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Movie Review : फीकी है ये शादी

फिल्म : शादी में जरूर आनानिर्देशक : रत्ना सिन्हाकलाकार : राजकुमार राव, कृति खरबंदा, गोविंद नामदेव, मनोज पाहवा और अन्यरेटिंग : दो उर्मिला कोरी छोटे शहरों में लड़कियों की शादी उनके परिवार के लिए आज भी उनके करियर से ज्यादा अहमियत रखती है या यूं कहें कि करियर की कीमत पर शादी, तो गलत न […]

फिल्म : शादी में जरूर आना
निर्देशक : रत्ना सिन्हा
कलाकार : राजकुमार राव, कृति खरबंदा, गोविंद नामदेव, मनोज पाहवा और अन्य
रेटिंग : दो

उर्मिला कोरी

छोटे शहरों में लड़कियों की शादी उनके परिवार के लिए आज भी उनके करियर से ज्यादा अहमियत रखती है या यूं कहें कि करियर की कीमत पर शादी, तो गलत न होगा. ऐसे में जब लड़की अपने करियर के हित में फैसले लेती है तो कई बार दिल के रिश्तों में दूरियां आ जाती हैं.

फिल्म की कहानी आरती (कृति खरबंदा) की है आरती शादी नहीं करना चाहती उसे अपना करियर बनाना है, लेकिन अपने पापा की जिद के कारण आरती को सत्येंद्र (राजकुमार राव) से शादी के लिए मिलना पड़ता है.

पहली ही मुलाकात में सतेंद्र आरती को शादी के बाद नौकरी करने को कहता है. आरती के खुशी का ठिकाना नहीं रहता है. आरती और सत्तु एक-दूसरे से प्यार करने लगते हैं.

दोनों की फैमिली इनकी शादी की तैयारियों में लग जाती है, लेकिन शादी के दिन अपने करियर की वजह से आरती को शादी से भागने का फैसला लेना पड़ता है. कहानी पांच साल आगे बढ़ जाती है.

आरती राज्य लोकसेवा में चयनित हो अफसर बन गयी है. सीधा सादा सत्तु अब एंग्रीमैन बन गया है और करियर में आरती से ज्यादा सफल भी. वह केंद्रीय लोकसेवा में पास हो डीएम है.

आरती पर विभागीय भ्रष्टाचार का आरोप लगता है और केस की जिम्मेदारी सत्तू को मिलती है. वह इसे बदला लेने का मौका समझता है. क्या वह आरती से बदला लेगा या आरती के सपनों का सम्मान कर उसे माफ कर देगा, इसी पर आगे की कहानी है.

फिल्म कहानी यूं तो कई फिल्मों से प्रेरित है, लेकिन हालिया रिलीज हुई फिल्म बद्रीनाथ की दुल्हनिया और बरेली बर्फी से यह बहुत ज्यादा प्रेरित है. फिल्म का सेकंड हाफ बहुत ज्यादा खींचा गया है. जिससे एक वक्त के बाद ऊब होने लगती है. फिल्म में मेलोड्रामा भी खूब है, जिससे कई बार टीवी सीरियल की कहानी लगने लगता है.

अभिनय की बात करें, तो हमेशा की तरह राजकुमार अपने किरदार के हाव भाव और उससे जुड़ी बारीकियों को बखूबी सामने लेकर आये हैं. कृति परदे पर खूबसूरत दिखी हैं.

मनोज पाहवा, अलका अमीन, विपिन शर्मा, के के रैना और गोविंद नामदेव जैसे बेहतरीन कलाकारों की टोली ने अपनी अपनी भूमिका को बखूबी निभाया है. फिल्म का गीत-संगीत औसत है. पल्लो लटको गीत ही थोड़ा ठीक-ठाक है.

सिनेमाटोग्राफी की बात करें तो उत्तर प्रदेश के बैकड्रॉप पर बनी एक और फिल्म है. पिछले कुछ महीने से इस बैकड्रॉप पर शादी की कहानियां लगातार आ रही है जिस वजह से यह फिल्म उस मामले में भी दोहराव करती दिखती है.

कुल मिलाकर फिल्म दहेज और लैंगिक असमानता जैसे अहम मुद्दों पर हैं लेकिन कहानी के कमजोर ट्रीटमेंट ने इन विषयों के साथ न्याय करने से चूकती हैं. जिस वजह से यह शादी फीकी हो गयी है.

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