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सुप्रीम कोर्ट ने ”पद्मावती” पर सुनवाई से किया इनकार

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म पद्मावती के कथित आपत्तिजनक दृश्यों को हटाने की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है. शीर्ष कोर्ट ने दायर याचिका खारिज करते हुये कहा कि यह समय पूर्व है. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने […]

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म पद्मावती के कथित आपत्तिजनक दृश्यों को हटाने की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है. शीर्ष कोर्ट ने दायर याचिका खारिज करते हुये कहा कि यह समय पूर्व है.

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने अभी तक फिल्म को प्रमाण पत्र नहीं दिया है और शीर्ष अदालत इस विधायी संस्था को अपना काम करने से नहीं रोक सकती.

पीठ ने कहा, हमें सूचित किया गया है कि फिल्म को अभी तक केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड से प्रमाण पत्र नहीं मिला है. इस तथ्य के मद्देनजर इस याचिका में हमारा दखल समय से पहले ही राय बनाना होगा जो हम नहीं करना चाहते. पीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा की याचिका के कुछ अंश हटाते हुये कहा कि अदालती दस्तावेज का मकसद समाज में किसी प्रकार की कटुता पैदा करना नहीं हो सकता.
सुनवाई के दौरान शर्मा ने सेन्सर बोर्ड से प्रमाण पत्र मिले बगैर ही इसके गानों को प्रसारित करने का मुद्दा भी उठाया और आरोप लगाया कि दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह और शाहिद कपूर अभिनीत यह फिम प्रमाणन बोर्ड द्वारा आवेदन लौटा देने के बावजूद प्रदर्शित की गयी है.
प्रतिवादियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने इन दलीलों का प्रतिवाद करते हुये कहा कि फिल्म के प्रोमो जारी किये गये हैं और इसके लिये प्रमाणन बोर्ड से मंजूरी मिली हुयी है. याचिकाकर्ता ने बार बार यह आरोप लगाया कि फिल्म के कुछ अंश रिलीज कर दिये गये हैं तो पीठ ने टिप्पणी की, सेन्सर बोर्ड की इसमें निश्चित ही भूमिका है. वे दिशा निर्देश देंगे जो कानून में ही शामिल हैं. यह उनकी ड्यूटी है. हम दूसरे मुद्दों पर हैं. क्या शीर्ष अदालत को एक फिल्म रोकने के लिये हस्तक्षेप करना चाहिए? याचिका में आरोप लगाया गया है कि फिल्म में रानी पद्मावती के चरित्र का हनन किया गया है और प्रमाणन बोर्ड इन पहलुओं पर गौर नहीं करेगा.
पीठ ने इस पर फिल्म के प्रमाणन के लिये केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के कामकाज का विस्तार से जिक्र करते कहा कि हम इसके काम में कैसे हस्तक्षेप कर सकते हैं. न्यायालय बोर्ड से यह नहीं कह सकता कि किसी मामले पर एक विशेष तरीके से फैसला लिया जाये क्योंकि यह काम बोर्ड का ही है. इस फिल्म के निर्माता वायकाम 18 ने पहले कहा था कि एक दिसंबर को फिल्म के प्रदर्शन का प्रस्तावित कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है.

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