फिल्म : सीक्रेट सुपरस्टार
निर्माता : आमिर खान
निर्देशक : अद्वैत चंदन
कलाकार : जायरा वसीम, मैहर, तीर्थ शर्मा, कबीर और आमिर खान
रेटिंग : साढ़े तीन
उर्मिला कोरी
अभिनेता और निर्माता आमिर खान की फिल्में मनोरंजक होने के साथ-साथ संदेशप्रद भी रहती हैं. सिनेमा का इससे ज्यादा खूबसूरत पहलू और क्या हो सकता है! सीक्रेट सुपरस्टार इसी कड़ी को आगे ले जाती है.
यह फिल्म हर किसी को सपने देखने की बात कहने के साथ-साथ महिला सशक्तीकरण के मुद्दे को भी सामने लेकर आती है. फिल्म की कहानी की बात करें, तो यह फिल्म वड़ोदरा के बैकड्रॉप में सेट है.
यह 15 साल की इंसिया (जायरा वसीम) की कहानी है, जिसका मन पढ़ाई में कम और संगीत में ज्यादा लगता है. उसका सपना प्लेबैक सिंगर बनना है. इस सपने को अंकुरित करने में उसकी मां की बहुत बड़ी भूमिका है.
मां की सलाह पर इंसिया इंटरनेट पर सीक्रेट सुपरस्टार के नाम से अपने गाने के वीडियो डालती है. जल्दी ही उसका वीडियो वायरल हो जाता है और म्यूजिक डायरेक्टर शक्ति कुमार की नजर पड़ती है.
इंसिया की लाइफ में सब अच्छा है, ऐसा नहीं है. क्योंकि इंसिया की जिंदगीमें सबसे बड़े खलनायक उसके पिता हैं, जो उसके लड़की होने पर उसे हेय समझते हैं. इंसिया को पढ़ा रहे सिर्फ उसकी शादी के लिए.
गाने को वह इंसिया और उसकी मां का फितूर समझते हैं. उसके पिता बात-बात पर उसकी मां पर हाथ उठाते रहते हैं. सिंगर बनने के अलावा इंसिया का दूसरा लक्ष्य अपनी मां को पिता के जुल्मों से निजात दिलाना है.
वह अपने मां-पिता का तलाक कराना चाहती है. यह सब कैसे होगा, इसी को कहानी में ड्रामा, खुशी, जोश और खूब सारे इमोशन के साथ बुना गया है. फिल्म का फर्स्ट हाफ स्लो है और कहानी नयी नहीं है.
लेकिन कहानी में एक ईमानदारी है और उसको कहने का अंदाज आपको उससे पूरे समय इस फिल्म से जोड़े रखती है. कई बार आंखें नम भी हो जाती हैं और कई दृश्य में आप ताली बजाने को भी मजबूर हो जाते हैं.
अभिनय की बात करें तो यह फिल्म की कहानी को और खास बना देती है. जायरा वसीम ने अपनी पहली फिल्म में ही साबित कर दिया था कि वह कितनी उम्दा अभिनेत्री हैं.
इस बार भी वह कमाल रही हैं. वह गिफ्टेड एक्ट्रेस हैं. सिंगिंग वाले दृश्य में उनके हावभाव हो या उनके विद्रोही स्वभाव से न्याय करते दृश्य, सभी में वह उम्दा रही है.
मैहर इससे पहले बजरंगी भाईजान में नोटिस हो चुकी हैं. इस बार वह मां के किरदार में और प्रभावी रहीं हैं. राज अर्जुन का भी काम काफी उम्दा है. जायरा के दोस्त चिंतन के किरदार में तीर्थ शर्मा और उनके भाई के किरदार की भी तारीफ करनी होगी.
आमिर खान फिल्म में कुछ ही दृश्यों में हैं लेकिन वह अपनी बॉडी लैंग्वेज और संवाद अदायगी के अंदाज से चेहरे पर मुस्कान ले आते हैं. फिल्म में भले ही उनकी भूमिका छोटी है, लेकिन उनको पर्दे पर देखना किसी ट्रीट से कम नहीं है.
फिल्म की कहानी में संगीत एक अहम बैकड्रॉप है, लेकिन ‘मैं चांद हूं’ गीत को छोड़कर अन्य कोई भी गीत याद नहीं रह जाता है. फिल्म की सिनेमेटोग्राफी अच्छी है.
फिल्म की एडिटिंग पर और काम किया जा सकता था. कुल मिलाकर फिल्म की कहानी और उसका ट्रीटमेंट बहुत ही सिंपल हैं लेकिन वह बहुत गहरा प्रभाव छोड़ती है. किरदारों का उम्दा अभिनय इसे और खास बना जाता है. यह फिल्म सबको देखनी चाहिए.