20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

रणबीर कपूर के बारे में परेश रावल ने कही ये बड़ी बात, पढ़ें पूरा इंटरव्यू

रणबीर कपूर की फिल्‍म संजू ने बॉक्‍स ऑफिस पर धमाकेदार कमाई करते हुए 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है. संजय दत्‍त की इस बायोपिक फिल्‍म में परेश रावल ने लेजेंडरी अभिनेता सुनील दत्त की भूमिका निभाई है. परेश रावल का कहना है कि वे एक्टर नहीं बल्कि पिता सुनील दत्त की भूमिका को […]

रणबीर कपूर की फिल्‍म संजू ने बॉक्‍स ऑफिस पर धमाकेदार कमाई करते हुए 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है. संजय दत्‍त की इस बायोपिक फिल्‍म में परेश रावल ने लेजेंडरी अभिनेता सुनील दत्त की भूमिका निभाई है. परेश रावल का कहना है कि वे एक्टर नहीं बल्कि पिता सुनील दत्त की भूमिका को जी रहे हैं राजकुमार हिरानी के साथ काम कर परेश बहुत खुश हैं.

थ्री इडियट में वह बोमन ईरानी वाले रोल की पहली पसंद थे लेकिन दूसरी फिल्मों में मशरूफियत की वजह से वह फ़िल्म से जुड़ नहीं पाए थे. इस फ़िल्म और कैरियर पर हमारी संवाददाता उर्मिला कोरी की परेश रावल से खास बातचीत…

राजकुमार हिरानी का कहना था कि सुनील दत्त की कास्टिंग सबसे मुश्किल थी. आपके लिए क्या टफ रहा ?

दत्त साहब का संजय दत्त की तरह कोई मैनरिज्म या स्टाइल नहीं है. वह आम से थे और आम आदमी को परदे पर दिखाना ही सबसे बड़ा चैलेंज होता है. यह फिल्म पिता पुत्र की कहानी है. मेरा मानना है कि अगर इसमे पुत्र की भूमिका निभा रहा एक्टर पूरी तरह से लुक को अपना लिया है तो मुझे भी उस रेस में कूदने की जरुरत नहीं थी कि मैं भी सुनील दत्त की तरह ही दिखूं. यहां सबसे अहम बात क्या थी क्योंकि यह पिता पुत्र की कहानी है तो पिता जो कशमश से गुजरे थे. उनकी जो कहानी थी जो उन्होंने बेटे को बचाने के लिए जद्दोजहद की थी, नरगिस की बीमारी को बचाने के लिए उन्होंने किया था. अपने पॉलिटिकल कैरियर को लेकर उनका उपापोह. वह एक आयरनमैन थे. जो अपने परिवार को साथ में लेकर चल रहे थे. तमाम विपरित हालात में. एक्टर के तौर पर मुझे वो पकड़ने की जरुरत थी.

आपने सुनील दत्त के किरदार से क्या सीखा ?

अच्छा आदमी क्या होता है उन्होंने मुझे सीखाया है. दत्त साहब का मैं बरसो से फैन रहा हूं. पॉलिटिक्स में आने से पहले से. उनकी आंखों में करुणा का भाव था. मैंने मदर टेरेसा को देखा नहीं था. मैंने दत्त साहब को देखा था. मुझे लगता है कि ऐसी करुणा मदर टेरेसा की भी आंखों में होगी.

क्या निजी जिंदगी में आपकी मुलाकात सुनील दत्त से हुई थी ?

मैं उनसे दो तीन बार ही मिला हूं. कभी अंजता में फिल्म का ट्रायल है तो दत्त साहब को देख लिया और हाय हैल्लो कर दिया. क्या चल रहा बेटा वो भी पूछ लेते थे बस इतना ही. हां एक बार मेरे एक दोस्त को कैंसर का प्रॉब्लम था. मैं लेकर गया था तो उन्होंने कहा कि हम लोग पैसे नहीं देते हैं. हमारा जो फाऊंडेशन है वो अमेरिका में दवाई वगैरह में मदद करता है.

अभिनेता से नेता बनने की क्या सबसे बड़ा बदलाव लाता है ?

लोगों की उम्मीद बढ़ जाती है. उनकी उम्मीद जायज है क्योंकि उन्होंने ही नेता बनाया है तो वो चाहेंगे कि उनके दुख दर्द दूर करो. काम कर दिया तो बहुत खुशी होतीहै. नहीं कर पाते हैं तो बहुत दुख होता है. दस काम करने होते हैं उसमे से एक दो नहीं ही कर पाते हैं तो दुख होता है.

रणबीर कपूर बतौर एक्टर आपको कितना प्रभावित करते हैं ?

संजू की बात तो मैं बाद में करुंगा लेकिन जब कोई स्टार का बच्चा लांच होता है तो वह रोमांटिक फिल्में ही करेगा उनका मेन्यू कार्ड होता है जिसे सभी स्टार के बच्चे फॉलो करते हैं. डांस, रोमांस के बाद थोड़ी गुंजाइश एक्टिंग की होती है. इन्होंने (रणबीर) आने के साथ ही कैरेक्टर रोल करना शुरू किया. कभी कॉलेज ब्वॉय वाला रोल नहीं किया. ‘राजनीति’ कर रहा है, ‘रॉकस्टार’ कर रहा है, ‘तमाशा’ कर रहा है. किस किस्म की अलग अलग फिल्में कर रहा है. पता चलता है कि एक्टर की मिट्टी क्या है. उसे फर्क नहीं पड़ता कि फिल्म हिट होगी या फ्लॉप वो अपना काम करता रहता है. मुझे ये बात बहुत पसंद है. संजू की बात करें तो उन्होंने आंखों और आवाज से भी संजय दत्त के किरदार को जीया है.

क्या आपको लगता है कि इंडस्ट्री में टाइपकास्ट होने का चलन रहा है और शुरुआत में आप भी इसका शिकार थे ?

हमारी इंडस्ट्री का क्या है. कोई खानसामा है अगर इडली अच्छी बनाता है तो सब उससे इडली ही बनाएंगे जबकि उस खानसामे को डोसा और पास्ता भी बनाना आता है. शुरुआत में मुझे भी एक ही तरह के रोल मिलते थे लेकिन फिर सबको मालूम हुआ कि अच्छा एक्टर है तो फिर रोल मिलने लगे. अभी का समय तो बहुत बदल गया है लेकिन मैं लकी हूं मेरे जिंदगी में महेश भट्ट, प्रियदर्शन, राजकुमार संतोषी जैसे निर्देशक आएं. जिंहोने मुझसे बहुत कुछ अलग करवाया. अभी का तो टाइम गोल्ड़न पीरियड है. मैं चाहता हूं कि खुद को फिट रखूं ताकि ज्यादा से ज्यादा काम कर सकूं. सबकुछ सिस्टेमेटिक ढंग से अब होता है.

मोदी जी बायोपिक की क्या स्थिति है ?

सिंतबर और अक्टूबर से है. स्क्रिप्ट में पांच से सात प्रतिशत ही बचा है. बहुत ही चुनौतीपूर्ण निभाना है.

इंडस्ट्री में अपनी अब तक की जर्नी को किस तरह से देखते हैं ?

मैं खुश हूं शिकायत नहीं है. मुझे कई लोग बोलते हैं कि मैंने बहुत बुरी फिल्में भी की है. हां की है मैं मानता हूं कि क्योंकि वो पैसे मेरा घर चलाते थे. उन पैसों की वजहसे ही मैं सरदार पटेल नाम की फिल्में कर सका. किसी को गाली देना ये बुरा था कहना आसान है. बुरा था तो मैंने उस वक्त क्यों किया. अब क्यों होशियारी दिखा रहा. मेरी सभी फिल्मों का अपना अपना योगदान रहा है.

आपके बेटे क्या कर रहे हैं ?

छोटा बेटा लेखक है. बड़ा बेटा अनिरुद्ध अली जफर को असिस्ट कर रहा है. ‘सुल्तान’ और ‘टाइगर जिंदा है’ में उसने असिस्ट किया था. मेरे पास तो पैसे नहीं है कि उनको लांच करुं तो वो खुद ही अपनी मेहनत से अपने सपने पूरे करने मेंजुटे हैं.

हेरा फेरी आपके कैरियर की खास फ़िल्म थी आपको क्या लगता है फिल्म और आपका किरदार इतना फेमस क्यों हुआ जो आज भी लोग उसे नहीं भूले ?

मैं फ़िल्म के सक्सेस के लिए न अकेला खुद क्रेडिट लूंगा और ना ही किसी को लेने दूंगा. उस किरदार और फ़िल्म की सफलता की सबसे बड़ी वजह कॉमेडी में एक मासूमियत थी जो सेकंड पार्ट में नहीं थी. यही वजह है कि दूसरी कड़ी उतनी बड़ी हिट नहीं हुई थी.

ओह माय गॉड के सीक्वल की क्या स्थिति है

ओह माय गॉड की स्क्रिप्ट आ चुकी है हाथ में. अगले साल के मार्च में फ़िल्म शूटिंग फ्लोर पर जाएगी. फ़िल्म के कास्ट में दो तीन बदलाव होंगे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें