अभिनेता धर्मेद्र जल्द ही फिल्म ‘यमला पगला दीवाना’ फिर से अभिनय करते नजर आने वाले हैं. अपने पांच दशक के लंबे कैरियर में कई यादगार भूमिकायें देने वाले धर्मेद्र कहते हैं कि मुझे कुदरती रूप से अच्छे डायरेक्टर्स मिलते चले गये. स्टोरी और स्क्रीनप्ले भी जबरदस्त होते थे. जब आपको ये सब मिल जायें तो आप चौके छक्के मारेंगे. स्टोरी और स्क्रिनप्ले फिल्म में सबसे अहमियत रखते हैं. उनसे हुई उर्मिला कोरी की बातचीत के प्रमुख अंश..
इस फिल्म में आपके साथ शत्रुघ्न सिंहा और रेखा ने भी अभिनय किया है. कैसा रहा था शूटिंग अनुभव ?
जिस दिन हम तीनों साथ सेट में थे. उस दिन तो सेट पर जान ही आ गयी थी. सनी बॉबी ने कहा कि क्या लाजवाब आप लोगों की केमिस्ट्री है. आप लोगों को साथ फिल्म करनी चाहिए. हम आज के दोस्तों की तरह हाय हैलो वाले नहीं है. हम तो मिलते हैं तो जमकर छेडते हैं. जब तक वैसा माहौल न हो मजा ही नहीं आता है.
पांच दशक का लंबा सफर आपने फिल्मों में तय किया है सबसे यादगार किस दौर को करार देंगे ?
हर दौर अच्छा है. मुङो लब्जे फिल्म से मोहब्बत है. आज दौर का भी अच्छा है. उस दौर में भी कुछ कमिया थी इस दौर में भी है. जज्बात का एक दरिया है. खूबसूरती है. उस दौर में अलग तरह के ऑडियंस थी इसलिए फिल्में भी अलग है. आज जिस ढंगी की ऑडियंस है. उस ढंग की फिल्में हैं.
बतौर अभिनेता किस दौर में आप बेहतरीन रहे हैं ?
मुझे लगता है कि अभी तक मैं अपना बेस्ट नहीं दे पाया हूं यही वजह है कि मैं लगा हुआ हूं. उम्मीद है कि अच्छी स्कि प्टस मेरे पास आएंगी.
क्या अपने दौर की कुछ बातें जो मिस करते हैं ?
अपने लोग अपना माहौल वो सब मिस करता हूं. शाम को भजिया और जलेबी सबके साथ मिलकर खाते थे. सिर्फ एक्टर्स ही नहीं बल्कि पूरी शूटिगं यूनिट. डांर्सस, फाइटर्स से लेकर यूनिट का हर छोटा बड़ा शख्स. सब खुश हो जाते थे कि धर्मेद्र फिल्म में है क्योंकि शूटिंग के बाद शाम को खाने पीने का मेला लग जाता था. मैं तो सभी के घर से आए डिब्बे से भी खाता था. सबका अलग ही स्वाद होता था. एक बात जो और अखरती है आज फिल्म बनाने से ज्यादा उसको रिलीज करने की दिक्कत होती है. पहले की तरह नहीं कि फिल्म बना दी तो लोग देखने आ जाएंगे. आप भले ही अपने घर पर रहो. अब तक जमकर प्रमोशन करना पड़ता है.
पर्दे पर आप हीमैन है जबकि परदे के पीछे आपका सॉफ्ट शायराना अंदाज है कैसे आप परदे पर अलग छवि पेश कर पाते थे ?
इसलिए की एक्टिंग रिएक्शन का नाम है. जिस तरह से आपके सवाल का जवाब मेरा रिएक्शन है उसी तरह एक्टिंग भी. जब मैंने एक्टिंग में शुरुआत की थी बंदिनी जैसी फिल्मों में मेरे काम को देखकर कई लोगों ने कहा कि मैं एक्टिंग में अंडरप्ले कर रहा है. मुझे पता नहीं था कि अंडरप्ले क्या होता है. मैं बस करता चला गया. वैसे मैं इमोशनल हूं. यह पहलू मेरी एक्टिंग में भी काम आता है. एक इमोशनल आदमी का रिएक्शन बहुत जल्दी होता है. जज्बाती होने के नाते सब गुण आ जाते हैं.ऐसा नहीं है कि मैं भगवान हूं. गुस्सा भी आता है. जज्बाती होने के नाते सब कुछ बोल देता हूं. छिपाता कुछ नहीं हूं.
आजकल की युवा पीढी की अभिनेताओं में आप क्या खास पाते हैं ?
बहुत ही रियालिस्टिक हैं. अभी रणबी कपूर की फिल्म ‘संजू’ देखी. वो पूरा संजय दत्त के किरदार में रच बस गया था. फिल्म ‘पद्मावत’ में रणवीर सिंह का काम देखने के बाद मैंने उठकर उसको सैल्यूट किया था. दंगल देखने के बाद मेरी आंखों में तो आंसू ही आ गए थे. मुझे लगता है कि आज के कलाकार हमसे भी बेहतर हैं.
क्या आप अपनी बायोपिक में रियैलिटी से चीजों को पेश करेंगे जैसे आपका रोमांटिक पहलू ?
मेरी रियैलिटी कोई गंदी तो नहीं है. मुझे नहीं लगता कि मुझसे ज्यादा कोई पवित्र रोमांस कर सकता था पी शराब बेहिसाब. ना रखा माशूकों का हिसाब. संभाल किसे नहीं. किसे गिरने दिया. मिला मुङो मेरे वफाओं का शबाब. मैं दिल वाला इंसान हूं. सभी के साथ वफाई की है.
यमला पगला दीवान फिल्म एक कॉमेडी फिल्म हैं रिषिकेश मुखर्जी के साथ आपने यादगार कॉमेडी फिल्में दी हैं उन्हें कैसे याद करते हैं ?
वह बहुत ही महान डायरेक्टर है. ऋषि दा बहुत कम मिलेंगे. वो भाई भी थे दोस्त भी थे और मास्टर भी. अच्छा काम करवाने के लिए वह डांटने से भी हिचकते नहीं थे. वे मुङो बहुत प्यार करते थे. जब वह बीमार पड़े थे तो उन्होंने मुङो कहा कि मेरी सांस की नाली निकाल दो धरम .
हेमा मालिनी और आपकी जोड़ी परदे पर बहुत यादगार रही है क्या उनके साथ फिल्म करने की कोई योजना है ?
हमने एक साथ 25 सफल फिल्में दी हैं. गोल्डन जुबली सिल्वर जुबली हुई हैं. कोई और होता तो इस बात का शोशा बना देता था लेकिन हमने कभी नहीं किया. हर चीज का वक्त होता है. कुछ अच्छा ऑफर हुआ तो करेंगे.
आपका पोता करण फिल्मों में अपनी शुरुआत करने जा रहा है आपने उसे कोई टिप्स दी ?
मैं अपने बाप की सलाह पर इस इंडस्ट्री में नहीं आया था. मेरे बाप को लगता था कि फिल्म इंडस्ट्री गंदी जगह है. इसको बहुत अजीब समझते थे.लड़कियों को भी नहीं आने देते थे.तो बच्चे बाप की सलाह पर नहीं जाते हैं. मैंने भी बॉबी और सनी को कभी कोई सलाह नहीं दी थी. मेरा मानना रहा है शुरू से उसमें जो भी पनपता है, उसमें पनपने दो और उसे खुद ही आगे बढ़ने दो. मैंने वैसे ही खुद को आगे बढ़ाया था. उनको भी ऐसे ही आगे बढ़ाना है. मुझे पता है कि इस करियर में अप्स एंड डाउन रहा है. मैंने भी जिंदगी में ये सब देखा है और इसके बिना जिंदगी का मजा भी नहीं है, तो करन को भी अपनी राह तय करनी ही है. इन सबसे गुजरना ही है.