फादर्स डे : ”पा” को बेटी श्वेता बच्चन का प्यारा खत
डियर पा, आज फादर्स डे है. हमलोगों ने इस दिन को पहले कभी सेलिब्रेट नहीं किया, लेकिन चूंकि अब यह प्रचलन में शामिल हो गया है, इसलिए मैं भी इसे उत्साह से सेलिब्रेट करना चाहती हूं. पता है आज टी-शर्ट डे भी है. हालांकि यह आज ही क्यूं है, यह मेरी समझ से बाहर है. […]
डियर पा,
आज फादर्स डे है. हमलोगों ने इस दिन को पहले कभी सेलिब्रेट नहीं किया, लेकिन चूंकि अब यह प्रचलन में शामिल हो गया है, इसलिए मैं भी इसे उत्साह से सेलिब्रेट करना चाहती हूं. पता है आज टी-शर्ट डे भी है. हालांकि यह आज ही क्यूं है, यह मेरी समझ से बाहर है. आज का दिन तो सिर्फ और सिर्फ आपका होना चाहिए न! इसलिए मैं टी-शर्ट डे को सेलिब्रेट करने के बजाय फादर्स डे ही सेलिब्रेट करना चाहूंगी.
पा मैं आज के खास दिन के लिए आपके लिए तोहफा नहीं ला पायी. सच कहूं तो मुझे कोई सूटेबल तोहफा सूझा ही नहीं, क्योंकि हमारे परिवार में तो हमेशा लिखित शब्दों को तरजीह दी जाती रही है और मैं भी इसी ट्रेंड को फॉलो कर रही हूं.
आज के दिन को सेलिब्रेट करने के तरीकों से अनजान होने के कारण मुझे आपके दिखाये रास्तों पर ही चलना बेहतर लगा और मैं इस चलन से अलग नहीं करना चाहती. आज मैं आपसे कुछ खास बातें शेयर करना चाहती हूं. हो सकता है जो कुछ भी मैं आपसे कहने जा रही हूं, उनमें से कई बातें पहले भी आपसे कह चुकी होऊंगी, फिर भी प्लीज आप उन्हें धैर्य से पढ़िएगा.
मुझे इस बात से बेहद खुशी होती है कि मेरे जन्म के समय आप हॉस्पिटल में ही मौजूद थे और आप वह सबसे पहले व्यक्ति थे, जिसने मुझे अपनी बांहों में भरा था. थैंक यू पापा कि आपने हर वीकेंड पर नैनी को छुट्टी दे दी थी, ताकि आप एक पूरा दिन मेरी देखभाल कर सकें. मुझे नहला सकें, मुझे खाना खिला सकें, मुझे सुला सकें और मेरे साथ मेरे हर पल को एन्जॉय कर सकें.
मुझे खुशी है कि मुझे मेरी नाक और मेरे लंबे हाथ-पैर आपसे विरासत में मिले हैं. हालांकि क्लास में सबसे लंबी लड़की होना कई बार मेरे लिए परेशानी का कारण भी बन जाता था और सब मुझे इसके लिए काफी चिढ़ाते भी थे, लेकिन मुझे इस बात की ज्यादा खुशी है कि मुझे कभी खुद को लंबा दिखाने के लिए कभी हाइ हील्स पहनने की जरूरत नहीं पड़ी.
मैंने डाइनिंग टाइम को आपके साथ हमेशा एन्जॉय किया और शायद इसी वजह से मुझे भोजन की खूबियों और खामियों को पहचानना आ पाया और मैं वेजिटेरियन बन सकी. विदेशों में अपने आउटडोर शूटिंग के दौरान जब मम्मा मुझे आपके द्वारा मुझे लिखे गये खतों को पढ़ कर सुनाया करती थी, तो इनसे ही मेरे मन में इतिहास और यात्रा के प्रति लगाव उत्पन्न हुआ.
आपको नहीं पता पा, मैं खुद को आपकी बांहों में कितना कंफर्टेबल और सेफ फील करती थी, खास कर तब जब मेरे सामने कोई गंदा-सा कॉकरोच आ जाता और आप मुझे झट से अपनी गोद में उठा लेते, या फिर आगे चल कर जब केवल चौपाया जानवरों से ही नहीं, बल्कि दो पैरों से चलनेवाले इनसानों की इस दुनिया में भी जब कभी मुझे किसी बुरे अनुभव से गुजरना पड़ा, उस वक्त आपके सपोर्ट ने मुझे गहरे आत्मविश्वास से भर दिया.
आपके कमरे में घंटों बैठ कर आपको पियानो बजाते हुए सुनना या फिर पूरे शहर में गाड़ी पर बैठ कर चक्कर लगाते हुए उन मधुर गानों को सुनना, जो आप मेरे लिए देश-दुनिया के अलग-अलग कोनों से कलेक्ट करके लाते थे- इस तरह के छोटे-छोटे लम्हों ने मेरे भीतर हर तरह के म्यूजिक को सुनने और उससे कुछ-न-कुछ सीखने की प्रेरणा जगायी और तभी से म्यूजिक मेरे जीवन का अहम हिस्सा बन गया. पा आपसे ही मैंने अपने हर काम में ईमानदार होना सीखा. आपने हमें सिखाया कि दुनिया चाहे कुछ भी कहे, तुम हमेशा वही करो जो तुम्हारा दिल कहे, वहीं करो जो सही है.
आज जब कभी मैं आपके ऑफिस जाती हूं और वहां आपके केबिन में अपने बच्चों के लिखे बचकाने नोट्स या ड्राइंग को दीवारों पर फ्रेम में टंगा हुआ देखती हूं, तो मुझे इस बात का अहसास होता है कि जीवन में छोटी-छोटी चीजें भी बेहद महत्वपूर्ण होती हैं.
कहना तो बहुत कुछ चाहती हूं, पर आज मैं अपने इस खत को यहीं समाप्त कर रही हूं, क्योंकि मुझे कुछ चीजें अगले साल के लिए बचा कर रखनी होंगी और कुछ आगे के लिए कभी हम दोनों मिल कर अपनी जिंदगी की किताब लिखेंगे.
एक बार फिर से आपका बहुत-बहुत थैंक्स पा, मुझे जिंदगी की वे सारी खुशियां देने के लिए, जिसकी चाह किसी भी बेटी को अपने पिता से हो सकती है. आप दुनिया के सबसे अच्छे पापा हो. आपसे ही मैंने अपनी भावनाओं को शेयर करना सीखा है, क्योंकि जानती हूं मेरी जिंदगी के कुछ पल ऐसे हैं, जो केवल हमारे हैं-आपके और मेरे.
हैप्पी फादर्स डे!
(यह खत जून, 2015 में श्वेता बच्चन द्वारा अपने पिता अमिताभ बच्चन को फादर्स डे के मौके पर लिखा गया था.)
प्रस्तुति : रचना प्रियदर्शिनी
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