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#JabHarryMetSejal : स्क्रिप्ट पर स्टार हावी

।। गौरव ।। कभी इम्तियाज अली ने कहा था कि उनकी फिल्में स्टार सिस्टम की मोहताज नहीं होती. वहां कहानी ही स्टार होती है. और उनकी पिछली फिल्मों में इसकी बानगी देखने को मिलती भी है. पहली फिल्म ‘सोचा न था’ से शुरू हुआ यह सफर ‘हाइवे’ होता हुआ ‘तमाशा’ तक जारी था, जहां कहानी […]

।। गौरव ।।

कभी इम्तियाज अली ने कहा था कि उनकी फिल्में स्टार सिस्टम की मोहताज नहीं होती. वहां कहानी ही स्टार होती है. और उनकी पिछली फिल्मों में इसकी बानगी देखने को मिलती भी है. पहली फिल्म ‘सोचा न था’ से शुरू हुआ यह सफर ‘हाइवे’ होता हुआ ‘तमाशा’ तक जारी था, जहां कहानी ने अपने दम पर फिल्म उद्योग में कई स्टार स्थापित कर दिये. और यही इम्तियाज के फिल्मों की यूएसपी थी. पर उन्हीं इम्तियाज अली की फिल्म में जब स्टार कहानी पर हावी हो जाये, तो फिल्म ‘जब हैरी मेट सेजल’ बन जाती है. यानी फिल्म के साथ टाइमपास तो कर सकते हैं, पर कहानी के साथ जी नहीं सकते.

माफ कीजिएगा, पर हिंदी सिनेमा की कई ब्लॉकबस्टर कहानियों के थोड़े-थोड़े टुकड़े से मिलकर बनी ‘जब हैरी मेट सेजल’ इम्तियाज को एक कदम पीछे की ओर ही धकेलती है. 50 से अधिक की उम्र के शाहरुख में ‘दिलवाले दुल्हनियां…’ वाले राज की तलाश खलती है. भले उम्र बढ़ने के बाद भी शाहरुख ने रोमांस वाली अपनी छवि बरकरार रखी हो, पर दर्शकों को अब उस छवि के पीछे हावी उम्र का एहसास हो ही जाता है.

‘जब हैरी मेट सेजल’ कहानी है सगाई कर चुकी एक लड़की की, जो बीतते वक्त और घटनाओं के साथ दूसरे लड़के के प्यार में पड़ जाती है. प्यार और दुविधा के दोराहे पर खड़ी लड़की बरबस ही डीडीएलजे के सिमरन की याद दिला देती है और लड़का राज की माफिक उसके पीछे-पीछे यूरोप से गुजरात पहुंच जाता है.

बहरहाल, कहानी है यूरोप में टूरिस्ट गाइड का काम करते पंजाबी हैरी उर्फ हरविंदर सिंह (शाहरुख खान) और गुजरात से यूरोप सगाई करने आयी सेजल (अनुष्का शर्मा) की. सेजल और उसकी फैमिली यूरोप टूर के लिए हैरी को हायर करते हैं. टूर से वापसी के वक्त सेजल को पता चलता है कि उसकी सगाई की अंगूठी गुम हो चुकी है.

FILM REVIEW: फिल्‍म देखने से पहले जानें कैसी है ‘जब हैरी मेट सेजल’

फैमिली को विदा कर वह खुद अंगूठी की तलाश में वहीं रुक जाती है और फिर हैरी को इस काम के लिए हायर करती है. अंगूठी की तलाश में दोनों एक बार फिर उसी सफर पर वापस निकल पड़ते हैं. एमस्टर्डम से शुरू हुआ यह सफर बर्लिन, बुडापेस्ट के जरिये लिस्बन तक पहुंचता है. पर इस सफर में सेजल की तलाश अंगूठी से हटकर हैरी पर जा टिकती है.

अपने नमूने टाइफ मंगेतर के बजाय उसे मस्तमौला और चालू टाइप हैरी में अपना लाइफ पार्टनर दिखाई देने लगता है. इस चाहत में वह अंगूठी काे पाकर भी हैरी के साथ वक्त बिताने की ख्वाहिश में बात छिपा जाती है. पर हैरी की ओर से अपेक्षित इमोशन न पाकर वह वापस इंडिया लौट जाती है. सेजल की वापसी के बाद हैरी को अपनी लाइफ में उसकी अहमियत का एहसास होता है. और सेजल के साथ बिताये पल उसे भी इंडिया आने को मजबूर कर देते हैं.

कमजोर कहानी के बावजूद, फिल्म में काफी कुछ ऐसा है जो आंखों को भाता है. यूरोप के अलग-अलग देशों में शूट किये गये दृश्यों का फिल्मांकन और लोकेशंस की खूबसूरती है, जो थियेटर में एक सुखद एहसास देती है. गानों के फिल्मांकन में भी इम्तियाज अपनी रौ में हैं. बस कहानी की कमजोरी ने शाहरुख और अनुष्का जैसे स्टार के उम्दा अभिनय को भी दरकिनार-सा कर दिया है.

क्यों देखें – यंग जेनरेशन वाली लव ट्रैक पर बेस्ड फिल्म के जरिये यूरोप की यात्रा करना चाहें, तो एक बार देख सकते हैं.
क्यों न देखें – इम्तियाज की बाकी फिल्मों वाली अपेक्षा लेकर थियेटर जायेंगे, तो निराशा ही हाथ लगेगी.

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