- फिल्म : संजू
- निर्माता : विधु विनोद चोपड़ा और राजकुमार हिरानी
- निर्देशक : राजकुमार हिरानी
- कलाकार : रणबीर कपूर, परेश रावल, मनीषा कोइराला, विक्की कौशल, दिया मिर्जा, अनुष्का शर्मा, जिम सरब और अन्य
- रेटिंग : तीन
उर्मिला कोरी
सामाजिक मुद्दों को अब तक अपनी फिल्मों की कहानी की धुरी रखने वाले राजकुमार हिरानी ने इस बार अपनी फिल्म के लिए बायोपिक के पॉपुलर ट्रेंड को चुना है लेकिन किसी प्रेरणादायी शख्स की नहीं बल्कि विवादित अभिनेता संजय दत्त की. फिल्म के अंत में संजू का किरदार खुद अपने बच्चों से उनके जैसा न बनने की अपील करता है.
संजय दत्त की इस बायोपिक फिल्म की शुरुआत ही इसी बात से होती है कि संजय को पांच साल की जेल हुई है. संजय आत्महत्या करने की सोचते हैं लेकिन उनकी पत्नी मान्यता (दीया मिर्जा) उन्हें समझाती है कि उनके आत्महत्या करने के बाद भी उनके बच्चों को सभी टेररिस्ट के बच्चे ही कहेंगे.
इसके बाद संजू अपनी जिंदगी की असल कहानी को एक मशहूर राइटर विन्नी (अनुष्का शर्मा) से लिखवाने का फैसला करता है. जिसके बाद संजू की जिंदगी से हम भी रूबरू होते हैं. अभिनेता संजय दत्त के बजाय उनकी जिंदगी के दो अहम और विवादित पहलुओं पर यह फिल्म फोकस करती है- ड्रग्स और मुंबई बम धमाकों वाली घटना.
किस तरह से इन सभी परिस्थितियों से संजू बाहर निकलते हैं. इन सभी घटनाओं को पास्ट, तो कभी प्रेजेंट के जरिये सिलसिलेवार तरीके से दिखाया गया है. संजय दत्त की जिंदगी खुली किताब है. उन पर काफी कुछ लिखा और पढ़ा जा चुका है. इसके बावजूद राजकुमार हिरानी ने कहानी काफी एंगेजिंग तरीके से कही है. फिल्म हंसाती है, तो कभी रुलाती भी है.
यह फिल्म संजू का महिमामंडन तो नहीं? यह बात फिल्म की घोषणा के साथ ही जेहन में कइयों के आयी थी. फिल्म देखने के बाद यह साफ हो गया कि ये फिल्म संजय दत्त का महिमामंडन नहीं है. फिल्म में साफ दिखाया गया है कि संजू ने अपनी जिंदगी में बहुत से गलत फैसले लिये हैं, जिनकी वजह से उन्होंने बहुत कुछ झेला है लेकिन इसके बावजूद कुछ बातें अधूरी-सी लगती हैं.
कई महत्वपूर्ण घटनाओं का उल्लेख होना जरूरी था. संजय दत्त को टाडा के तहत जब जेल हुई थी, उस वक्त मुंबई की एक सशक्त छवि वाले शख्स ने उनकी बेल करवाने में बहुत मदद की थी, जिसके लिए सुनील दत्त को एक और कीमत चुकानी पड़ी थी. इस तरह की कुछ और चर्चित घटनाओं को शामिल करना था. वैसे फिल्म में मीडिया पर जरूरत से ज्यादा सवाल उठाये गए हैं. मीडिया को विलेन बताया गया है. जो अखरता है.
अभिनय की बात करें, तो यह रणबीर का अब तक का सबसे बेहतरीन परफॉरमेंस है. तीन घंटे की इस फिल्म में उन्होंने संजय दत्त की 1980 से 2018 की जिंदगी को पूरी तरह से जिया है. फिल्म शुरू होने के 5 मिनट बाद ही आपको लगती है कि परदे पर संजय दत्त ही हैं. विक्की कौशल और परेश रावल भी अपनी अपनी भूमिकाओं में शानदार रहे हैं.
मनीषा कोइराला को लंबे अरसे बाद परदे पर देखना अच्छा रहा, हालांकि उनके और सोनम कपूर के हिस्से में ज्यादा सीन नहीं थे. अनुष्का और दीया ने अपना किरदार अच्छे से जिया है. फिल्म का संगीत अच्छा है. बीते दौर के कई गानों को बखूबी जोड़ा गया है. फिल्म के संवाद और सिनेमेटोग्राफी अच्छे हैं. कुल मिलाकर संजू एंगेजिंग फिल्म है और रणबीर कपूर के बेहतरीन अभिनय के लिए जरूर देखी जानी चाहिए.