15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

FILM REVIEW: फिल्‍म देखने से पहले जानें कैसी है ”बरेली की बर्फी”

II उर्मिला कोरी II फिल्म: बरेली की बर्फी निर्देशक: अश्विनी अय्यर तिवारी कलाकार: आयुष्मान खुराना ,राजकुमार राव ,कृति सेनोन , सीमा पाहवा , पंकज त्रिपाठी रेटिंग: ढाई शिक्षा के महत्व को समझाती ‘नील बट्टे सन्नाटा’ के बाद निर्देशिका अश्विनी अय्यर तिवारी इस बार एक लवस्टोरी फ़िल्म लेकर आई हैं लेकिन इस बार भी कहानी की […]

II उर्मिला कोरी II

फिल्म: बरेली की बर्फी
निर्देशक: अश्विनी अय्यर तिवारी
कलाकार: आयुष्मान खुराना ,राजकुमार राव ,कृति सेनोन , सीमा पाहवा , पंकज त्रिपाठी
रेटिंग: ढाई

शिक्षा के महत्व को समझाती ‘नील बट्टे सन्नाटा’ के बाद निर्देशिका अश्विनी अय्यर तिवारी इस बार एक लवस्टोरी फ़िल्म लेकर आई हैं लेकिन इस बार भी कहानी की धुरी एक छोटा शहर है और महिला किरदार सशक्त हैजो समाज के नियमों से नहीं अपनी मर्ज़ी से ज़िंदगी जीना चाहती है. यह फिल्म अनुभवी जावेद अख्तर की आवाज की शुरुआत के साथ शुरू होती है, जो हमें फिल्म की पूरी कहानी और उससे जुड़े सिचुएशन से रूबरू करवाते हैं. फिल्म की कहानी शहर बरेली के बैकड्रॉप है. बिट्टी मिश्रा (कृति सेनन) एक बिंदास लड़की है जिसे उसके घरवाले एक लड़के की तरह पालते हैं. बिट्टी सिगरेट पीती है ड्रिंक भी करती है. लड़कों को बिट्टी का यह स्वभाव पसंद नहीं आता है. बिट्टी की अब तक दो सगाई टूट चुकी है. इसी बीच बिट्टी एक नावेल पढ़ती है बरेली की बर्फी उसे वह खुद की कहानी लगती है. वह उसके लेखक से मिलने का फैसला करती है. प्रीतम को ढूंढने में वह प्रिंटिंग प्रेस का मालिक चिराग दुबे (आयुष्मान खुराना) की मदद लेती है.

इस कहानी में एक ट्विस्ट भी है जिसे बिट्टी नावेल का लेखक समझ रही है वह उसका लेखक नहीं है. क्या होता है इस प्रेम कहानी का इसके लिए आपको फ़िल्म देखनी होगी. कहानी की बात करें तो यह एक साफ सुथरी एंटेरटेनिंग फ़िल्म है जो अपने सिचुएशन और कलाकारों की वजह से आपको बांधे रखती है. फ़िल्म का सबसे कमजोर पक्ष इसकी एडिटिंग है. जो फ़िल्म को ज़रूरत से ज़्यादा लंबा रख गयी है. खासकर फ़िल्म का पहला आधा घंटा ज़रूरत से ज़्यादा खींचा ग़या है जिस वजह से फ़िल्म कई बार स्लो भी लगने लगती है.

अभिनय की बात करें तो यह फ़िल्म कृति सैनन की है. पूरी फिल्म की धुरी वह रही है. उन्होंने बिट्टी की भूमिका में अच्छा काम किया है. आयुष्मान खुराना भी इस बार प्रभावित करने में कामयाब रहे हैं लेकिन बाज़ी राजकुमार मार ले जाते हैं. राजकुमार की कहानी में एंट्री के साथ ही कहानी मनोरंजक हो जाती है. वह मौजूदा दौर के बेहतरीन अभिनेताओं में से एक हैं यह बात उन्होंने फिर साबित की है. फ़िल्म में उन्होंने दो किरदारों को पेश किया है खास बात है कि सिर्फ बॉडी लैंग्वेज ही नहीं उनकी आवाज़ भी बदल जाती थी. राजकुमार का अभिनय इस फ़िल्म की यूएसपी है यह कहना गलत ना होगा.

अनुभवी अभिनेता सीमा पहवा और पंकज त्रिपाठी जिस तरह से स्क्रीन में खुद को पेश किया है, वह निश्चित रूप से प्रशंसा योग्य है. राजकुमार और ये दो अनुभवी कलाकार सही मायनों में अपने सहज अभिनय से छोटे शहर के लोगों की मासूमियत को बखूबी परदे पर ले आये हैं. फ़िल्म के लोकेशन रंग भरते हैं तो वही संवाद फ़िल्म का खास है. फ़िल्म का गीत संगीत कहानी के अनुरूप है. कुलमिलाकर यह एक साफ सुथरी एंटेरटेनिंग फ़िल्म है जो राजकुमार के शानदार अभिनय और अपने प्रस्तुतिकरण की वजह से एक बार देखी जा सकती है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें