पहले इतनी दुबली थी कि खूब रोती थी : डायना पेंटी
उर्मिला कोरी मॉडल से अभिनेत्री बनी डायना पेंटी हालिया रिलीज फिल्म लखनऊ सेंट्रल में गायत्री के किरदार में हैं. लखनऊ सेंट्रल की यह कहानी असल घटनाओं से प्रेरित है. वह इसे फिल्म की सबसे बड़ी खासियत करार देती हैं. – लखनऊ सेंट्रल में क्या खास रहा? सबसे पहले इस फिल्म की स्क्रिप्ट जब निर्देशक रंजीत […]
उर्मिला कोरी
मॉडल से अभिनेत्री बनी डायना पेंटी हालिया रिलीज फिल्म लखनऊ सेंट्रल में गायत्री के किरदार में हैं. लखनऊ सेंट्रल की यह कहानी असल घटनाओं से प्रेरित है. वह इसे फिल्म की सबसे बड़ी खासियत करार देती हैं.
– लखनऊ सेंट्रल में क्या खास रहा?
सबसे पहले इस फिल्म की स्क्रिप्ट जब निर्देशक रंजीत ने मुझे फिल्म की स्क्रिप्ट नरेट की. मैंने उसी वक्त ही फिल्म को हां कह दिया था. कमाल की स्क्रिप्ट है. यह फिल्म जेल में बंद कुछ कैदियों की है और मैं उनके उम्मीद की किरण हूं. स्क्रिप्ट के साथ-साथ मेरा किरदार भी प्रभावी है. एक एक्टर के तौर पर मैं क्या चाह सकती हूं. इसके साथ ही टैलेंटेड एक्टर्स का साथ.
इस फिल्म में सभी एक्टिंग के पावर हाउस हैं, फिर चाहे फरहान हो, दीपक डोब्रियाल हो इनामुल हो या फिर राजेश. मैं तो पहले दिन सेट पर बहुत ही नर्वस थी यह सोचकर कि मुझे इनके साथ अभिनय करना पड़ेगा. लेकिन ये सभी काफी हेल्पफुल हैं. मैं हर दिन सेट पर उनसे कुछ सीखती थी. उनकी बॉडी लैग्वेंज से संवाद अदायगी तक सब कुछ सीखने में बड़ा मजा आया.
– मल्टी स्टारर फिल्म में कितना स्पेस मिलेगा, इसे लेकर झिझक थी?
मैंने अब तक एक हीरो एक हीरोइनवाली फिल्म की ही नहीं है. मेरी पहली फिल्म कॉकटेल हो या फिर हैप्पी भाग जाएगी, सभी में कई एक्टर्स थे. मेरे लिए मेरे किरदार का प्रभाव सबसे ज़्यादा अहमियत रखता है. उसे स्क्रीन पर कितना समय मिला है, यह बात मैं नहीं सोचती हूं. कई बार ज़्यादा स्क्रीन स्पेस में वह कमाल नहीं होता, जो कम में हो जाता है.
– खबर थी कि फिल्म में गायत्री के किरदार के लिए पहले कृति शेनॉन को अप्रोच किया गया था?
हां, मुझे मालूम है कि डेट्स की वजह से वह इस फिल्म का हिस्सा नहीं बन पायी. मैं पहली या दूसरी च्वॉइस हूं. मेरे लिए यह बात मायने नहीं रखती है. हां मैं इस फिल्म की आखिरी च्वॉइस थी, क्योंकि मेरे बाद फिल्म मेकर्स ने किसी और को अप्रोच नहीं किया. यह बात जरूर एक एक्टर के तौर पर मुझे खुशी देती है.
– लखनऊ में शूटिंग का अनुभव कैसा रहा है?
मैंने जमकर वहां के कबाब का मजा लिया. बिरयानी भी खूब खायी. वहां के कबाब का क्या कहना. मुझे तो इतना पसंद आता था कि शूटिंग के बाद मैं जब मुंबई लौटती थी, तो वहां से पार्सल लेकर आती थी. मैंने तीन लखनवी कुर्ते भी खरीदे, लेकिन सबसे ज्यादा मैंने वहां के खाने को इंज्वॉय किया.
– कॉकटेल के बाद आपने लंबा ब्रेक ले लिया था. अब क्या प्लान है?
मेरी प्राथमिकता अभी भी ज्यादा से ज्यादा फिल्में करने के बजाय अच्छी फिल्में करने की है. मैं इस बात को अच्छी तरह से जानती हूं कि आउट ऑफ साइट आउट ऑफ माइंड है, लेकिन मुझे इससे कोई दिक्कत नहीं है. यह मानव का स्वभाव है तो मैं लाइमलाइट में बने रहने के लिए कुछ भी नहीं करूंगी. अच्छी बात यह है कि मुझे अलग-अलग तरह की फिल्में ऑफर हो रही हैं. लखनऊ सेंट्रल के बाद इस साल दूसरी फिल्म परमाणु में दिखूंगी. दोनों एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं. परमाणु में मैं एक्शन करती नजर आऊंगी.
– मॉडलिंग से एक्टिंग कितना फर्क पाती हैं?
दोनों ही अलग दुनिया है. मॉडलिंग में आपको अच्छा दिखाना होता है और कपड़ो को दर्शाना होता है, लेकिन चेहरे पर बिना किसी हाव भाव के. फिल्मों में आप किसी किरदार को जिंदगी देते हैं. एक पूरी कहानी कहते हैं जिसमें कई सारे भाव होते हैं. कई सौ लोगों के बीच एक्टिंग करना मेरे लिए शुरुआत में बहुत ही टफ रहा, क्योंकि मैं बहुत ही शर्मिली लड़की रही हूं. लेकिन अब मैं धीरे-धीरे सहज हो रही हूं. मैं फिल्म दर फिल्म खुद में बदलाव पाती हूं.
– आप सुपरमॉडल रही हैं. फिटनेस को लेकर कभी दिक्कत भी आयी?
मैं जब बड़ी हो रही थी तब जरूरत से ज्यादा दुबली थी, इसे लेकर मैं बहुत परेशान रहती थी. मेरी कोशिश रहती थी कि मैं किस तरह से अपना वजन बढ़ा लूं. दिन में चार से पांच केले खाती थी, लेकिन वजन जस का तस ही रहता था.
कई बार रोयी भी हूं, लेकिन बदलते समय के साथ मैंने यह बात समझी कि आप जैसे हो, वैसे परफेक्ट हो. किसी के लिए भी आपको बदलने की जरूरत नहीं है. जब आप खुद को जैसे हैं, वैसे स्वीकार कर लेते हैं, तो लोग भी मानने लगते हैं. इससे आपका आत्मविश्वास उन्हें आपको स्वीकारने में मदद करता है. इसलिए अपनी साइज, शेप या रंग की वजह से खुद को कभी भी कमतर नहीं आंके. आप जैसे हैं वैसे बेस्ट हो.