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जन्‍मदिन विशेष : भूपेन हजारिका के संगीत को भुलाया नहीं जा सकता

संगीत की दुनिया के महारथी भूपेन हजारिका के गानों को आज भी फैंस याद करते हैं. हजारिका का जन्म 8 सितंबर 1926 को असम के तिनसुकिया जिले की सदिया में हुआ था. वे अपने 10 भाई-बहनों में सबसे बड़े थे. हजारिका का संगीत के प्रति लगाव अपनी मां के कारण हुआ जिन्होंने उन्हें पारंपरिक असमिया […]

संगीत की दुनिया के महारथी भूपेन हजारिका के गानों को आज भी फैंस याद करते हैं. हजारिका का जन्म 8 सितंबर 1926 को असम के तिनसुकिया जिले की सदिया में हुआ था. वे अपने 10 भाई-बहनों में सबसे बड़े थे. हजारिका का संगीत के प्रति लगाव अपनी मां के कारण हुआ जिन्होंने उन्हें पारंपरिक असमिया संगीत की शिक्षा दी. बचपन में ही भूपेन हजारिका ने पहला गीत लिखा और 10 साल की उम्र में ही गाना शुरू कर दिया था.

फिल्‍ममेकर ज्‍योतिप्रसाद अग्रवाल ने भूपेन हजारिका को सुना तो उनकी आवाज बेहद पसंद आई. साल 1936 में कोलकाता में भूपेन ने अपना पहला गाना रिकॉर्ड किया था. यहीं से उनके संगीत का सफर शुरू हो गया.

हजारिका ने 13 साल की उम्र में तेजपुर से मैट्रिक की परीक्षा पास की. इसके बाद 1942 में गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज से इंटरमीडिएट किया. 1946 में हजारिका ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एम ए किया. 1949 में वे पत्रकारिता में पीएचडी करने के लिए अमेरिका चले गये. पढ़ाई के बाद हजारिका ने गुवाहाटी में ऑल इंडिया रेडियो में गाना शुरू कर दिया था.

कोलंबिया यूनिवर्सिटी के दौर पर गये भूपेन हजारिका की मुलाकात प्रियम्वदा पटेल से हुईं. दोनों के प्‍यार की शुरूआत हुई और 1950 में दोनों ने अमेरिका में ही शादी कर ली. दो साल बाद प्रियम्वदा पटेल ने एक बेटे को जन्‍म दिया. एक साल बाद ही हजारिका अपने परिवार के साथ भारत लौट आये.

उन्‍होंने गुवाहाटी यूनिवर्सिटी में बतौर अध्‍यापक काम करना शुरू किया लेकिन ज्‍यादा दिनों तक वे नौकरी नहीं कर पाये और इस्‍तीफा दे दिया. पैसों की तंगी के कारण उनकी पत्‍नी ने भी उन्‍हें छोड़ दिया. इसके बाद उनका झुकाव संगीत की ओर गया.

फिल्म ‘गांधी टू हिटलर’ में महात्मा गांधी के भजन ‘वैष्णव जन’ में उन्‍होंने अपनी आवाज दी थी. उन्‍होंने ‘रुदाली’, ‘साज’, ‘मिल गई मंजिल मुझे’, ‘दरमियां’, ‘गजगामिनी’ और ‘दमन’ जैसी सुपरहिट फिल्मों में गीत दिये. उन्‍होंने अपने जीवन में एक हजार गाने और किताबें लिखीं. साल 2011 में भूपेन हजारिका ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.

भूपेन हजारिका को 1975 में सर्वोत्कृष्ट क्षेत्रीय फिल्म के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार, 1992 में सिनेमा जगत के सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहब फाल्के सम्मान से सम्मानित किया गया था. इसके अलावा उन्हें 2009 में असोम रत्न और इसी साल संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड दिया गया. साल 2011 में उन्‍हें पद्म भूषण जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया.

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