Film Review : चूक गयी ”यमला पगला दीवाना फिर से”
II उर्मिला कोरी II फ़िल्म : यमला पगला दीवाना फिर से निर्देशक: नवनीत कलाकार: धर्मेंद्र,बॉबी देओल,सनी देओल,कृति खरबंदा,असरानी,शत्रुघ्न सिन्हा और अन्य रेटिंग: डेढ़ सीक्वल फिल्मों के फार्मूले को भुनाने के लिए एक बार फिर देओल तिगड़ी ने ‘यमला पगला दीवाना फिर से’ से दस्तक दी है. पिछली कड़ी की तरह यह कड़ी भी कमजोर है. […]
II उर्मिला कोरी II
निर्देशक: नवनीत
कलाकार: धर्मेंद्र,बॉबी देओल,सनी देओल,कृति खरबंदा,असरानी,शत्रुघ्न सिन्हा और अन्य
रेटिंग: डेढ़
सीक्वल फिल्मों के फार्मूले को भुनाने के लिए एक बार फिर देओल तिगड़ी ने ‘यमला पगला दीवाना फिर से’ से दस्तक दी है. पिछली कड़ी की तरह यह कड़ी भी कमजोर है. फ़िल्म मनोरंजन का दावा ज़रूर करती है लेकिन फ़िल्म में मनोरंजन के अलावा सबकुछ है.
फ़िल्म की कहानी की बात करे तो वैद्य पूरण (सनी देओल) अपने छोटे भाई काला (बॉबी) और किराएदार जयवंत (धर्मेंद्र) के साथ रहता है।. पूरण के पास एक व्रज कवच नाम की आयुर्वेदिक दवाई है जो मुहांसों से लेकर नपुंसकता तक सभी का इलाज कर सकती है. इस दवाई के पीछे एक बहुत बड़ी दवाइयों की कंपनी और माफिया पड़ी हुई है.
कहानी में ट्विस्ट तब आ जाता है जब दवाई की एक कंपनी पूरण की दवाई को अपना बता पूरण पर चोरी का इल्जाम लगा देती है. फ़िल्म पंजाब से गुजरात पहुँचती है और कोर्ट रूम ड्रामा सहित अलग अलग घटनाएं कहानी को बढ़ाते हैं. किस तरह से जयवंत पूरण को बेगुनाह साबित करता है यही कहानी है.
फ़िल्म की कहानी बेहद कमजोर है और घिसी पिटी सी है और जिस ढंग से फ़िल्म की प्रस्तुति हुई है वह इसे और बोझिल बना देती है. कंटेंट किंग होता है. यह बात इस फ़िल्म को देखते हुए शिद्दत से महसूस होती है. फ़िल्म में धर्मेंद्र और सनी देओल जैसे बेहतरीन अभिनेताओं की मौजूदगी के बावजूद फ़िल्म बांधे रख पाने में नाकामयाब लगती है.
देओल तिगड़ी के साथ साथ कृति का अभिनय भी अच्छा है लेकिन बेदम कहानी के आगे वो ज़्यादा मायने नहीं रखता है. फ़िल्म के संवाद औसत है. गीत संगीत की बात करें तो आखिर का रफ्ता रफ्ता गीत में सलमान, रेखा, सोनाक्षी के साथ देओल की तिगड़ी अच्छी लगती है लेकिन एक गीत किसी ढाई घंटे की फिल्म को एंटरटेनिंग नहीं बना सकता है. कुलमिलाकर यमला पगला दीवाना पिछली बार की तरह फिर से चूक गयी है.