FILM REVIEW: कॉमेडी का डोज़ है ”बैंक चोर”

II उर्मिला कोरी II फ़िल्म: बैंकचोरनिर्माता: यशराज फिल्म्सनिर्देशक: बम्पीकलाकार: विवेक ओबेरॉय, रितेश देशमुख, भुवन अरोरा,विक्रम थापा, रिया,बाबा सहगल और अन्यरेटिंग: ढाई यशराज बैनर नए प्रयोगों के तहत इस बार कॉमेडी जॉनर की कहानी को ‘बैंक चोर’ के ज़रिए सामने लेकर आए हैं. फ़िल्म की कहानी चंपक (रितेश देशमुख) की है. जिसे अपने पिता के इलाज […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 16, 2017 4:20 PM

II उर्मिला कोरी II

फ़िल्म: बैंकचोर
निर्माता: यशराज फिल्म्स
निर्देशक: बम्पी
कलाकार: विवेक ओबेरॉय, रितेश देशमुख, भुवन अरोरा,विक्रम थापा, रिया,बाबा सहगल और अन्य
रेटिंग: ढाई

यशराज बैनर नए प्रयोगों के तहत इस बार कॉमेडी जॉनर की कहानी को ‘बैंक चोर’ के ज़रिए सामने लेकर आए हैं. फ़िल्म की कहानी चंपक (रितेश देशमुख) की है. जिसे अपने पिता के इलाज के पैसे चाहिए. वह अपने दो दोस्त गुलाब और गेंदा के साथ बैंक चोरी का प्लान बना लेता है. क्या वो चोरी में कामयाब होंगे. यह कहानी नहीं है बल्कि कहानी कुछ और ही है. फ़िल्म में एक कड़क सीबीआई ऑफिसर है साथ में पुलिस, राजनेता और मीडिया भी. इन्ही का घालमेल इस फ़िल्म की कहानी है. स्क्रिप्ट की बात करें तो इसमें थ्रिल है जो इसे रोमांचक बना देता है. जिससे उत्सुकता बनी रहती है.

फ़िल्म की स्क्रिप्ट कॉमेडी से भरपूर है. हर सिचुएशन के लिए एक कॉमेडी पंच है. हां कुछ पंच हँसाने में चूकते हैं. कॉमेडी और थ्रिलर वाली इस फ़िल्म की स्क्रिप्ट में कुछ सब्प्लॉट्स कम कर दिए जाते तो फ़िल्म की कहानी रोचक हो सकती थी. रोबिनहुड वाला प्लाट ऐसा ही एक प्लाट था. फ़िल्म आखिरी के 10 से 15 मिनट ज़बरदस्ती खींची गयी है. अमजद खान के किरदार को जब मालूम होता है कि असली चोर कौन है तो ही फ़िल्म का अंत कर दिया जाता तो ज़्यादा स्क्रिप्ट एंगेजिंग बन सकती थी. फ़िल्म का सेकंड हाफ पहले से अच्छा है.

अभिनय की बात करें तो रितेश देशमुख मराठी मानुस से बैंक चोर बनना खास रहा है. उन्होने पूरी कहानी को खुद से बांधे रखा है. विवेक ओबेरॉय भी अपने किरदार में जंचे हैं. भुवन अरोरा और विक्रम थापा गुलाब गेंदा के किरदार में खूब जमे हैं. उनकी रितेश के साथ केमिस्ट्री परदे पर अच्छी बनी है. रिया को अभी और खुद पर काम करने की ज़रूरत है.

बाबा सहगल छोटी भूमिका में ही सही हंसाने में कामयाब रहे हैं. बाकी के किरदारों का काम औसत रहा है. फ़िल्म की एडिटिंग भी कमजोर पक्ष फ़िल्म का है. फ़िल्म का बैकग्राउंड अच्छा है. फ़िल्म के दूसरे पक्ष ठीक ठाक है. कुलमिलाकर अगर आप इस तरह की कॉमेडी फिल्म जिसमें आपको घर दिमाग में रखकर आना पसंद है तो यह फ़िल्म आपके लिए ही है.

Next Article

Exit mobile version