|| गौरव ||
परदे पर राजकुमार राव की उपस्थिति भी कमोबेश नवाजुद्दीन सिद्दिकी सरीखी हो चली है. मतलब उनकी हर उपस्थिति आपको अंदर तक मंत्रमुग्ध कर देने वाली. और सबसे खास बात उनकी हर आने वाली फिल्म में अलग कहानी और उस कहानी में उनका अलहदा किरदार. ट्रैप्ड, बहन होगी तेरी और बरेली की बरफी के बाद राजकुमार राव की यह इस साल आने वाली चौथी फिल्म है. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के सबसे बड़े महोत्सव आम चुनाव को केंद्र में रखकर गढ़ी गयी यह फिल्म राजनैतिक और सामाजिक खामियों की परतें उधेड़ती है.
ऑस्कर जायेगी राजकुमार राव की फिल्म ‘न्यूटन’, आज ही हुई है रिलीज
फिल्म पहले ही देश-विदेश के कई फिल्म फेस्टिवल्स में झंडे गाढ़ने के साथ बर्लिन फिल्म महोत्सव में अवार्ड भी जीत चुकी है. अब खबर है कि फिल्म को ऑस्कर के लिए नोमिनेट किया गया है. श्याम बेनेगल, गोविंद निहलानी सरीखे फिल्मकारों की कम सक्रियता और प्रकाश झा के कमर्शियल सिनेमा की ओर झुकाव की वजह से समांतर सिनेमा का जो दौर थम सा गया था, न्यूटन उस दौर को आगे ले जाने वाली फिल्म सरीखी है.
न्यूटन (राजकुमार राव) आज के दौर में भी आदर्शवादिता के लिबास में लिपटा युवा है. बचपन में अपने नाम नूतन से परेशान होकर उसने खुद अपना नाम बदल लिया. नू को न्यू और तन को टन करके खुद को न्यूटन बना लिया. उसके लिए किताब की बातें ब्रह्मा की लकीर सरीखी हैं.
सरकारी नौकरी में रहते हुए आदर्श का ऐसा पक्का कि शादी से सिर्फ इस बात से इनकार कर देता है कि लड़की की उम्र 18 से कम है. ऐसे ही एक बार न्यूटन को चुनावी डय़ूटी में छत्तीसगढ़ के एक इलाके में जाना पड़ता है जिसकी कुल आबादी महज 76 है. वहां के आदिवासियों को चुनाव से कोई सरोकार नहीं है. उसपर नक्सलियों का दबाव पुलिस बल को भी निष्क्रिय कर चुका है.