पुण्यतिथि: मिल मे काम करते थे दारा सिंह, ”हनुमान” से मिली पहचान
दारा सिंह एक प्रोफेशनल रेसलर होने के साथ-साथ एक शानदार अभिनेता थे. ‘रामायण’ में हनुमान का रोल निभाकार दारा सिंह ने करोड़ों दिलों में जगह बनाई है. 19 नवंबर 1928 को जन्मे दारा सिंह मई 1968 में फ्री स्टाइल कुश्ती के वर्ल्ड चैंपियन बने थे. उन्होंने अमेरिका के रेसलर लोउ थेसज को हराकर यह खिताब […]
दारा सिंह एक प्रोफेशनल रेसलर होने के साथ-साथ एक शानदार अभिनेता थे. ‘रामायण’ में हनुमान का रोल निभाकार दारा सिंह ने करोड़ों दिलों में जगह बनाई है. 19 नवंबर 1928 को जन्मे दारा सिंह मई 1968 में फ्री स्टाइल कुश्ती के वर्ल्ड चैंपियन बने थे. उन्होंने अमेरिका के रेसलर लोउ थेसज को हराकर यह खिताब हासिल किया था. रेसलिंग के इतिहास में आज भी दारा सिंह का नाम बहुत इज्जत से लिया जाता है.
दारस सिंह का जन्म पंजाब के एक गांव में हुआ था. साल 1947 में दारा सिंह सिंगापुर चले गये. वहां उन्होंने एक ड्रम बनाने की मिल में भी काम किया था. इस दौरान उन्होंने हरनाम सिंह से कुश्ती ट्रेनिंग ली थी.
सिंगापुर में उन्होंने तारलोक सिंह को हराकर चैंपियन ऑफ मलेशिया का खिताब अपने नाम किया था. दुनिया भर के पहलवानों को चित्त करने के बाद दारा सिंह भारत आकर साल 1954 में भारतीय कुश्ती चैंपियन बने. कॉमनवेल्थ देशों का दौरा कर विश्व चैंपियन किंग कॉन्ग को भी धूल चटाई. उनकी लोकप्रियता को देख कनाडा के विश्व चैंपियन जार्ज गार्डीयांका और न्यूजीलैंड के जॉन डिसिल्वा ने सल 1959 में कॉमनवेल्थ कुश्ती चैंपियनशिप में उन्हें खुली चुनौती दे डाली जिसके बाद दारा सिंह ने उन्हें भी चित्त किया.
दारा सिंह ने एक्टिंग के साथ-साथ डायरेक्शन में भी हाथ आजमाया. उन्होंने बतौर अभिनेता 50 से ज्यादा फिल्में की. साल 1962 में आई फिल्म ‘किंग कॉन्ग’ में उन्होंनक लीड रोल निभाया था. इसके अलावा उन्होंने ‘आंधी और तूफान’, मेरा नाम जोकर, लूटेरा, वीर बजरंग, रामू उस्ताद, आनंद और दो दुश्मन जैसी फिल्मों में काम किया था. वे आखिरी बार फिल्म ‘जब वी मेट’ में आखिरी बार नजर आये थे. उनकी बीमारी के बाद उनकी आखिरी पंजाबी फिल्म ‘दिल अपना पंजाबी’ रिलीज हुई थी.
दारा सिंह की लंबी बीमारी से लड़ने के बाद मुंबई के एक अस्पताल में मृत्यु हो गई थी. हार्टअटैक के बाद उन्हें 7 जुलाई 2012 को कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. दो दिन बाद इसकी पुष्टि हुई कि रक्त प्रवाह की कमी के कारण उनके मस्तिष्क पर असर हुआ है. 11 जुलाई को उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया. लेकिन अगले दिन मुंबई स्थित अपने घर में वे मृत पाये गये.