फिल्म: इत्तेफ़ाक़
निर्माता: शाहरुख़ खान और करण जौहर
निर्देशक: अभय चोपड़ा
कलाकार: सिद्धार्थ मल्होत्रा, सोनाक्षी सिन्हा, अक्षय खन्ना और अन्य
रेटिंग: तीन
1969 में यश चोपड़ा निर्देशित मर्डर मिस्ट्री फिल्म ‘इत्तेफ़ाक़’ की यह फिल्म ऑफिशियल रीमेक है. सस्पेंस फिल्म की रीमेक बहुत बड़ी चुनौती है लेकिन जिस अंदाज़ से नवोदित निर्देशक अभय चोपड़ा ने कहानी को बयां किया है. वह इस चुनौती पर खरे उतरे हैं. फिल्म की मूल कहानी वही है लेकिन इसमें और ट्विस्ट भी जुड़ गए हैं. फिल्म की शुरुआत विक्रम सेठी(सिद्धार्थ ) से होती है. जिन पर अपनी पत्नी की हत्या का आरोप है.
पुलिस उसका पीछा कर रही है. विक्रम माया (सोनाक्षी सिन्हा) के घर पुलिस से बचने के लिए पहुंच जाता है. वहाँ माया के पति का खून हो जाता है. विक्रम पुलिस की गिरफ्त में है. अब विक्रम पर अपनी बीवी के साथ साथ माया के पति के कत्ल का इल्जाम भी लग चुका है.
इंस्पेक्टर देव (अक्षय खन्ना) को इन दो मर्डर मिस्ट्री को सुलझाना है. वो कभी सोनाक्षी तो कभी सिद्धार्थ से पूछताछ कर रहें हैं. दोनों ही अपनी-अपनी कहानी बता रहे हैं और दोनों ही एक दूसरे से अलग बता रहे हैं. समझ नही आ रहा कि सच कौन बोल रहा है. विक्रम या माया. दूसरे भाग में इसी सच को जानने की जदोजहद होती है. सच क्या है इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी.
एक ही बात को अलग-अलग लोगों से देखना बोर कर सकता था लेकिन जिस तरह से फिल्म की कहानी गयी है वह पूरी फिल्म के प्रति आपकी दिलचस्पी को बरक़रार रख पाता है. फिल्म की कहानी फिल्म की अवधि मात्र 1 घंटे 45 मिनट की है. यह फिल्म का और प्लस पॉइंट है हालाँकि फिल्म का क्लाइमेक्स सपाट ढंग से बयान किया है. आपको इसका पूर्वानुमान भी हो सकता है.
लेकिन इत्तेफाक एंगेजिंग और एंटरटेनिंग फिल्म है. इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है. फिल्म की कहानी में गति है जो अब क्या होगा. अभय चोपड़ा का निर्देशन अच्छा है. अभिनय की बात करें तो सिद्धार्थ मल्होत्रा और सोनाक्षी सिन्हा ने अच्छा अभिनय किया है लेकिन बाज़ी अक्षय खन्ना मार ले जाते हैं. वह फिल्म में बेहतरीन रहे हैं.
फिल्म में गाने नहीं है लेकिन फिल्म का बैकग्राउंड इस मर्डर मिस्ट्री के साथ पूरी तरह से न्याय करता है. फिल्म की सिनेमेटोग्राफी काफी अच्छी है. अगर आप अपने दिमाग की एक्सरसाइज करवाना चाहतें हैं तो फ़िल्म देखनी बनती है.