II उर्मिला कोरी II
फिल्म: भूमि
निर्माता: टी सीरीज
निर्देशक: ओमंग कुमार
कलाकार: संजय दत्त, अदिति राव हैदरी, शरद केलकर, शेखर सुमन, सिद्धांत और अन्य
रेटिंग: ढाई
अभिनेता संजय दत्त ने तीन साल के लंबे अंतराल के बाद फिल्म ‘भूमि’ से वापसी की है. इस देश में लड़कियां सुरक्षित नहीं है. इस मुद्दे को इस फिल्म की कहानी भी सामने लेकर आती है. फिल्म की कहानी ‘मातृ’ और ‘मॉम’ का ही अगला वर्जन है, बस यहाँ पिता कहानी की धूरी है. भूमि की कहानी उत्तर प्रदेश के बैकड्रॉप पर आधारित है. अरुण सचदेव (संजय दत्त) की यह कहानी है जिनकी जूतों की दूकान है. एक बेटी है भूमि (अदिति राव हैदरी). बाप-बेटी जीवन के सफर में दोनों एक-दूसरे के साथी हैं.
दोनों ज़िन्दगी की छोटी छोटी खुशियों से बहुत खुश हैं लेकिन उनकी हंसती-हंसाती जिंदगी को उस वक़्त नजर लग जाती है जब अरुण को पता चलता कि उसकी बेटी का गांव के ही धौली (शरद केलकर) और उसके तीन साथियों ने रेप किया है. न्याय के लिए वह अदालत के चक्कर काटता है लेकिन वहां उसकी ही बेटी के चरित्र को उछाला जाता है. यह अब तक कई हिंदी फिल्मों में हम देख चुके हैं उसके बाद अरुण खुद न्याय करने का फैसला लेता है.
इस रिवेंज फिल्म की कहानी में नयापन नहीं अब क्या होगा यह दर्शक को पता है लेकिन इसके बावजूद संजय दत्त की मौजूदगी फिल्म से दर्शकों को बांधे रखती है. यही इस फिल्म की खासियत है वरना कहानी के स्तर पर यह कमज़ोर फिल्म है. फिल्म में कोई भी सरप्राइज़ एलिमेंट नहीं है.
अभिनय की बात करें तो संजय दत्त बेहतरीन एक्टिंग करते नजर आए हैं. वह कई दृश्यों में आपकी आंखें नम करते हैं तो विलेन को सबक सीखाते हुए वह लार्जर देन लाइफ के रंग जमाते हैं. अदिति ने भी बखूबी अपने किरदार को जिया हैं एक बेटी के रूप में वो अच्छी रही हैं. फिल्म में विलेन बने शरद केलकर का अपने किरदार से नफरत पैदा करने में कामयाब रहे हैं. शेखर सुमन का काम औसत है.
फिल्म में ओमंग कुमार का डायरेक्शन और बैकड्राप अच्छा है. साथ ही फिल्म का आर्ट वर्क भी ठीक है. फिल्म के संवाद कहानी के अनुरूप हैं. फिल्म का गीत संगीत कहानी में कोई प्लस पॉइंट नहीं जोड़ता है. कुलमिलाकर अगर आप संजय दत्त के फैन हैं तो कमज़ोर कहानी पर संजय दत्त के उम्दा अभिनय वाली यह फिल्म आपका मनोरंजन कर सकती है.