मुंबई: संगीतकार ए आर रहमान ने कहा कि अगर बाजार में अच्छे संगीत की मांग नहीं होती तो वह धुनें बनाना बंद कर देते. कई जानेमाने कलाकार अकसर फिल्मों में गुणवत्ता वाले गानों के प्रस्तावों की कमी की शिकायत करते हैं लेकिन 50 वर्षीय रहमान इस मुद्दे पर अलग रख रखते हैं और उन्होंने कहा कि रचनात्मक लोगों को खुद को व्यक्त करने के लिए गैर-परंपरागत तरीकों को खोजना चाहिए.
जब रहमान से पूछा गया कि क्या फिल्म संगीत में करियर के सीमित विकल्प होते हैं तो उन्होंने कहा, यह सीमित नहीं है. वे इसे सीमित कर रहे हैं. आपको खुद को व्यक्त करने के, विकसित होने के गैर-परंपरागत तरीके खोजने होंगे.
उन्होंने कहा, अगर सीडी बिकनी बंद हो जातीं तो मैं संगीत बनाना बंद कर देता. लेकिन चीजें अलग हैं. संगीत तो एक ही है, लेकिन जिस तरीके से हम इसे व्यक्त करते हैं, जिस तरीके से इसे सुनते हैं, वह अलग है. हमें अपने जोन में रहना होगा. हमें समय के साथ विकसित होना होगा. मैं अब भी उस बुनियाद को बनाये हुए हूं. हर तरह के संगीत की धुन तैयार करने वाले रहमान के मुताबिक सूफी संगीत उनके दिल के काफी करीब है और इबादत की तरह है.
उन्होंने कहा, जब मुझे कव्वाली पिया हाजी अली के लिए प्रस्ताव मिला था, तो मैंने खुद को बहुत मुबारक महसूस किया. लोग कई साल तक मेरे पास आते थे और कहते थे कि इस कव्वाली ने मुझे अप्रिय हालात से बचाया है.
रहमान ने कहा, उसके बाद मैंने ख्वाजा मेरे ख्वाजा बनाया, उसे भी सबने पसंद किया. मैं इसे अब तक की अपनी सबसे बडी उपलब्धि मानता हूं. मुझे यह एहसास भी हुआ कि हमेशा सीखा जा सकता है. रहमान संगीत के क्षेत्र में अपने 25 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित कई शहरों के टूर ए आर रहमान एनकोर-द कंसर्ट के तहत यह प्रस्तुति दे रहे हैं.