी लव स्टोरी फिल्म की सबसे बड़ी खामी है.
जिम सारभ के किरदार का कृति के किडनैप वाली कहानी भी जमती नहीं है. यूरोप में भी कानून का कोई डर नहीं है क्या. फिल्म सेकंड हाफ के बाद खींचती हुई प्रतीत होती है. फिल्म की खूबियों की बात करें तो फिल्म के लोकेशंस और सुशांत सिंह राजपूत और कृति की केमिस्ट्री खास बन पड़ी है. जो इस फिल्म की कमज़ोर कहानी से दर्शक को जोड़े रख पाते हैं.
अभिनय की बात करें तो सुशांत सिंह अपनी हर फिल्म के साथ निखरते जा रहे हैं. शिव और जालान के किरदार में अंतर् रखने के लिए उन्होंने जालान की आवाज़ की डबिंग थोड़ी भारी आवाज़ में की है. इसके अलावा बॉडी लेंग्वेज पर भी उन्होंने काम किया है. कृति भी अपने किरदार में फिट हैं हाँ इमोशनल सीन में वह थोड़ी कमज़ोर लगती हैं. जिम सरभ हिंदी डायलाग के साथ संघर्ष करते दिखे हैं. उनका किरदार उतना प्रभावी नहीं है जितनी कहानी की ज़रूरत थी.
राजकुमार राव को पूरी तरह से वेस्ट किया गया है. उनके मेकअप पर ज़्यादा ध्यान दे दिया गया है. वरुण धवन और निधि ने सहायक अभिनेता के तौर पर अच्छा काम किया है. फिल्म के संवाद अच्छे बन पड़े हैं. खासकर फर्स्ट हाफ में कृति और सुशांत के बीच के संवाद. फिल्म का बैकग्राउंड और संगीत दोनों कहानी के अनुरूप है. दीपिका पादुकोण का आइटम गीत अपीलिंग है. कुलमिलाकर राब्ता अपनी रटी रटाई कहानी की वजह से मनोरंजन से राब्ता नहीं रख पाती है. अगर आप सुशांत सिंह राजपूत के फैन हैं तो ही फिल्म आपके लिए है.