II उर्मिला कोरी II
फ़िल्म: मुन्ना माइकल
निर्देशक: साबिर खान
कलाकार: टाइगर श्रॉफ, नवाज़ुद्दीन सिद्दिकी, निधि अग्रवाल और अन्य
रेटिंग: दो
निर्देशक साबिर खान और अभिनेता टाइगर श्रॉफ हीरोपंती और बागी के यह इस जोड़ी की तीसरी फिल्म है. पहली दोनों फिल्मों में जहां टाइगर के एक्शन को जमकर प्रदर्शन करवाया गया था वही इस फ़िल्म में टाइगर की डांसिंग की काबिलियत को सामने लाया गया है. फ़िल्म की कहानी लव ट्रायंगल है. फ़िल्म की कहानी अनाथ लड़के मुन्ना (टाइगर श्रॉफ) की है. यह उसकी जर्नी है जो मुम्बई से दिल्ली होकर गुजरती है. फ़िल्म की शुरुआत ज़रूर सधी हुई होती है लेकिन जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ती हैं वह भटक जाती है.
फ़िल्म के दूसरे भाग में कहानी में ट्विस्ट भी है लेकिन जिस तरह से उसे परदे पर दिखाया गया है. वह कहानी को अपलिफ्ट करने के बजाय औंधे मुंह गिरा देती है. मुन्ना का किरदार का अप्रोच हर काम को लेकर बहुत कैजुअल है जो बहुत अटपटा सा लगता है. अभिनय की बात करें तो सबसे पहला नाम नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी का आता है. उनका अभिनय फ़िल्म की खासियत है. वह फ़िल्म दर फ़िल्म अपना लोहा मनवाते जा रहे हैं. वह मौजूदा दौर में इंडस्ट्री के बेहतरीन अभिनेताओं में से एक हैं.
फ़िल्म में टाइगर के मूव्स कमाल के रहे हैं उनकी मेहनत की तारीफ करनी होगी. उन्होंने बखूबी इस फ़िल्म में माइकल जैक्सन को श्रद्धांजलि दी है. फ़िल्म की कमज़ोर स्क्रिप्ट में उनके डांस थोड़ा कम बोझिल बनाते हैं. यह कहना गलत न होगा. डांस में उन्होंने कई एक्सपेरिमेंट किए है हां अभिनय में वह ज़रूर सीमित रह गए हैं. निधि अग्रवाल की यह पहली फ़िल्म हैं. डांसिंग में वह अच्छी रहीं हैं हां एक्सप्रेशन के मामले में वह चूक गयी हैं. उन्हें खुद पर और काम करने की ज़रूरत है.
फ़िल्म का गीत संगीत अच्छा है जो कहानी के साथ न्याय करने के अलावा एंगेजिंग भी है. टाइगर की फ़िल्म है तो एक्शन तो अच्छा होना ही है लेकिन ज़रूरत से ज़्यादा एक्शन सीक्वेंस कहानी के साथ जोड़े गए हैं. फ़िल्म के संवाद औसत हैं. मुन्ना झगड़ा नही करता है यह संवाद फ़िल्म में इतनी बार दोहराया गया है कि एक वक्त के बाद उससे चिढ़ होने लगती है.
फ़िल्म के बाकी के पक्ष ठीक ठाक हैं कुलमिलाकर इस फ़िल्म में कहानी ही नहीं है. जिस वजह से नवाज़ का शानदार अभिनय और टाइगर के गजब के डांस मूव और एक्शन मूव्स भी इस फ़िल्म को एंटरटेनिंग नहीं बना पाते हैं.