पढ़ें, कैसी है ब्लैकमेल? रिव्यू

फ़िल्म : ब्लैकमेलनिर्देशक : अभिनय देवकलाकार : इरफान खान, कृति कुल्हारी, अरुणोदय, दिव्या दत्ता और अन्यरेटिंग : तीन स्टार डार्क कॉमेडी जॉनर बॉलीवुड में नया भले ही न हो लेकिन इस जॉनर को अब तक बहुत कम ही भुनाया गया है.अपनी पिछली रिलीज फ़िल्म गेम की असफलता के बाद निर्देशक अभिनय देव एक बार फिर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 6, 2018 4:20 PM

फ़िल्म : ब्लैकमेल
निर्देशक : अभिनय देव
कलाकार : इरफान खान, कृति कुल्हारी, अरुणोदय, दिव्या दत्ता और अन्य
रेटिंग : तीन स्टार

डार्क कॉमेडी जॉनर बॉलीवुड में नया भले ही न हो लेकिन इस जॉनर को अब तक बहुत कम ही भुनाया गया है.अपनी पिछली रिलीज फ़िल्म गेम की असफलता के बाद निर्देशक अभिनय देव एक बार फिर से इस जॉनर में लौट आए हैं. उन्होंने अपनी पहली फ़िल्म देली बेली में इसी जॉनर को चुना था. ब्लैकमेल पर आते हैं और इसकी कहानी जानते हैं .

फ़िल्म की कहानी देव (इरफान खान) की है. वह एक सेल्समैन है. वह अपनी शादीशुदा जिंदगी से खुश नहीं है.एक दिन अपने दोस्त की राय पर वह अपनी पत्नी को सरप्राइज देने के लिए पहुँच जाता है लेकिन वह खुद सरप्राइज हो जाता है.अपने ही घर में अपनी पत्नी को उसके पुराने प्रेमी के साथ हमबिस्तर पाता है.उसे मन में ढेरों ख्याल आते हैं.
कभी प्रेमी की हत्या के तो कभी पत्नी के लेकिन वह अपनी पत्नी के प्रेमी को ब्लैकमेल करने का फैसला करता है क्योंकि असफल शादी के अलावा घर का लोन और क्रेडिट कार्ड बिल और दूसरे लोन की समस्या भी उसकी जिंदगी में है लेकिन कहानी में तब ट्विस्ट आ जाता है जब फ़िल्म के दूसरे किरदार भी अपने अलग अलग मकसद के लिए देव को ब्लैकमेल करते हैं.क्या देव अपने मकसद में कामयाब होगा या इस ब्लैकमेल में वह खुद फंस जाएगा.इसके लिए आपको फ़िल्म देखनी होगी.इस पूरे प्लाट को ह्यूमर के अंदाज़ में कहा गया है. जो इस फ़िल्म की सबसे बड़ी खासियत है.जिससे फ़िल्म से आपका जुड़ाव बना रहता है.
फ़िल्म की शुरुआत थोड़ी धीमी है लेकिन एक बार किरदार और कहानी स्थपित होने के बाद रफ्तार पकड़ लेती है.फ़िल्म के कई दृश्य दोहराए गएहैं.फ़िल्म की एडिटिंग और अच्छी हो सकती थी.फ़िल्म के कई दृश्य अधूरे रह गए हैं.जब पुलिस को देव पर पूरी तरह से शक हो जाता है तो भी पुलिस क्यों नहीं देव को पकड़ती है.इन थोड़ी बहुत खामियों के बावजूद कहानी और उसका ट्रीटमेंट आपको बांधे रखता है.अभिनय की बात करें यह इस फ़िल्म की सबसे बड़ी यूएसपी है.इरफान खान हमेशा की तरह लाजवाब रहे हैं .उन्हें परदे पर बार बार देखने का मन होता है.दिव्या दत्ता का रोल छोटा लेकिन असरदार है.अरुणोदय का यह सबसे बेहतरीन परफॉरमेंस कहा जा सकता है.कृति कुल्हारी के लिए फ़िल्म में करने को कुछ खास नहीं था .प्रद्युम्न और ओमी वैद्य का काम अच्छा रहा है. फ़िल्म का गीत संगीत कहानी के अनुरूप है.
कई सालों बाद उर्मिला मातोंडकर इस फ़िल्म के आइटम गीत बेवफा ब्यूटी में परफॉर्म करती दिखी हैं.उनको परदे पर फिर से देखना अच्छा रहा.फ़िल्म के संवाद अच्छे बन पड़े हैं स्थिति की गंभीरता को बरकरार रखते हुए ह्यूमरस संवाद इस फ़िल्म को बांधे रखते हैं.हाँ देली बेली की तरह यहाँ भी टॉयलेट ह्यूमर है. सिनेमाटोग्राफी और दूसरे पक्ष अच्छे हैं.कुलमिलाकर यह डार्क कॉमेडी फिल्म इरफान खान और उनके सह कलाकारों के अभिनय के लिए देखी जा सकती है.

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