शाहरुख खान ने अपनी निजी जिंदगी को लेकर खोले कई दिलचस्‍प राज, पढ़ें पूरा इंटरव्‍यू…

नयी दिल्ली: सुपरस्‍टार शाहरख खान का कहना है कि दिल्ली की यादें उनके दिलों की गहराई में समाई है. चाहे वह सुबह चार बजे मूलचंद ढाबे पर पराठे खाने जाना हो, राजेंद्र नगर में गाड़ी चलाना हो या अपने माता-पिता से मिलने जाना हो. बीते दिनों को याद करते हुए शाहरख खान ने पीटीआई भाषा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 4, 2017 4:00 PM

नयी दिल्ली: सुपरस्‍टार शाहरख खान का कहना है कि दिल्ली की यादें उनके दिलों की गहराई में समाई है. चाहे वह सुबह चार बजे मूलचंद ढाबे पर पराठे खाने जाना हो, राजेंद्र नगर में गाड़ी चलाना हो या अपने माता-पिता से मिलने जाना हो. बीते दिनों को याद करते हुए शाहरख खान ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘ऐसा लगता है कि यह पिछले जन्म की बात है. फिल्में करते हुए अब काफी समय हो गया है.’ अभिनेता ने साथ ही संजीदगी से कहा कि बडे पर्दे का उत्साह हमेशा उनके निजी जीवन में नहीं उतरता. वह यह भी कहते हैं’ ‘मैं जो भी हूं सिनेमा की वजह से हूं.’ राष्ट्रीय राजधानी में अपनी फिल्म ‘जब हैरी मेट सेजल’ का प्रचार करने आए शाहरख बेहद चुप-चुप से रहे और शोर, रंगों तथा लोगों से दूर एकांत की तलाश करते नजर आएं. ‘जब हैरी मेट सेजल’ शुक्रवार को बडे पर्दे पर रिलीज हुई है. क्या दिलकश शाहरुख खान एक ही बातचीत के दौरान मजाकिया, आत्मविश्लेषी और दार्शनिक हो सकते हैं.

पेश हैं किंग खान की जिंदगी, उनके रिश्तों और उनके सिनेमाई पहलुओं से जुडे साक्षात्कार के कुछ अंश:

क्या आपको कभी शब्दों की कमी होती है? आप इतने साक्षात्कार दे रहे हैं लेकिन कोई भी एक सा नहीं है?

मैं अपनी फिल्मों के बारे में बात करते हुए कभी नहीं उबता. ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि मुझे इसका जुनून है लेकिन इसलिए है क्योंकि मुझे लगता है कि यह मेरा कर्तव्य है. मैं सवाल का जवाब नहीं देता, मैं सवाल करने वाले के व्यक्तित्व को जवाब देता हूं. यह इस बात पर निर्भर करता है किसी ने कैसे सवाल पूछा, क्या वह गंभीर है, चंचल है या कूल बनने की कोशिश कर रहा है, मैं उसके अनुसार ही जवाब देता हूं. मैं एक अभिनेता हूं और मेरे लिए मुझसे सवाल करने वाला हर व्यक्ति एक विषय है.

क्या आपको एक किताब नहीं लिखनी चाहिए?

मैं एक किताब 20 वर्ष से लिख रहा हूं. एक दिन मैं उसे पूरी कर लूंगा लेकिन मैं तभी लिखता हूं जब मेरा लिखने का मन करता है. मैं उसे एक काम की तरह नहीं करता, मैं एक पेशेवर लेखक नहीं हूं. इसमें मेरी चुनिंदा यादें है और यह बिल्कुल निजी है.

आप एक ओर प्रफुल्लित व्यक्ति हैं और दूसरी ओर एकांत प्रिय अपने में रहने वाले, जो कि ‘जब हैरी मेट सेजल ‘ के आपके चरित्र से मेल खाता है.

हैरी कुछ मायनों में उस व्यक्तित्व के थोडा करीब है. एक उत्साह है, जो अचानक से उत्पन्न होता है और इस वजह से लोगों को लगता है कि मैं हंसमुख व्यक्ति हूं. मैं लेकिन निजी जिंदगी में ऐसा नहीं हूं. मेरे परिवार में लोग कहते हैं, ‘यह हंसता या मजाक नहीं करता…फिल्मों में तो बहुत जीवंत लगता है.’

क्या यह आपके आस-पास मौजूद चीजों का प्रभाव है?

मैं ज्यादा कुछ नहीं बता सकता. मैं यह सब कई वर्षों से कर रहा हूं. इसलिए कई दिल्ली आकर ऐसा प्रतीत होता है कि जैसा यहां रहना पिछले जन्म की बात हो.

क्या अतीत की कुछ यादें हैं?

हां…मेरे माता-पिता को यहां दफनाया गया, इसलिए मैं यहां अक्सर आता हूं. मैं जब भी दिल्ली आता हूं तो वहां जाता हूं. जब भी कोई मुझसे यहां की सडकों, मार्गों और घरों के बारे में पूछता है तो मैं उत्साहित हो जाता हूं. मैं अक्सर यहां अपने बच्चों को भी लाता हूं. ऐसे पल भी होते हैं जैसे हम कल सुबह चार-पांच बजे यहां आए. इम्तियाज अली ने कहा, ‘सर, मैं आपके लिए मूलचंद से पराठे लाया हूं.’ हम दोनों ने कमरे में ‘मूलचंद के पराठे खाए.’ मैंने उनसे कहा, ‘यार तुम मुझे पहले बताते…तो हम ड्राइव पर चलते.’ ‘ दिल्ली से जुडी कुछ ऐसी यादें हैं जो मेरे दिल की गहराईयों में सामई हैं.

ऐसा माना जाता है कि फिल्म जगत अस्थिर है, लेकिन आपने अपने सभी पुराने रिश्ते बरकरार रखे हैं और अगर कोई समस्या होती भी है तो आप उसे सुलझा लेते हैं.

यह बेहद विचित्र है लेकिन मुझे रिश्ते कायम करने में काफी कठिनाई होती है. मुझे रिश्ते कायम रखना नहीं आता. मेरे कुछ ऐसे गहरे संबंध थे जिन्हें मैंने बहुत जल्दी खो दिया. शायद यह रक्षात्मक प्रतिक्रिया है, क्योंकि आपको पता है कि मैंने अपने माता-पिता बहुत कम उम्र में खो दिए थे.

आप अपनी फिल्मों में काफी जुड जाते हैं. आप फिल्म की नाकामी का कैसे सामना करते हैं?

मैं अपना सर्वश्रेष्ठ देता हूं. अगर कुछ गलत होता है तो भी मैं यह नहीं सोचता कि ‘काश मैंने थोडी और मेहनत की होती?’
इम्तियाज के बाद आप आनंद एल राय के साथ काम करने वाले हैं. ट्विटर पर आपकी बातचीत से प्रतीत होता है कि आप काफी उत्साहित हैं.
मैं इंतजार करता हूं कि निर्देशक को मुझ पर पहले विश्वास हो.

फिल्म जगत में 25 साल पूरे होने पर, अब आप कौन सा मुकाम हासिल करना चाहते हैं…

मेरी आधी उम्र निकल गई है और यह फिल्मों के नाम ही रही है. मैं बहुत नाम, शोहरत और पैसा कमाया. मैं जो भी हूं सिनेमा की वजह से हूं. 25 तो बस एक नंबर है. मेरी पत्नी और बच्चे मुझे कहते हैं ‘ ‘आप यह कैसे कर लेते हो…आपका मन नहीं उबता?’ मैं उम्मीद करता हूं कि आगे भी इस माध्यम के जरिए लोगों को मनोरंजन करता रहूं.

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