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…तो इसलिए इम्तियाज अली ने किया ”लैला मजनू” से किनारा?

नयी दिल्ली : निर्देशक इम्तियाज अली का कहना है कि उनकी अधिकतर फिल्मों में ‘लैला मजनू’ की झलक देखने को मिलती है और सदियों पुरानी यह प्रेम गाथा शेक्सपियर की लेखनी की तरह ही अमर है. इम्तियाज का कहना है कि कहानी इससे मिलती जुलती भले रही हों लेकिन प्रेम कहानियों के एक संकलन को […]

नयी दिल्ली : निर्देशक इम्तियाज अली का कहना है कि उनकी अधिकतर फिल्मों में ‘लैला मजनू’ की झलक देखने को मिलती है और सदियों पुरानी यह प्रेम गाथा शेक्सपियर की लेखनी की तरह ही अमर है.

इम्तियाज का कहना है कि कहानी इससे मिलती जुलती भले रही हों लेकिन प्रेम कहानियों के एक संकलन को पढ़ने के बाद उन्हें इससे जुड़ी वे जानकारियां जानने को मिली जिससे वह पहले वाकिफ नहीं थे.

इससे ही उन्हें कुछ दृश्य लिखने की प्रेरणा मिली, जिसने बाद में एक फिल्म का रूप लिया. इम्तियाज कहते हैं, इसे पढ़ते समय, मुझे आभास हुआ कि किरदार सामान थे, जैसा शेक्सपियर के साथ अक्सर होता है.

आपको ऐसा लगता है कि वह आपकी भावनाओं के बारे में बात कर रह हैं. मैंने कुछ दृश्य लिखे और अवचेतन रूप से उन दृश्यों की कश्मीर में कल्पना की. ‘लैला मजनू’ एक शानदार दंतकथा का आधुनिक रूप है.

इम्तियाज इसके सह-निर्माता एवं सह-लेखक हैं. फिल्म का निर्देशन इम्तियाज के छोटे भाई साजिद ने किया है. अविनाश तिवारी और तृप्ति डीमरी दोनों ही इस फिल्म से बॉलीवुड में अपनी पारी की शुरुआत कर रहे हैं.

फिल्म शुक्रवार (सात सितंबर) को रिलीज हुई है. फिल्म का निर्देशन न करने पर इम्तियाज ने कहा, इस पर फिल्म बनाने का विचार हमेशा मन में था लेकिन मैं इसका निर्देशन नहीं करना चाहता था क्योंकि मुझे लगता है कि मैंने अभी तक जो काम किया है उसमें लैला और मजनू की झलक रही है.

और अगर मैं इसे बनाता (निर्देशन करता) तो ऐसा लगता कि मैं अपना काम दोहरा रहा हूं. मैं यह देखने को उत्सुक था कि कोई युवा, नौजवान जिसने पहले प्रेम कहानियों पर काम नहीं किया है वह इस पर कैसे काम करता है.

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