मुंबई: स्वरा भास्कर फिल्म वीरे दी वेडिंग में अपने बोल्ड सीन को लेकर सुर्खियों में बनी हुई हैं. इस फिल्म में उनका किरदार स्टीरियोटाइप गर्ल से काफी हटकर नजर आया. फिल्म के एक सीन में वे वाइब्रेटर का इस्तेमाल करती नजर आ रही हैं. एक तरफ जहां दर्शकों ने उनके इस सीन को ‘आइकॉनिक सीन’ का तमगा दे दिया है तो कईयों ने इसे घटिया और स्वीकार ने करने लायक बताया. अब स्वरा की मां ईरा भास्कर का बयान सामने आया है.
हालांकि, स्वरा के इस सीन के बाद यह बात सामने आ गई है कि इंडस्ट्री में पिछले 100 सालों में ऑर्गैज़म सीन को इतने बोल्ड अंदाज़ में इससे पहले कभी नहीं दिखाया गया.
ईरा भास्कर एक फिल्म इतिहासकार हैं और टिश स्कूल ऑफ आर्ट्स से पीएचडी कर चुकी हैं. वे जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में सिनेमा स्टडीज़ की प्रोफेसर भी हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक न्यूज़ पोर्टल के हवाले से लिखा, ईरा ने ‘वीरे दी वेडिंग’ के उस खास सीन को लेकर तो कुछ नही कहा लेकिन उन्होंने इस तरह के सीन को लेकर अपनी बात जरूर रखी है. जब उनसे पिछले कुछ दशकों में स्क्रीन पर फीमेल सेक्शुअलिटी को फिल्माने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘मैं सबसे पहले कहना चाहूंगी कि वास्तव में सेक्शुअलिटी भारतीय सिनेमा का सब्जेक्ट नहीं है जिसे सीधे तौर पर व्यक्त किया जा सके.
उन्होंने आगे कहा,’ इतिहास पर नजर डालें तो हमारा सिनेमा इस वजह से हटकर है क्योंकि पिछले कई सालों में हमारे सिनेमा में काफी विकास हुआ है और कामुकता जैसी शैली पर भी हमारा नजरिया बेहद साफ और मिलाजुला रहा है…और यह शैली गाना है. कई ऐसी चीजें भी है जिसे गाने के जरिये सीधे दर्शाया नहीं जा सकता. चाहे वो हिंदी फिल्मों के गाने हो या बंगाली. मलयालम हो या तमिल. गाने के जरिये काफी अभिव्यक्ति पर्दे पर पेश की गई है.’
उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा,’ एक बार मुग़ल-ए-आजम के गाने ‘जोगन बन चली’ के बारे में सोचिये, इसमें जोगन शब्द वास्तव में मीरा के लिए है जो कि दुनिया भर में अपने प्रेम के लिए मशहूर है. ऐसे में यह किसी चीज के लिए आपके जुनून का सम्पूर्ण डेडिकेशन ही तो है. ये फिल्में सीधे सेक्शुअल ऐक्ट या लवमेकिंग ऐक्ट को प्रजेंट नहीं करती.’
ईरा भास्कर ने कहा,’ भारतीय सिनेमा में सबसे इरॉटिक सीक्वेंस ‘मुगल-ए-आजम का है जिसमें दिलीप कुमार मधुबाला के चेहरे पर हाथ फेरते हैं.’ उन्होंने कहा कि ‘फायर’, ‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’ और ‘वीरे दी वेडिंग’ जैसी फिल्मों में आप वैसी महिलाओं को देख सकते हैं जो सेक्शुअली एक्टिव हैं. उनकी जो चाहत है उसपर उन्हें कोई पछतावा नहीं है. वह जो हैं उसके लिए अपमानित हों, यह भी उन्हें स्वीकार नहीं.’