अब नवाजुद्दीन सिद्दिकी को नहीं लगता इस बात का डर…
नयी दिल्ली: बॉलीवुड अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दिकी फिल्मों में अभिनय करने की चाह और 2,500 रुपये के साथ सपनों की नगरी मुंबई आए थे, लेकिन इस बेदर्द शहर ने शोहरत और कामयाबी के बदले में इस बेहतरीन अभिनेता के सब्र का इतना इम्तिहान लिया कि वह हर तरह के हालात का बेखौफ मुकाबला करना सीख गया. […]
नयी दिल्ली: बॉलीवुड अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दिकी फिल्मों में अभिनय करने की चाह और 2,500 रुपये के साथ सपनों की नगरी मुंबई आए थे, लेकिन इस बेदर्द शहर ने शोहरत और कामयाबी के बदले में इस बेहतरीन अभिनेता के सब्र का इतना इम्तिहान लिया कि वह हर तरह के हालात का बेखौफ मुकाबला करना सीख गया. नवाजुद्दीन की फिल्म ‘मुन्ना माइकल’ रिलीज हो चुकी है जिसमें वे टाइगर श्रॉफ और निधि अग्रवाल के साथ स्क्रीन शेयर कर रहे हैं.
नवाज ने कहा, ‘मैं अपनी जिंदगी में पहले ही काफी कुछ देख चुका हूं. मैंने वो वक्त भी देखा है जब मेरी जेब में एक फूटी कौडी नहीं हुआ करती थी और मैं दो तीन साल तक इस तरह के फक्कड हालात में रहा हूं. एक दोस्त के यहां दोपहर का खाना खाया करता था और रात का खाना एक और मेहरबान दोस्त खिला दिया करता था, सिगरेट की तलब लगती तो एक और दोस्त काम आता था.
उन्होंने कहा, ‘ मैं 2,500 रपये के साथ मुंबई आया था. अगर फिर कभी ऐसे हालात बने कि मेरे पास सिर्फ 2,500 रपये बचे तो मैं इसे नाकामी नहीं समझूंगा. इस शहर ने मुझे बेखौफ होकर हर हालात का मुकाबला करना सिखा दिया है.’ बॉलीवुड में उन्हें पहली बार अभिनय का मौका आमिर खान की ‘सरफरोश’ से मिला जिसमें उनकी छोटी से भूमिका थी. 43 वर्षीय अभिनेता ने ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ आने से पहले तक कई फिल्मों में छोटे-छोटे किरदार निभाए. ‘गैंग ऑफ वासेपुर’ ने उनकी किस्मत बदल दी.
नवाज ने कहा कि संघर्ष के दिनों में कई बार मुंबई छोडकर चले जाने का मन होता था, लेकिन वापस जाना भी तो कोई हल नहीं था इसलिए किसी तरह अपने सपनों को थामे रहे. उन्होंने कहा, ’12 साल तक मैं इंजतार करता रहा लेकिन यह मेरी मर्जी थी. मैंने रुकना और कोशिश करते रहना चुना. मैं अभिनेता बनने के अपने ख्वाब को साकार करने के लिए सभी तकलीफों से गुजरने को तैयार था. ऐसे मौके भी आए जब लगा मुंबई छोड दूं.’
नवाज ने कहा, ‘ मैं अपने गांव नहीं लौटना चाहता था क्योंकि लोगों ने मुझसे पहले ही कहा था कि मैं अभिनेता नहीं बन सकता. दिल्ली लौटना भी मुमकिन नहीं था क्योंकि एनएसडी के मेरे सहपाठी कहते’ ‘आ गया तू भी वापस’. ये मेरी आशंकाएं थीं.’ कई फिल्मों में बहुत छोटे रोल करने के बाद नवाज ने आखिरकार अपनी पहचान बनाई और उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई. हालांकि उनका कहना है कि सफलता से उन्हें बहुत ज्यादा कोई फर्क नहीं पडा.
उन्होंने कहा, ‘गैंग्स… ‘ के बाद मैं लगातार मसरुफ हूं. मेरे पास बैठकर अपनी कामयाबी या स्टारडम का विश्लेषण करने का वक्त नहीं है. मेरी प्राथमिकता अभिनय करने और स्टारडम के बारे में नहीं सोचने की है.’ नवाज ने कहा कि पैसा और शौहरत कमाना उनका मकसद नहीं है इसलिए उसे खोने का डर उन्हें नहीं है. मेरे लिए पैसा नहीं वह तजुर्बा मेरा सर्माया है, जो मैंने अपने संघर्ष के दौर में हासिल किया. मैंने जो हासिल किया है वह मेरी उम्मीद से बहुत ज्यादा है.