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#DarkDays_Emergency : कांग्रेस कमजोर हुई तो क्या इमरजेंसी पर फिल्में बनाने का दौर चल पड़ा…?

25 जून 1975. इतिहास के पन्नों में दर्ज एक काली तारीख, जिसने भारतीय लोकतंत्र को दागदार कर दिया. बहरहाल, रविवार को उस राजनैतिक घटना के 42 साल पूरे हो गये. और इसी मौके को याद दिलाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कह दी. विपक्षी पार्टी की उस ऐतिहासिक भूल की याद […]

25 जून 1975. इतिहास के पन्नों में दर्ज एक काली तारीख, जिसने भारतीय लोकतंत्र को दागदार कर दिया. बहरहाल, रविवार को उस राजनैतिक घटना के 42 साल पूरे हो गये. और इसी मौके को याद दिलाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कह दी. विपक्षी पार्टी की उस ऐतिहासिक भूल की याद दिलाने का मौका उन्होंने भी नहीं छोड़ा.

वैसे उस समय की याद दिलाने की कोशिश में अपना बॉलीवुड भी पीछे नहीं है. भला होभी क्यों न? आखिर मौका भी है और दस्तूर भी़ केंद्र में कांग्रेस विरोधी भाजपा की इतनी शक्तिशाली सरकार और कभी न हुई थी और न ही 44 सीटोंवाली ऐसी कमजोर कांग्रेस. तो ऐसे में हमारे फिल्मकारों के हाथों एक बड़ा मौका हाथ लगा है़

इमरजेंसी पर फिल्में क्यों नहीं?

इसी दिशा में लगभग दो साल पहले तक फिल्म विश्लेषक इस बात पर चिंता जताते थे कि आखिर इमरजेंसी के दौर पर फिल्में क्यों नहीं बनतीं. अब अचानक ऐसा हुआ है कि इमरजेंसी पर बनने वाली फिल्में धड़ाधड़ बनने लगी हैं. पिछले साल नवनीत बहल निर्देशित ‘सन पचहत्तर’ से शुरू हुआ यह सिलसिला निर्देशक मधुर भंडारकर की फिल्म ‘इंदु सरकार’ तक जारी है, जिसका ट्रेलर बीते शुक्रवार को रिलीज किया गया. इसके चार दिन बाद ही मिलन लूथरिया ने अपनी अगली फिल्म ‘बादशाहो’ का टीजर जारी किया है और इस फिल्म की पृष्ठभूमि भी इमरजेंसी की है.

‘इंदु सरकार’ सच्ची-काल्पनिक घटनाओं परबनी

इन फिल्मों के ट्रेलर की बात करें, तो फिल्म ‘इंदु सरकार’ का ट्रेलर इमरजेंसी के अत्याचार से पीड़ित एक लड़की की काल्पनिक कहानी बताता है, जो कुछ सच्ची घटनाओं और पात्रों के आस-पास बुनी गयी लगती है. ट्रेलर गांधी के मायने बदलने, संजय गांधी के तीखे तेवर और जेपी आंदोलन की झलकियां दिखाता है. फिल्म में कीर्ति कुल्हारी एक हकलाने वाली लड़की की और नील नितिन मुकेश संजय गांधी की भूमिका में नजर आ रहे हैं. कम से कम ट्रेलर से तो इन दोनों की भूमिका दमदार और दिलचस्प लग रही है.

देखें टीजर –

https://www.youtube.com/watch?v=qh-_gR6a5JE

‘बादशाहो’ में जयगढ़ के किले कीकहानी

बात करें दूसरी फिल्म ‘बादशाहो’ की,तो इसका टीजर कहानी के बारे में ज्यादा नहीं बताता. यह सिर्फ पात्रों से आपकी पहली मुलाकात कराता है. इस फिल्म में छह बदमाशों – अजय देवगन, इमरान हाशमी, इलियाना डीक्रूज, ईशा गुप्ता, विद्युत जामवाल और संजय मिश्रा की कहानी होगी. टीजर की झलकियां धमाकेदार एक्शन से भरपूर हैं. ऐसी चर्चा है कि फिल्म इमरजेंसी के दौरान एक राजघराने में पड़े छापे और लूट की कहानी है. शायद इस कहानी के तार उस ऐतिहासिक घटना से जुड़े हुए हैं, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जयगढ़ के किले में छिपे खजाने की खोज में करने के लिए खुदाई के आदेश दिये थे. इस घटना का अब कहीं जिक्र भी नहीं मिलता. पहली बारयह स्क्रीन पर देखने को मिलेगा.

देखें टीजर –

60 प्रतिशत आबादी इमरजेंसी से अपरिचित

देश की जनता को इमरजेंसी से परिचित कराना जरूरी भीहै, क्योंकि हमारे युवा देश में लगभग 60 प्रतिशत आबादी ऐसी है, जिसने इमरजेंसी यानी आपातकाल का वह दौर नहीं देखा है. ऐसे में अगर बिना किसी राजनीतिक लाभ की आशा के,उस घटनापर बनी तटस्थ फिल्में बनें, तो उन्हें निस्संदेह सराहा जायेगा. सेंसर बोर्ड तो अभी इस हालत में है कि वो ऐसी फिल्मों की फंडिंग करने को भी तैयार है और उनको टैक्सफ्री करने पर भी जोर दे देगी. वक्त आ गया है कि इमरजेंसी के बारे में जो हमें गलत इतिहास पढ़ाया गया है, उसे दुरुस्त करने के लिए ऐसी और कुछ फिल्में बनायी जायें. इससे अच्छा समय अब नहीं आयेगा.

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