मशहूर अभिनेत्री मनीषा कोईराला संजय दत्त की बायोपिक संजू में लीजेंडरी एक्ट्रेस नरगिस दत्त की भूमिका में हैं. इंडस्ट्री में आये बदलाव से वह खुश हैं. वह कहती हैं कि समाज बदला है इसलिए सिनेमा भी बदला है. अब औरतें अपने मन की बात कहने लगी हैं. आदमी न सिर्फ सुन रहे हैं बल्कि मान भी रहे हैं. मनीषा कोईराला की उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.
-नरगिस दत्त की भूमिका आॅफर हुई तो आपका क्या रिएक्शन था?
मैं बहुत नर्वस थी. मैं ये रोल कर पाऊंगी या नहीं खासकर नरगिस जी और मेरी हेल्थ हिस्ट्री एक जैसी ही रही है. लेकिन राजू सर ने मुझे कहा कि वो उस पहलू को ज्यादा फोकस नहीं करेंगे. जब उन्होंने नरगिस जी के किरदार के बारे में पूरा बताया तो मैं बहुत ही ज्यादा इच्छुक हो गयी इस फिल्म से जुडने के लिए. मैं बहुत खुश हूं कि मैंने ये फिल्म की. जब आपके पास राजू हीरानी जैसा निर्देशक होता है तो आपकी आधी मेहनत कम हो जाती है. मैं पूरी तरह से हीरानी सर को ही क्रेडिट दूंगी.
-आप नरगिस जी के बारे में पहले से कितना जानती थीं?
सच कहूं तो उनकी फिल्मों के अलावा मुझे उनके बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था. इस फिल्म के दौरान मैंने रिसर्च किया तो मुझे ज्यादा मालूम हुआ. राज जी ने मुझे एक डॉक्यूमेंट्री दिखायी थी. प्रिया दत्त से मैं मिली उन्होंने मुझे एक किताब दी. उन सबके जरिये मैंने नरगिस को एक अभिनेत्री से परे जाना है. वैसे फिल्म बॉम्बे जब रिलीज हुई थी तो मुझे सुनील दत्त साहब का फोन आया था. उन्होंने मुझे कहा कि मुझे देखकर उन्हें नरगिस जी याद आ गयी. मेरे लिए वह कॉमिप्लमेंट बहुत ही बड़ा था. मैंने कभी नहीं सोचा था कि परदे पर उनकी भूमिका मुझे निभाने का मौका मिलेगा.
-एक एक्टर के तौर पर मौजूदा दौर के लिए आपने खुद में क्या बदलाव किये हैं.?
अच्छे डायरेक्टर्स के साथ काम करना मैंने अपनी प्राथमिकता बना ली है. मुझे अपने काम से बहुत प्यार है इसलिए मैं ये भी देखती हूं कि आज का ट्रेंड क्या है. मैं खुद को अपने पुराने जोन में फंसा नहीं देखना चाहती हूं. जो मैंने 20 वर्ष की उम्र में किया था. वो मै इस उम्र में नहीं कर सकती हूं. मैं आज की युवा पीढ़ी, क्वालिटी फिल्म, सिनेमा की स्टोरी आदि सब कुछ फाॅलो करती हूं. मुझे लगता है कि बदलते वक्त के साथ खुद को बदलना पड़ता है. परिवर्तन ही संसार का नियम है.
-90 के दशक और अभी इंडस्ट्री में आप क्या बदलाव पाती हैं?
इंडस्ट्री बहुत ज्यादा प्रोफेशनल है और ये अच्छा बदलाव है. इस दौर की अच्छाई ये है कि फोकस्ड है, अनुशासन है, प्रोफेशनलिज्म है और साथ में ढेर सारी प्रतिस्पर्धा भी है.सब कोई हर जगह बस अपना बेस्ट देने की कोशिश करता है. आॅन स्क्रीन ही नहीं आॅफ स्क्रीन भी. सभी जिम में हैं. सभी में अच्छा दिखने की होड़ मची है. फैशन की भी बहुत समझ रखते हैं. एक्टिंग के अलावा इन सबमें में भी बहुत मेहनत लगती है. हमारे वक्त में थोडा रिलैक्स माहौल होता था. सब अपनी अपनी गति से काम करते थे. लोग दूसरे को माफ कर देते थे एक फिल्म बुरी करने के बाद. सोचते थे कि चलो दूसरी अच्छी कर लेंगे. अभी बुरी फिल्म करने का चांस नहीं है क्योंकि बहुत ज्यादा प्रतिस्पर्धा है.
-क्या आपको लगता है कि 90 के दौर में स्टार्स का एक आॅरा था जो आज मिसिंग है?
इसकी वजह ये है कि अभी स्टार्स को लेकर कुछ मिस्ट्री ही नहीं है. हमारे समय में थी. आज सुबह से शाम तक वो क्या करते हैं. वो खुद सोशल मीडिया पर बता देते हैं. बाकी इंटरनेट पर एक बार टाइप करते ही सभी जानकारी आपको मिल जाती है.वैसे अभी के समय में मुझे कंगना रनौत, आलिया, दीपिका पादुकोण का काम पसंद है.
-रणबीर की आप फिल्म में मां बनी हैं वो आपसे सिर्फ दस साल छोटे हैं?
हां पहले मेरे जेहन में ये बात आयी थी, लेकिन फिर मैंने यह बात भी सोची कि मैं परदे पर खुद का किरदार नहीं निभा रही हूं. मैं नरगिस जी के रोल में हूं और रणबीर संजय दत्त के. वैसे आज के दौर में उम्र मायने रखती है यह आज के समय की सबसे अच्छी बात है कि औरतें अपनी मन की बात कहने लगी हैं और आदमी न सिर्फ उसे सुन रहे हैं बल्कि उसको मान भी रहे हैं. हाल ही मैंने दिबाकर के साथ लस्ट स्टोरीज की. जिसके लिए सभी मेरी तारीफ कर रहे हैं. अगर ये मैंने दस साल पहले की होती तो लोग कहते कि अपनी उम्र तो देखती. मुझे एक अजीब सी कैटगरी में डाल दिया जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है.
-आपने संजय दत्त के साथ कई फिल्में की है फिल्म सनम की शूटिंग के दौरान वह कोर्ट केस से गुजर रहे थे क्या आपसे कभी उन्होंने कोई बात शेयर की?
शूटिंग के दौरान हमारी पर्सनली बातें नहीं होती थी. वैसे वो बहुत ही चार्मिंग इंसान हैं. वे अपने दर्द को खुद तक रखना जानते हैं. सेट पर बहुत ही प्यार और अपनेपन से मिलते थे. वो कभी सोच समझकर बोलने वालों में से नहीं थे. जो उनके दिल में होता था. वो जुबान पर. अभी मैं उनके साथ ‘प्रस्थानम’ कर रही हूं. हमारी शूटिंग के दौरान ही संजू फिल्म का पोस्टर रिलीज हुआ था. उन्होंने मुझे कहा कि तुम बहुत हद तक मॉम की तरह दिख रही हो. मुझे बहुत अच्छा लगा.
-हिंदी सिनेमा आज विदेशों में भी पॉपुलर हो गया है.
हां, हिंदी सिनेमा के दर्शक आपको हर जगह मिलेंगे. बॉलीवुड में काम करना आज बहुत बड़ा मौका है. मुझे याद है कि जब मैंने अपने मम्मी पापा को कहा कि मैं फिल्मों में एक्टिंग करने जा रही हूं तो वो इसके खिलाफ थे. मुझे मेरी दादी का सपोर्ट मिला. वह अपने वक्त से बहुत आगे थीं. मैं उन पर एक किताब लिखना चाहूंगी. मेरी दादी घर की प्रमुख थीं. उन्होंने कहा कि मनीषा जो तुम्हें करना है करो. उनकी परमिशन थी इसलिए मम्मी-पापा चाहकर भी मुझे रोक नहीं पाएं.
-आपने जिस तरह से कैंसर को मात दी आप कई लोगों के लिए प्रेरणा हैं.
हम सभी भगवान नहीं हैं, लेकिन भगवान के बच्चे जरूर हैं इसलिए हम सभी में एक शक्ति है. जिस चीज को हम शिद्दत से चाहते हैं वो हमें मिल ही जाती है. मैंने हेल्थ को चाहा और खुद से वादा भी किया कि मैं पिछली गलतियों को दोहराऊंगी नहीं .अब मेरी पूरी जिंदगी मेरे हेल्थ के चारो तरफ हैं. हेल्थ ही सबकुछ है. जब आम बीमार होते हैं तो आप बहुत असहाय हो जाते हैं. मैंने वह महसूस किया है इसलिए सब से ज्यादा अपने हेल्थ की वैल्यू करो.