अब मेवाड़ राजघराना करेगा ”पद्मावती” पर फैसला
पिछले काफी समय से विवादों में रही संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावती’ को लेकर अब नयी कवायद शुरू हो गयी है. सेंसर बोर्ड ने मेवाड़ राजघराने को सेंसर बोर्ड के पैनल में शामिल होने के आमंत्रित किया है ताकि वे उनकी मदद से फिल्म को सर्टिफिकेट प्रदान कर सके. कहा जा रहा है कि […]
पिछले काफी समय से विवादों में रही संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावती’ को लेकर अब नयी कवायद शुरू हो गयी है. सेंसर बोर्ड ने मेवाड़ राजघराने को सेंसर बोर्ड के पैनल में शामिल होने के आमंत्रित किया है ताकि वे उनकी मदद से फिल्म को सर्टिफिकेट प्रदान कर सके. कहा जा रहा है कि मेवाड़ राजघराने को यह फिल्म दिखाई जायेगी. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर बनी यह फिल्म शूटिंग के वक्त से ही विवादों में रही है.
सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने मेवाड़ के पूर्व राजघराने के सदस्य और पद्मिनी के वंशज विश्वराज सिंह को आमंत्रित किया है. विश्वजीत सिंह हिंदुस्तान टाइम्स को बताया, राजपूत समाज के लिए रानी पद्मावती उनकी परंपरा की प्रतीक है और वे दृढ़ता से उनका सम्मान करते हैं.
पिछले दिनों विश्वराज सिंह ने अपने एक बयान में कहा था कि,’ रानी पद्मिनी पर आधारित फिल्म पद्मावती में इतिहास को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया है, जो स्वीकार्य नहीं है. फिल्म की रिलीज से पहले गाने, पोस्टर देखने से पता चलता है कि रानी पद्मावती का जीवन चरित्र गलत ढंग से प्रस्तुत किया गया है. फिल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली ने ऐसा अपने फायदे के लिए किया है.’
सिंह ने बताया था कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्रियों स्मृति ईरानी, प्रकाश जावडेकर, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ तथा राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी को पत्र लिखकर सेंसर बोर्ड द्वारा फिल्म ‘पद्मावती’ को जारी सर्टिफिकेट को रोकने की मांग की है.
कई राजपूत संगठनों का आरोप है कि फिल्म के निर्माता-निर्देशक संजय लीला भंसाली ने ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की है जिस वजह से वह फिल्म का लगातार विरोध कर रहे हैं. रानी पद्मावती ऐतिहासिक क़िरदार हैं या नहीं इसे लेकर भी इतिहासकारों में मतभेद हैं. कुछ इतिहासकार पद्मावती को मलिक मोहम्मद जायसी की कल्पना बताते हैं तो कुछ उन्हें ऐतिहासिक क़िरदार मानते हैं.