…जब मुकेश के निधन पर शोमैन राजकपूर ने कहा था-मैंने अपनी आवाज खो दी

‘मैंने अपनी आवाज खो दी’. जी हां शोमैन राजकपूर ने यह बयान तब दिया था, जब महान गायक मुकेश ने अपनी अंतिम सांस ली थी और इस दुनिया को अलविदा कह गये थे. राजकपूर की यह टिप्पणी मुकेश के साथ उनके अटूट संबंधों को दर्शाती है. जब सिल्वर स्क्रीन पर राजकपूर यह गाते थे -आवारा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 22, 2017 2:32 PM
‘मैंने अपनी आवाज खो दी’. जी हां शोमैन राजकपूर ने यह बयान तब दिया था, जब महान गायक मुकेश ने अपनी अंतिम सांस ली थी और इस दुनिया को अलविदा कह गये थे. राजकपूर की यह टिप्पणी मुकेश के साथ उनके अटूट संबंधों को दर्शाती है. जब सिल्वर स्क्रीन पर राजकपूर यह गाते थे -आवारा हूं….तो लोगों को कहीं से यह प्रतीत नहीं होता था कि यह आवाज उनकी नहीं है. मुकेश ने राजकपूर के लिए हर तरह के गीत गाये, दर्द भरे नगमें हों या प्यार हुआ इकरार हुआ जैसा रोमांटिक गीत मुकेश हर गाने में अपनी आवाज का जादू दिखाते हैं.
उनकी आवाज में एक अजीब सी कशिश थी, जो लोगों को अपनी ओर खिंचती थीं.

मुकेश को बॉलीवुड में इंट्री एक नायक के तौर पर फिल्म ‘निर्दोष’ से मिली थी. लेकिन पार्श्व गायक के रूप में ‘पहली नजर’ से उन्हें ब्रेक मिला, जिसमें उन्होंने अपने रिश्तेदार मोतीलाल के लिए गाना गाया था. मोतीलाल ही वह शख्स थे, जिन्होंने उनके आवाज के जादू को समझा था और मुंबई लेकर आये थे. मुकेश का जन्म 22 जुलाई 1923 को पंजाब प्रांत के लुधियाना में हुआ था. जिस वक्त उनकी मौत हुई वे अमेरिका में एक म्यूजिक कंसर्ट में कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहे थे, उसी वक्त उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गयी. मुकेश का पूरा नाम मुकेश चंद्र माथुर था लेकिन वे मुकेश के नाम से ही ज्यादा प्रसिद्ध हुए.

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1950 के दशक में मुकेश ने अपनी आवाज पहले दिलीप कुमार को दी, लेकिन कुछ ही वर्षों बाद मुकेश राजकपूर की आवाज बन गये और उन्हें ख्याति मिली. राजकपूर, मुकेश, शंकर-जयकिशन और शैलेंद्र की जोड़ी ने बॉलीवुड को एक से एक कर्णप्रिय गाने दिये, जिन्हें लोग आज भी गाते और सुनते हैं. बाद के दशक में मुकेश ने अपने गानों में कई प्रयोग किये और उन्होंने राजेश खन्ना, सुनील दत्त, मनोज कुमार जैसे नायकों के लिए भी कई यादगार गाने गाये.

तो सुनिए राजकपूर के कुछ यादगार नगमें:-
आवारा हूं…
मेरा जूता है जापानी…

रमैया वास्ता ….

दुनिया बनाने वाले…


चांद सी महबूबा…

दूर कहीं जब दिन…

मैंने तेरे लिए ही…

सावन का महीना…

जीना यहां मरना यहां…

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