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…तो शायद अमिताभ बच्‍चन से भी आगे होते विनोद खन्ना

विनोद खन्ना ने मल्टीस्टारर फिल्मों से कभी परहेज नहीं किया और वे उस दौर के स्टार्स अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, सुनील दत्त आदि के साथ फिल्में करते रहे. अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना की जोड़ी को दर्शकों ने काफी पसंद किया. हेराफेरी, खून पसीना, अमर अकबर एंथोनी, मुकद्दर का सिकंदर ब्लॉकबस्टर साबित हुईं. एक समय […]

विनोद खन्ना ने मल्टीस्टारर फिल्मों से कभी परहेज नहीं किया और वे उस दौर के स्टार्स अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, सुनील दत्त आदि के साथ फिल्में करते रहे. अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना की जोड़ी को दर्शकों ने काफी पसंद किया.

हेराफेरी, खून पसीना, अमर अकबर एंथोनी, मुकद्दर का सिकंदर ब्लॉकबस्टर साबित हुईं. एक समय ऐसा आया जब अमिताभ और विनोद खन्ना के बीच बॉलीवुड में नंबर वन बनने की जंग शुरू हुई. लेकिन उसी वक्त विनोद खन्ना ने अचानक ऐसा फैसला लिया कि फिल्म इंडस्ट्री में हड़कंप मच गया. विनोद अपने आध्यात्मिक गुरु रजनीश (ओशो) की शरण में चले गये और ग्लैमर की दुनिया को उन्होंने बाय-बाय कह दिया.

विनोद अक्सर पुणे में ओशो के आश्रम जाते थे. यहां तक कि उन्होंने अपने कई शूटिंग शेड्यूल भी पुणे में ही रखवाए. दिसंबर, 1975 में विनोद ने जब फिल्मों से संन्यास का फैसला लिया तो सभी चौंक गए थे. बाद में विनोद अमेरिका चले गये और ओशो के साथ करीब पांच साल गुजारे.

ओशो के आश्रम में इस सुपरस्टार ने बर्तन धोने से लेकर माली तक का काम किया. ओशो से जुड़ने के बाद सैकड़ों जोड़ी सूट, कपड़े, जूते और अन्य लग्जरी सामान को लोगों में बांट दिया. दरहसल, ओशो से जुड़ने के बाद उनका संसारिक सुख से मोह भंग हो गया था. उन्हें फकीरी में मजा आने लगा था.

यही वजह है कि इसके बाद वे पहले गेरुआ और बाद में आश्रम द्वारा निर्धारित मरून चोगा पहनने लगे. ओशो से प्रभावित होकर उन्होंने अपना पारिवारिक जीवन तबाह कर लिया था. विनोद के अचानक इस तरह से चले जाने के कारण उनकी पत्नी गीतांजली नाराज हुई और दोनों के बीच तलाक हो गया. विनोद और गीतांजली के दो बेटे अक्षय और राहुल खन्ना हैं.

ऐसा माना जाता है कि अगर विनोद खन्ना ने अपने जीवन में यह एक फैसला नहीं लिया होता, तो वो आज अपने फिल्मी करियर में अमिताभ से कहीं ज्यादा सफल होते. इस फैसले के बाद विनोद खन्ना के फिल्मी करियर पर तो ब्रेक लगा ही, उनका निजी जीवन भी इससे आहत हुआ. हालांकि कुछ अंतराल के बाद विनोद खन्ना का आश्रम और ओशो से मोहभंग हुआ और उन्होंने फिल्मों में वापसी भी की, लेकिन यह वापसी इतनी दमदार नहीं रही.

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