बिहार के महान गणितज्ञ डॉ वशिष्ठ नारायण पर फिल्म बनायेंगे प्रकाश झा
बॉलीवुड के जाने-माने फिल्ममेकर प्रकाश झा बिहार के रहनेवाले मशहूर गणितज्ञ डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह की जिंदगी पर फिल्म बनायेंगे. अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत को चुनौती देनेवाले डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह के बारे में मशहूर है कि नासा में अपोलो की लांचिंग से पहले जब 31 कंप्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गए, […]
बॉलीवुड के जाने-माने फिल्ममेकर प्रकाश झा बिहार के रहनेवाले मशहूर गणितज्ञ डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह की जिंदगी पर फिल्म बनायेंगे.
अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत को चुनौती देनेवाले डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह के बारे में मशहूर है कि नासा में अपोलो की लांचिंग से पहले जब 31 कंप्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गए, तो कंप्यूटर ठीक होने पर उनका और कंप्यूटर्स का कैलकुलेशन एक था.
गणितज्ञ डॉ वशिष्ठ नारायण सिंहपरबायोपिक बनाने की पुष्टि करते हुए उन्होंने कहा, डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह बिहार के उत्कृष्ट गणितज्ञ हमारी राष्ट्रीय धरोहर हैं. उनकी जिंदगी बहुत प्रेरणादायी है. मैं उनकी बायोपिक का निर्देशन करने जा रहा हूं.
इससेपहले प्रकाश झा के निर्देशन में बनी आखिरी फिल्म ‘जय गंगाजल’ 2016 में आयी थी, जिसमें प्रियंका चोपड़ा लीड रोल में थीं.
फिल्म के प्रोड्यूसर अमोद सिन्हा कहते हैं, डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह बिहार के बहुत बड़े गणितज्ञ हैं. वे अभी मानसिक बीमारी सिजोफ्रेनिया से पीड़ित हैं. मैंने डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह के बारे में काफी पढ़ा है और उनकी जिंदगी को ऑब्जर्व भी किया है.
उनका जीवन काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा और अब हम उन पर फिल्म बनाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. फिलहाल हम इसके कास्टिंग पर काम कर रहे हैं, जिसकी घोषणा भी हम आर्टिस्ट के कंफर्मेशन के बाद करेंगे.
मालूम हो कि प्रोड्यूसर अमोद सिन्हा के पिता विनय कुमार सिन्हा हैं, जो सलमान खान और आमिर खान स्टारर ब्लॉक बस्टर फिल्म ‘अंदाज अपना अपना’ को प्रोड्यूस किया था.
जानें डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह को
बिहार के भोजपुर स्थित बसंतपुर में गरीबपरिवार में जन्मे डॉ वशिष्ठ में अद्भुत प्रतिभा थी. कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के गणितज्ञ-प्रोफेसर जेएल केली ने उन्हें ‘आर्यभट्ट की परंपरा का गणितज्ञ’ कहा था.
भोजपुर की उर्वर धरती में जन्मे वशिष्ठ जी के लिए तीन दशक पूर्व अपने नियम और मान्यताओं को बदला था, पटना विश्वविद्यालय ने.
‘रमन प्रभाव सिद्धांत की खोज’ में डॉ सीवी रमन के साथ कामकर चुके पटना साइंस कॉलेज के उद्भट विद्वान डॉ एनएस नागेंद्रनाथ ने डॉ वशिष्ठ की प्रतिभा पहचानकर उन्हें एक वर्ष (तीन वर्षीय पाठ्यक्रम) में बीएससी आॅनर्स परीक्षा में बैठने की अनुमति दिलायी.
उनकी तुलना रामानुजम से की गयी. बाद में डॉ वशिष्ठ ने अमेरिका के कोलंबिया ‘इंस्टीट्यूट ऑफ मैथेमेटिक्स’ में पढ़ाया. दुनिया के सर्वाधिक प्रतिष्ठित अमेरिकी संस्था ‘नासा’ की नौकरी ठुकरा कर डॉ वशिष्ठ भारत लौटे.
मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, कानपुर आइआइटी और कोलकाता के इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट में डॉ वशिष्ठ ने उल्लेखनीय काम किया.
1964 में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के डॉ जेएल केली पटना आये. वह डॉ वशिष्ठ की प्रतिभा से दंग रह गये और उन्हें अमेरिका (टेक्सास) बुलाया. बर्कले विश्वविद्यालय के प्रोफेसर की लड़की से शादी का प्रस्ताव भी ठुकरा कर, वशिष्ठ जी भारत लौटे.
कहते हैं कि पारिवारिक कारणों और भारतीय शिक्षा संस्थानों के घुटन भरे माहौल ने डॉ वशिष्ठ को विक्षिप्त बना दिया.