सपनों के बीच समाज की हकीकत बयां करती लघु फिल्म “घुटन”

महिला और पुरुष एक समान है. कई लेखों में महिला दिवस समेत कई मौकों पर हम शान से यही कहते हैं. सपने दोनों देखते हैं महिलाएं भी और पुरुष भी लेकिन क्या इसे पूरा करने का अधिकार सिर्फ पुरुषों को है या जिंदगी दोनों को बराबर मौके देती है… अपने ख्वाबों को पूरा करने के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 23, 2017 4:50 PM

महिला और पुरुष एक समान है. कई लेखों में महिला दिवस समेत कई मौकों पर हम शान से यही कहते हैं. सपने दोनों देखते हैं महिलाएं भी और पुरुष भी लेकिन क्या इसे पूरा करने का अधिकार सिर्फ पुरुषों को है या जिंदगी दोनों को बराबर मौके देती है… अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए घर की दहलीज से बाहर कदम रखती नारी आज भी हर कदम पर कई तरह की बाधाओं और चुनौतियों से जुझती है.

https://www.youtube.com/watch?v=MRF8s27vREs

चुनौतियां भी वैसी जो उसके अस्तित्व को ही निगल जाने को तैयार बैठी हों. स्त्री मन की इस घुटन को ही बिहार के युवा फिल्मकार गौरव ने अपनी शॉर्ट फिल्म का मुख्य मुद्दा बनाया है. फिल्मेनिया एंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी फिल्म घुटन रविवार को यूट्यूब पर रिलीज हो गया.
आज भी हर पल महिलाओं की आजादख्याली, उसके ख्वाब किस कदर एक अनजाने डर के साये में घुटन महसूस करते हैं. इस फिल्म के जरिये इस दर्द को समझा जा सकता है.
फिल्म की पूरी कहानी जन्नत के इर्दिगर्द घूमती है, जिसके सपने उसकी हैसियत से कहीं ज्यादा बड़े हैं. उसका हौसला और जज्बा इस सपने को हासिल कर लेने का विश्वास दिलाता है. ख्वाब और हौसले के बीच कुछ ऐसे हालात पैदा होते हैं जो उसके मन-मस्तिस्क को झकझोर कर रख देते हैं. आज भी कई घटनाएं हमें यह सोचने को मजबूर कर देते हैं कि आखिर समाज में महिलाएं आज भी कहां खड़ी हैं. इसी घुटन को फिल्म में काफी संजीदगी से दिखाया गया है. इस फिल्म से अभिनेत्री लाडली रॉय ने अभिनय करियर की शुरूआत की है.
फिल्म के निर्देशक गौरव अबतक पटना के प्रमुख अखबारों में कार्टूनिस्ट के रूप में काम कर चुके हैं, फिलहाल वे प्रभात खबर के साथ जुडे हैं. इस फिल्म के प्रोड्यूसर और एडिटर ए. के. राजन हैं, जिनकी नजर से आपने पूरी फिल्म को देखा है( कैमरा ) दीपक कुमार ने किया है. डीओपी जय भाष्कर और सौम्या प्रियम है. मुकेश कुमार ने बतौर मेकअप आर्टिस्ट काम किया है.

Next Article

Exit mobile version