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तथ्यात्मक फिल्में करने में ज्यादा सहज महसूस करता हूं: मनोज वाजपेयी

नयी दिल्ली: बॉलीवुड अभिनेता मनोज वाजपेयी भले ही व्यावयायिक सिनेमा के शीर्ष अभिनेताओं में शामिल नहीं हों, लेकिन वह भिन्न विषय-वस्तु कहानी वाली फिल्मों में काम करने का लेकर अधिक सहज हैं, ताकि उन्हें स्टीरियोटाइप छवि बनने से बचने में मदद मिले. अभिनेता की हालिया फिल्म ‘रख’ इस समय सिनेमाहाल में प्रदर्शित की जा रही […]

नयी दिल्ली: बॉलीवुड अभिनेता मनोज वाजपेयी भले ही व्यावयायिक सिनेमा के शीर्ष अभिनेताओं में शामिल नहीं हों, लेकिन वह भिन्न विषय-वस्तु कहानी वाली फिल्मों में काम करने का लेकर अधिक सहज हैं, ताकि उन्हें स्टीरियोटाइप छवि बनने से बचने में मदद मिले.

अभिनेता की हालिया फिल्म ‘रख’ इस समय सिनेमाहाल में प्रदर्शित की जा रही है. फिल्म को आलोचकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है. विशेष समयावधि पर बनी इस फिल्म का निर्देशन अतनु मुखर्जी ने किया है. फिल्म की कहानी एक ऐसे युवा व्यक्ति की कहानी है, जिसके पिता की अचानक मौत हो जाती है.

पिता के तौर पर छोटे किन्तु यादगार किरदार के अभिनय के लिये बाजपेई की तरीफ की जा रही है. बाजपेई ने कहा कि फिल्म की बेहतरीन पटकथा ने उन्हें यह किरदार निभाने के लिये प्रेरित किया. उन्होंने कहा, जब मैंने यह कहानी पढी, तो मुझे इसमें एक शास्त्रीय उपन्यास के सभी तत्व मिले. मैंने इसमें एक मध्यमवर्गीय चरित्र निभाया है, जो एक के बाद दूसरी स्थितियों को सुलझाने के लिये जूझ रहा है. फिल्म की कहानी पुत्र की निगाह से सुनाई गयी है.

बाजपेई ने बताया कि मैंने अलीगढ मुस्लिम यूनिविर्सटी के प्रोफेसर रामचन्द्र सीरस का किरदार बहुत जिम्मेदारी के साथ निभाया. उन्होंने कहा, मैं अपने चरित्र या उसके निर्देशन के लिये कभी दुविधा में नहीं रहा. यदि आपके पास अलीगढ जैसी अच्छी फिल्म है, तो हम स्टीरियोटाइप नहीं हो सकते, लेकिन ऐसा किरदार कभी कभी ही निभाने को मिलता है.

उन्होंने बताया कि यह उनके करियर का एक महत्वपूर्ण किरदार है.

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