बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने आज वर्ल्ड ब्लड डोनर डे के अवसर पर ट्वीट किया -‘वर्ल्ड ब्लड डोनर डे, जीवन की रक्षा करता है. आगे उन्होंने लिखा कि 1982 में कुली फिल्म की शूटिंग के दौरान जब मेरा एक्सिडेंट हुआ था तो कई लोगों ने ब्लड डोनेट करके मेरी जान बचायी थी. मैं हमेशा उनका शुक्रगुजार रहूंगा."
गौरतलब है कि प्रतिवर्ष 14 जून को वर्ल्ड ब्लड डोनर डे पूरे विश्व में सेलिब्रेट किया जाता है. इसकी शुरूआत 2004 में की गयी थी. इसका एक मात्र उद्देश्य लोगों के बीच ब्लड डोनेशन को लेकर जागरूकता फैलाना था. आंकड़ों के अनुसार भारत में जितना रक्तदान होना चाहिए उतना होता नहीं है, जिसके कारण तीन मिलियन यूनिट रक्त की कमी रहती है. कारण यह है कि रक्तदान से हमारे देश में कई तरह के मिथक जुड़े हैं-
रक्तदान से हो जाती है खून की कमी
लोगों में ऐसी धारणा है कि रक्तदान के बाद उनके शरीर में खून की कमी हो जायेगी, जबकि यह बात बिल्कुल गलत है. रक्तदान के 48 घंटे बाद रक्त की क्षतिपूर्ति हो जाती है. इतना ही नहीं, अगर आप पूरी तरह स्वस्थ हैं तो हर तीन महीने में एक बार रक्तदान कर सकते हैं.
रक्तदान से सेहत को नुकसान
रक्तदान पूरी तरह सुरक्षित है और इससे आपकी सेहत को कोई नुकसान नहीं होता. असलियत तो यह है कि यह दिल की बीमारियों की आशंका कम करने में सहायक है और शरीर में अतिरिक्त आयरन को जमने से रोकता है.
रक्तदान के बाद आराम जरूरी
अगर आपको यह लगता है कि रक्तदान करने के बाद आपको पूरे एक दिन आराम करना पड़ेगा और इसके लिए ऑफिस से छुट्टी लेनी होगी तो ऐसा नहीं है. आप रक्तदान के बाद भी सामान्य रुटीन अपना सकते हैं बशर्ते आप थोड़ी सावधानी बरतें जैसे-
दिन में 10 से 12 ग्लास पानी पिएं,
एक-दो दिन एल्कोहल, धूम्रपान आदि से दूर रहें.
इसके अलावा तीन से चार घंटे तक ड्राइविंग और धूप में आने से थोड़ा बचें.
रक्तदान में होता है दर्द
रक्तदान के बारे में कुछ लोग मानते हैं कि इसमें काफी दर्द होता है लेकिन असलियत यह है कि इसमें दर्द बिल्कुल नहीं होता. सिर्फ कुछ सेंकेंड के लिए आपको सुई चुभोने का एहसास होगा, इससे अधिक कुछ भी नहीं.