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B”DAY SPECIAL : ”ढाई किलो का हाथ” वाले सनी देओल के ये DIALOGUES आज भी हैं फैन्स की जुबान पर

Bollywood के एक्शन किंग सनी देओल 19 अक्तूबर को अपना 60वां जन्मदिन मना रहे हैं. सनी देओल का असली नाम अजय सिंह देओल है. थोड़े शर्मीले स्वभाव वाले सनी देओल ने 1983 में फिल्म ‘बेताब’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था. इस फिल्म में उनकी छवि रोमांटिक हीरो की थी और उनके अपोजिट अमृता सिंह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 19, 2017 4:29 PM

Bollywood के एक्शन किंग सनी देओल 19 अक्तूबर को अपना 60वां जन्मदिन मना रहे हैं. सनी देओल का असली नाम अजय सिंह देओल है.

थोड़े शर्मीले स्वभाव वाले सनी देओल ने 1983 में फिल्म ‘बेताब’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था. इस फिल्म में उनकी छवि रोमांटिक हीरो की थी और उनके अपोजिट अमृता सिंह थीं.

धीरे-धीरे सनी देओल ने अपनी छवि एक्शन हीरो के रूप में बनायी. उनकी शानदार कद-काठी और दमदार आवाज ने इसमें चार चांद लगाया.

सनी देओल की खौलती आंखें और ‘ढाई किलो का हाथ’ सरीखे डायलॉग्स उनकी पहचान बन गये.

सनीने इंग्लैंडस्थित बर्मिंघम के ‘द ओल्ड वर्ल्ड थिएटर’ से एक्टिंग की बाकायदा पढ़ाई की है.

तीन दशक से भी ज्यादा समय से बॉलीवुड में धाक जमाये सनी देओल अब तक दो नेशनल फिल्म अवार्ड्स और दो फिल्मफेयर अवार्ड्स जीत चुके हैं.

सनी देओल की लोकप्रिय फिल्म्स में घायल, डर, घातक, दामिनी, योद्धा, अर्जुन, त्रिदेव, चालबाज, जीत, बॉर्डर, गदर, इंडियन जैसी फिल्में शुमार हैं.

सनी देओल अपने पिता धर्मेंद्र कीही तरह गंभीर, मजाकिया और हर तरह के किरदार को पर्दे पर जीने के लिए जाने जाते हैं.

एक्टिंग के अलावा सनी देओल साउंड स्टूडियो चलाते हैं. इसके साथ ही, भाई बॉबी और पिता धर्मेंद्र के साथ उनका रेस्टोरेंट चेन का बिजनेस भी है.

सनी देओल की कुछ फिल्मों के डायलॉग्स काफी चर्चित रहे हैंऔर आज भी सबकी जुबान पर चढ़े रहते हैं. आइए नजर डालें उनके कुछ मशहूर डायलॉग्स पर –

ये ढाई किलो का हाथ जब किसी पे पड़ता है ना, तो आदमी उठता नहीं उठ जाता है – दामिनी

उतार के फेंक दो ये वर्दी और पहन लो बलवंत राय के नाम का पट्टा अपने गले में….बलवंत राय के कुत्तों – घायल

तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख मिलती रही है… लेकिन इंसाफ नहीं मिला माई लॉर्ड, इंसाफ नहीं मिला… मिली है तो सिर्फ ये तारीख – दामिनी

भून डालो दुश्मनों को, काट डालो इंसानों को, आज हम अपने खून से धोएंगे तेरे चरण, मां तुझे सलाम – मां तुझे सलाम

ये मजदूर का हाथ है… लोहा पिघलकर उसका आकार बदल देता है – घातक

पत्थरों की इस दुनिया में देवता बनना तो बहुत आसान है… इंसान बनना बहुत मुश्किल –
जीत

पहली गोली वो चलाएगा, और आखिरी गोली हम – बॉर्डर

अगर मैं अपने बीवी बच्चों के लिए सर झुका सकता हूं…. तो मैं सब के सर काट भी सकता हूं – गदर : एक प्रेम कथा

बलि हमेशा बकरे की दी जाती है… शेर की नहीं –
सिंग साहब द ग्रेट

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