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ब्रिटेन में पद्मावती की रिलीज को मिली मंजूरी

विदेश में फिल्म की रिलीज रोकने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में नयी याचिका, 28 को सुनवाई मुंबई/नयी दिल्ली : संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती को लेकर जारी विरोध के बीच ब्रिटेन से राहत मिली है. ब्रिटेश बोर्ड ऑफ फिल्म क्लासिफिकेशन (बीबीएफसी) ने फिल्म पद्मावती से बिना कोई दृश्य हटाये उसे रिलीज किये जाने की […]

विदेश में फिल्म की रिलीज रोकने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में नयी याचिका, 28 को सुनवाई
मुंबई/नयी दिल्ली : संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती को लेकर जारी विरोध के बीच ब्रिटेन से राहत मिली है. ब्रिटेश बोर्ड ऑफ फिल्म क्लासिफिकेशन (बीबीएफसी) ने फिल्म पद्मावती से बिना कोई दृश्य हटाये उसे रिलीज किये जाने की अनुमति दे दी है, लेकिन निर्माताओं का कहना है कि वह भारतीय सेंसर बोर्ड की मंजूरी के बिना इसे अभी कहीं भी रिलीज नहीं करेंगे.
फिल्म पद्मावती को बीबीएफसी ने 12ए रेटिंग दी है, जिससे ब्रिटेन की जनता उसे बिना किसी बदलाव (फिल्म से बिना कोई दृश्य हटाए) देख पायेगी. 12ए रेटिंग के तहत फिल्म को 12 से कम उम्र के बच्चे अपने अभिभावकों के बिना नहीं देख सकते. ब्रिटिश सेंसर बोर्ड की आधिकारिक वबेसाइट पर पद्मावती को 12(ए) प्रमाणपत्र दिये जाने की जानकारी दी गयी है. वेबसाइट पर कहा गया है कि फिल्म से किसी भी दृश्य को नहीं हटाया गया है.
बहरहाल, वायकॉम18 से जुड़े सूत्र ने कहा कि वे सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) की मंजूरी के बिना फिल्म को दुनिया में कहीं भी रिलीज करने की योजना नहीं बना रहे हैं. पद्मावती में दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह और शाहिद कपूर मुख्य भूमिकाओं में हैं.
सुप्रीम कोर्ट फिल्म पद्मावती के निर्माताओं को इसे एक दिसंबर को देश से बाहर रिलीज करने से रोकने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर 28 नवंबर को सुनवाई के लिए सहमत हो गया है.
सेंसर बोर्ड की मंजूरी के बिना नहीं होगी रिलीज : निर्माता
औरतबाज नहीं था खिलजी : इतिहासकार
दिल्ली के इतिहासकार आरवी स्मिथ कहते हैं कि खिलजी औरतबाज नहीं था, जैसा कि पद्मावती फिल्म में उसे दिखाया गया है. उसने मंगोलों से हिंदुस्तान की हिफाजत की. अगर अलाउद्दीन खिलजी नहीं होता, तो आज हिंदुस्तान की शक्ल कुछ और होती. खिलजी ने अपने साम्राज्य के विस्तार के लिए चितौड़ पर आक्रमण किया था, पद्मावती को जीतने के लिए नहीं.
चितौड़ के राजा रतन सिंह को हराने के बाद जब उन्होंने रानी पद्मिनी की खूबसूरती के चर्चे सुने, तो उसने उसे देखने की उत्सुकता जतायी. बताया जाता है कि विशाल आइने के सामने रानी खड़ी हुई और खिलजी ने उनको देखा.
फिल्म की पूरी कहानी में काल्पनिकता
इतिहासकार स्मिथ कहते हैं कि भंसाली की फिल्म की पटकथा का आधार पद्मावत है. इसे खिलजी की मौत के करीब ढाई सौ साल बाद भक्तिकाल की निर्गुण प्रेमाश्रयी धारा के कवि मलिक मुहम्मद जायसी ने लिखा. इसे रोचक बनाने के लिए उसमें इसमें बहुत-सी काल्पनिक बातें जोड़ीं. जाहिर है फिल्म में काल्पनिकता का प्रभाव है. वह तो यह भी मानते हैं कि खिलजी के हाथों में पड़ने से बचने के लिए रानी पद्मावती ने जौहर नहीं किया था, बल्कि राजा रतन सिंह के जंग में हार जाने के बाद रवायत के चलते महल की बाकी महिलाओं के साथ चिता में कूद गयी थीं.

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