EXCLUSIVE: जे पी दत्ता को इस फिल्म को देखकर बेहद इमोशनल हो गये थे गुरमीत चौधरी
छोटे परदे पर अपनी एक खास पहचान बना चुके अभिनेता गुरमीत चौधरी इन दिनों बड़े परदे पर अपना एक खास मुकाम बनाने में प्रयासरत हैं. फिल्मों का सुपरस्टार बनना वह अपना सपना करार देते हैं. गुरमीत जल्द ही जे पी दत्ता की वॉर बेस्ड फिल्म ‘पलटन’ में अहम किरदार निभाते नजर आयेंगे. इस फिल्म में […]
छोटे परदे पर अपनी एक खास पहचान बना चुके अभिनेता गुरमीत चौधरी इन दिनों बड़े परदे पर अपना एक खास मुकाम बनाने में प्रयासरत हैं. फिल्मों का सुपरस्टार बनना वह अपना सपना करार देते हैं. गुरमीत जल्द ही जे पी दत्ता की वॉर बेस्ड फिल्म ‘पलटन’ में अहम किरदार निभाते नजर आयेंगे. इस फिल्म में अर्जुन रामपाल, सोनू सूद, हर्षवर्धन और जैकी श्रॉफ मुख्य भूमिका में हैं. इस फिल्म और कैरियर को लेकर गुरमीत चौधरी से उर्मिला कोरी की हुई विशेष बातचीत…
फिल्म ‘पलटन’ आपके अब तक करियर की सबसे बड़ी फिल्म है ?
कुछ निर्देशकों की विशलिस्ट मैंने बनाकर रखी थी. उसमेa से एक नाम जे पी दत्ता का भी था. मैं उनकी वॉर फिल्मों का प्रशंसक रहा हूं. बडा प्रोडक्शन वैल्यू बडे एक्टर्स उनकी फिल्मों के पहचान रहे हैं. मैं खुद आर्मी बैकग्राऊंड से रहा हूं. मेरे डैड आर्मी में थे. मेरे पापा चाहते थे कि मैं आर्मी में जाऊं. मैंने आर्मी ज्वॉइन नहीं किया तो उन्होंने तीन साल तक बात नहीं की. इस फिल्म की शूटिंग के दौरान मैंने आर्मी के कपड़े पहनकर पापा को कॉल किया था. मुङो वैसा देखकर वे रोने लगे थे. यह फिल्म कई मायनों में मेरे लिए बहुत बड़ी और खास है
आप जे पी दत्ता की किन फिल्मों के प्रशंसक रहे हैं?
वैसे तो उनकी सारी फिल्में मुङो बहुत पसंद है लेकिन बॉर्डर से मुझे खासा लगाव है. वो फिल्म मैंने तब देखी थी जब मेरे पिता की पोस्टिंग श्रीनगर में थी. देखता था कि पापा की गाड़ी जैसे ही कैंट से बाहर निकलती थी. गोलियां चलने लगती थी. शाम को डैडी वापस आ जाए यही मैं प्रार्थना करता था और वो फिल्म देखने के बाद मैं बहुत ज्यादा इमोशनल हो गया था.
आमतौर पर हिंदी सिनेमा में बहुत कम फौजियों की फिल्में बनती हैं ?
हां, दस साल बाद ‘पलटन’ के जरिए कोई फौज पर फिल्म बन रही है यह बहुत शर्म की बात है. हमारी इंडस्ट्री जो इतना कुछ सीखाती है. देश पर इतना कुछ बनता है लेकिन हम फौज पर एक फिल्म नहीं बना पाएं. जो बच्चा एक साल का था वह दस साल का हो गया. उसे फौज के बारे में ज्यादा मालूम नहीं होगा. फौज को लेकर लोगों में एक जागरुकता होनी चाहिए. देश के साथ साथ अपने फौज के प्रति भी लोगों का प्यार बढेगा. अक्सर एक्टर एक बार किरदार निभा लेने के बाद दूसरी बार वो किरदार निभाना नहीं चाहता है लेकिन मैं आगे भी आर्मी की फिल्मों से जुड़ता रहूंगा. जैसे ही न्यूज पेपर में मैं पढ़ता हूं कि फलां निर्देशक भी आर्मी पर फिल्म बना रहा है तो मैं खुद अपने मैनेजर को कहता हूं कि आप मेरे लिए उस फिल्म में बात करें.
‘पलटन’ की खासियत क्या है?
पलटन एक ऐसे वॉर की कहानी है जिसके बारे में कभी बताया ही नहीं गया. सिक्किम का इतना बडा इतिहास है. उसमे उस वॉर का बहुत ही ज्यादा महत्व है. अगर वह वॉर न होता तो नाथुला हमारे हाथ से चला जाता और हमारे देश का पूर्वी भाग बहुत कमजोर हो जाता था. इस वॉर में हमारे 90 सैनिक शहीद हुए थे. उन्होंने साढे चार सौ से अधिक चीनियों का मारा था. ये बहुत बड़ी जीत थी.
रियैलिटी शो बिग बॉस से लगातार आपका नाम जोड़ा जा रहा है ?
बिग बॉस का फैन हूं. सलमान खान का प्रशंसक हूं. मजेदार शो है देखता रहा हूं लेकिन कर नहीं रहा हूं. मुझे ये सीजन ऑफर भी नहीं हुआ है. फिर भी लगातार खबरें बन रही थी. मुझे लगा कि सच सोशल मीडिया के जरिए बता ही दूं. ऐसा न हो कि जो लोग मुझे फिल्म ऑफर करना चाह रहे हो उन्हें लगे कि ये तो बिग बॉस करने वाला है तो उसमे ही बिजी रहेगा और मैं घर में वेला ही बैठा रह जाऊं.
टीवी से आपने दूरी बना ली हैं, शुरुआत में टीवी के कलाकारों को फिल्मों में उतने पैसे नहीं मिलते हैं ?
मैं आज जो कुछ भी हूं टीवी की वजह से हूं. टीवी की वजह से ही मेरा फैंस है. जो देश ही नहीं विदेश में भी है. इंडोनेशिया में मेरे कपड़े फट जाते हैं. साउथ अफ्रीका में मैं सड़क पर नहीं चल सकता हूं. वो लोग मेरी फिल्में डब करके देखते हैं. मेरे कास्टिंग डायरेक्टर मेरे फैंस ही हैं. उनको मालूम पड़ता है कि कोई फिल्म बन रही है तो वह सोशल मीडिया पर मेरी कास्टिंग शुरु कर देते हैं. पलटन के लिए भी मेरे फैंस ने ही लगातार सोशल मीडिया पर मुझे प्रमोट किया, ये बात निधि दत्ता ने मुझे बताया. मैं टीवी को बहुत अहमियत देता हूं लेकिन मेरा सपना फिल्मों का सुपरस्टार बनने का है. जिस वजह से मैंने अपना फोकस चेंज किया है. मुङो लगता है कि मंजिल दूर नहीं है. जब मैं यहां तक पहुंच गया हूं तो वहां भी पहुंच जाऊंगा.पैसों की बात है तो हां टीवी में मुझे अभिनेता के तौर पर सबसे ज्यादा पैसे मिलते थे. फिल्मों में अभी इतने पैसे मुङो नहीं मिल रहे हैं लेकिन मैं पैसों के लिए काम नहीं करता हूं. जब आप अच्छा काम करेंगे तो पैसे आ ही जाएंगे.
‘पलटन’ के ट्रेलर लॉच पर आप बाइक लेकर आए थे क्या बाइक्स के आप भी शौकीन हैं ?
बाइक्स का मैं शौकीन रहा हूं. मेरी पहली कमाई 500 रुपये थी. उसके बाद मैं सीरियलों में कैमियो की भूमिका करने लगा था. उससे जो पैसे मिलें उससे मैंने स्पेलंडर की लाल रंग की बाइक खरीदी. वो बाइक पंद्रह साल बाद भी मेरे पास है. मेरी मर्सीडिज और ऑडी के बीच में वह बाइक पार्क रहती है. जब भी मैं निकलता हूं. उसे देखता हूं .इससे मुङो मेरे अतीत से जुड़े रहने में मदद मिलती है कि मैंने कहां से शुरुआत की. जहां तक बात फिल्म के ट्रेलर लांच पर होंडा वाली बाइक की है तो मैं उसे वन बीएचके बोलता हूं. बहुत भारी बाइक है.उस दिन ट्रेलर लॉच पर उस बाइक को चलाने में ही मेरे कंधे दुखने लगे थे. मुंबई की ट्रैफिक ऐसी है कि आप उस बाइक को चला भी नहीं सकते हैं. जब भी मैं उस बाइक को लेकर निकलता हूं. सब अपना काम छोड़कर उस बाइक को देखने लगते हैं.
इतनी व्यवस्ताओं के बीच किस तरह से देबीना के लिए समय निकालते हैं ?
मेरी जिंदगी मेरा काम और फैमिली है. सात बजने के बाद मुङो मेरे घर की याद आने लगती हैं. देबीना और मेरे दो डॉग है मुझे उनसे मिलना ही हैं. आप कितने भी मशरुफ क्यों न हो अगर आप समय निकालना चाहते हैं तो निकाल ही लेते हैं. पहले जब मैं नायगांव में शूट करता था और देबिना दूसरे सेट पर तो हमारा 9 बजे पैकअप होने के बाद हम हाइवे पर एक दूसरे के लिए इंतजार करते थे फिर साथ में घर जाते थे . वहां से मेरा घर दस मिनट की ही दूरी पर होता था लेकिन हम एक दूसरे के लिए इंतजार करते थे ताकि हम वो समय भी साथ में बिता सकें. देबीना मेरी दोस्त है और मैं उसकी सहेली. पति पत्नी बनने से पहले इसलिए हम एक दूसरे के साथ बहुत सहज रहते हैं.
क्या ऑफर हुई तो आप बांग्ला फिल्मों का हिस्सा बनना चाहेंगे ?
देबीना और मेरी शादी को 13 साल हो गए. 19 साल की उम्र में हमने मंदिर में जो शादी की थी उसी को हम असली शादी मानते हैं. 2011 में हमने कोर्ट मैरिज किया है तब से कोलकाता को जमाई बन गया हूं. कोलकाता को मैं बहुत करीब से जानता हूं. देबीना की वजह से और दूसरा बिहार की वजह से. मैं बिहारी हूं और बंगाल पड़ोसी राज्य है तो हमेशा से ही वहां का कल्चर और फिल्में मुझे बहुत आकर्षित करता रहा है. बांग्ला सिनेमा बहुत ही मीनिंगफुल सिनेमा बनाता है. कोई स्क्रिप्ट मिली तो मैं जरुर उसका हिस्सा बनूंगा.
मां पापा बनने की क्या तैयारी है ?
मैं और देबीना चाहते हैं कि जब हमारा बच्चा हो तो जो चीजें हमें नहीं मिली हैं वो सब उसको मिले. मेरे पिता आर्मी में सिपाही रैंक पर थे. खाने और कपड़े अच्छे होते थे लेकिन पसंदीदा खिलौने नहीं ले पाते थे. रेस्टोरेंट में शायद मैं पहली बार मुंबई में ही गया था. हमलोग घर पर ही खाना बनाकर खाते थे इतने पैसे ही नहीं बचते कि रेस्टोरेंट में जाकर खाएं. मेरे पिता ने हमेशा ही हमें अपने पास ही रखा. जहां भी उनकी पोस्टिंग होती थी. जिस वजह से उनके पैसे बचते ही नहीं थे.
खबरें आयी थी कि आपने दो लडकियों पूजा और लता को गोद लिया है ?
हमारा मकसद उन दोनों बच्चियों को अच्छी शिक्षा, अच्छा खानपान देने की थी. गोद लेने की प्रक्रिया आसान नहीं होती है. बहुत ज्यादा चीजें उसमे शामिल होती हैं इसलिए हम ऑफिशयली भले ही उन दोनों बच्चियों को गोद नहीं ले पाएं लेकिन हम उनकी शिक्षा और खान पान का पूरा खर्च उठा रहे हैं. वैसे भी हमारा मकसद वही था.