अभिनेता जॉन अब्राहम फिल्म सत्यमेव जयते में नजर आनेवाले हैं. जॉन इस फिल्म को सिर्फ देशभक्ति वाली फिल्म करार नहीं देते हैं. जॉन बताते हैं जब निर्देशक मिलाप झवेरी ने मुझे कहानी सुनायी तो मुझे देशभक्ति से ज्यादा इंटरटेनिंग लगी साथ ही बहुत इमोशनल भी . कहानी के अंत में रोया था. मुझे लगा कि अगर मैं रो सकता हूं तो यह फिल्म दर्शकों के दिल को भी छुएगी. उनकी इस फिल्म और करियर पर उर्मिला कोरी की हुई बातचीत.
-सत्यमेव जयते भ्रष्टाचार पर चोट करती है आप कितने ईमानदार रहे हैं.
मेरे माता पिता बहुत ही ईमानदार रहे हैं. जिस वजह से मेरी सेटिंग में पूरी तरह से ईमानदारी रच बस गयी है. मैं ईमानदार बने रहने की कोशिश नहीं करता हू्ं लेकिन बस ईमानदारी मेरी सिस्टम में है. मैंने कभी अपने आसपास ढेर सारा कैश नहीं देखा था. मेरे पास ब्लैक मनी कभी थी ही नहीं. नोट बन्दी में देखा था लोग ऐसे मुंह लटकाकर बैठे थे . अरे आपकी गलती थी.आप लोगों ने रखा है इसलिए दुखी थे . मैंने नहीं रखा इसलिए मुझे फर्क नहीं पड़ा. मुझे लगता है कि ईमानदारी से अच्छी कोई और पॉलिसी नहीं हो सकती है.
-क्या आप और आपके परिवार ने कभी रिश्वत नहीं दी.
मैं तीन महीने पहले की बात कर रहा हूं. मेरा भाई आर्किटेक्ट है. उसने कार गलत जगह पर शायद पार्क कर दी. पुलिस आयी और पर्ची देने लगी. मेरे भाई ने कहा पर्ची क्यों आपको तो मेरा लाइसेंस लेना चाहिए. वो लोग सकते में आ गए. ये बंदा सामने से लाइसेंस दे रहा है. मेरे भाई ने लाइसेंस लो . लाइसेंस लो बोल बोलकर अपना लाइसेंस दिया. ये आज की तारीख में कौन करेगा. मैं जब अपने मॉम,डैड और भाई को देखता हूं तो कई बार सोचता हूं कि ये इतने ईमानदार होकर कैसे अपना काम कर रहे हैं. मैं भी ईमानदार हूं लेकिन मैं कुछ जुगाड़ कर लेता हूं. कभी बात करके तो कभी कुछ और करके मैं निकल जाता हूं लेकिन वो नहीं.
-कई लोग हैं जिनका ईमानदारी से कोई लेना देना नहीं है.
हां मैं इस बात को जानता हूं. यही वजह है कि मैं बहुत कम अमीर लोगों को पसंद करता हूं. जब मैं देखता हूं कि 20 साल का लड़का बांद्रा में बीएमडब्ल्यू चला रहा है तो मुझे गुस्सा आ जाता है. इतनी कम उम्र में तो लड़का इतने पैसे नहीं बना सकता है. पापा के पैसों से ली होगी और ज्यादातर लोग ब्लैक मनी से ही इतनी जल्दी अमीर होते हैं. इसके अलावा जो अमीर लोग होते हैं. उनकी सबसे बड़ी परेशानी ये होती है कि उन्हें लगता है कि वो सबकुछ खरीद सकते हैं. जो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है. मैं बॉलीवुड में भले काम कर रहा हूं लेकिन आज भी मेरे अंदर मिडिल क्लास वाले वैल्यूज है हालांकि बॉलीवुड स्टार्स मिडिल क्लास वैल्यूज रखे ये बहुतों को हजम नहीं होता है.(हंसते हुए) हाल ही में मैं मारुति जिप्सी चला रहा था. मुझे देखते ही फोटोग्राफ्स का मुंह बन गया. उन्हें लगा मैं बहुत महंगी वाली कोई जिप्सी में आऊंगा. मुझे मेरी वो मारुति जिप्सी बहुत प्यारी है.मुझे आर्मी से बहुत लगाव है और वो मुझे इंडियन आर्मी के कोटे से मिली है.
-फिल्म में आपके साथ मनोज बाजपेयी भी हैं.
मुझे मिलाप जवेरी ने पूछा था कि दूसरे वाले रोल के लिए कौन सही रहेगा. रोल सुनते ही मेरे जेहन में मनोज बाजपेयी का नाम आया है.वह बाप ऑफ एक्टर्स हैं. उनका मैं फैन रहा हूं शूल और सत्या के टाइम से ही. शूटआउट एट वडाला में हमने साथ काम किया था लेकिन वहां ज्यादा एक साथ सीन नहीं थे. मुझे लगा कि यही सही मौका है. वैसे भी एक अच्छे एक्टर के साथ काम करने से आपकी परफॉर्मेंस में भी निखार आता है.
-अपने युवा दिनों में कैसे थे.
मॉडल बनने से पहले मैं मीडिया प्लानर था. उस वक्त मैं सुबह नौ बजे जाता था और कई कई दिन तो ऐसे होते थे कि मैं अगले दिन सुबह चार या पांच बजे फ्री होता था लेकिन सिर्फ पंद्रह से बीस मिनट के लिए. उसके बाद फिर काम .लगातार एक हफ्ते तक मैंने ऐसे काम कई बार किया है.