लड़कियों के कपड़ों पर कमेंट करनेवाले अपनी मानसिकता सुधारें: कीर्ति कुल्हारी
रांची: लड़कियों के कपड़े देखकर जिन लड़कों के दिमाग में गलत ख्याल आते हैं तो उसमें गलतियां उन लड़कों की है लड़कियों की नहीं, ऐसा कहना है साल 2016 में आई फिल्म ‘पिंक’ की अभिनेत्री कीर्ति कुल्हारी का. उन्होंने बताया कि इस फिल्म की आखिरी शूटिंग आते-आते हर इंसान टूट गया था. कोर्ट रूम वाले […]
रांची: लड़कियों के कपड़े देखकर जिन लड़कों के दिमाग में गलत ख्याल आते हैं तो उसमें गलतियां उन लड़कों की है लड़कियों की नहीं, ऐसा कहना है साल 2016 में आई फिल्म ‘पिंक’ की अभिनेत्री कीर्ति कुल्हारी का. उन्होंने बताया कि इस फिल्म की आखिरी शूटिंग आते-आते हर इंसान टूट गया था. कोर्ट रूम वाले सीन के दौरान हर उस शख्स की आंखें नम थी जो उस वक्त वहां मौजूद था. फिल्म में दमदार वकील का किरदार महानायक अमिताभ बच्चन ने निभाया था.
कीर्ति ने ये बातें झारखंड लिट्रेरी मीट के दैरान कहीं. इस मौके पर उनके साथ फिल्म के डायरेक्टर अनिरुद्ध रॉय चौधरी और गौतम चिंतामणि भी मौजूद थे. उन्होंने फिल्म के बारे में कई बातें शेयर की. कीर्ति ने बताया कि इस फिल्म के दौरान उन्होंने कई लड़कियों से मुलाकात की थी.
फिल्म मेकर्स ने फिल्म के माध्यम से लोगों को समझाने की कोशिश की, कि एक लड़की की ‘न का मतलब न होता है’. फिल्म ने समाज में फैली इस परंपरा को तोड़ने की कोशिश की कि हमेशा लड़कियां ही गलत नहीं होती. कीर्ति ने बताया कि फिल्म की तीनों लीड एक्ट्रेसेस मैं, तापसी पन्नू और एंड्रिया तारियांग ने हर दर्द को महसूस किया. हर सिचुएशन में खुद को रखकर डायलॉग्स बोले.
फिल्म के डायरेक्टर अनिरुद्ध रॉय चौधरी ने बताया कि फिल्म का नाम पहले पिंक नहीं सोचा गया था. मैंने इसका नाम ‘NO’ सोचा था लेकिन शूजित सरकार को यह टाइटल पसंद नहीं किया. बाद में फिल्म की पूरी टीम ने तय किया कि फिल्म का नाम ‘पिंक’ होगा. कीर्ति इस टाइटल के बारे में कहती हैं कि पिंक एक महिला की सशक्तिकरण और एनर्जी को दर्शाती है. अनिरुध ने यह भी कहा कि हम पिंक का सेकंड पार्ट भी बनायेंगे.
कीर्ति ने महिलाओं के साथ हो रही घटनाओं को लेकर कहा कि,’ जब भी मैं ऐसे किसी भी घटना के बारे में सोचती हूं, मेरा दिल अंदर से रोता है. लोगों के अंदर मानवता को जगाने की जरुरत है.’ गौतम ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, महिला के साथ हुई घटनायें दिल को दहलाती हैं. मैं कहना चाहूंगा कि आरोपी को तुरंत ऐसी सजा मिलनी चाहिए कि वो दोबारा कोई भी ऐसी हरकत करने के बारे में सोच भी न सकें.